59 महीने से बिना वेतन के काम कर रहे हैं मदरसा के शिक्षक, सरकार पर संवेदनहीन होने का आरोप
उर्दू के एक अखबार "शाने सिद्धार्थ" ने मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक संघ की समस्याओं को उठाते हुए दावा किया है कि मदरसा शिक्षक 6 वर्षों से बिना वेतन के काम करने के लिए मजबूर हैं. याद रहे कि बार-बार सरकार की तरफ से मदरसों के मॉर्डनाइजेशन मदरसों से संबंधित उनको मॉडर्न शिक्षा से जोड़ने की बात होती है लेकिन आज भी स्थिति मदरसा शिक्षकों की दयनीय है.
समाचार के अनुसार बच्चों का मुस्तकबिल संवारने वालों का भविष्य खुदा अँधेरे में है और सरकार का नारा "सबका साथ- सबका विकास और सबका विश्वास" और अब उसमें "सब का प्रयास" भी जोड़ दिया है जो एक नारे के सिवा कुछ नहीं है.
तमाम त्योहारों की तरह रमजान का महीना भी MAS शिक्षकों को बिना वेतन के जा रहा है और अब सामने ईद है. माना जा रहा है कि अगर सरकार ने अभी इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया तो उनकी ईद भी कड़वी ईद होने वाली है. अखबार ने यह भी दावा किया है कि हर रोज जांच के नाम पर एक नई जांच हो रही है, लेकिन समस्या का समाधान नहीं निकल रहा है.
अखबार ने आरोप लगाया है कि साल भर में इन से दर्जनों बार जांच के नाम पर एक मोटी रकम की वसूली भी होती रहती है. अब तो हालत यह हो गई है कि यह साइंस के टीचर भुखमरी के दहाने (मुंह) पर पहुंच चुके हैं.
ज्ञात रहे कि बीते दिनों खबरें भी आई थीं कि कई लोगों को हार्ड अटैक हो गया था तो कई लोगों की मौत हो गई थी. साथ इस तरह की भी खबरें आयीं कि कई लोग भट्ठा या दिगर कामों में खाली समय में काम करने के लिए मजबूर हैं.
उत्तर प्रदेश मदरसा मैनेजर संघ के राज्य अध्यक्ष मोहम्मद नशीद ने अखबार को बताया कि मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक संघ के हजारों शिक्षक जिन में हिंदू और मुस्लिम हैं और पूरी ईमानदारी से काम कर रहे हैं लेकिन दुखद है कि सरकार को इन की कोई चिंता नहीं है.
उन्होंने कहा कि हम 59 महीने से अपने वेतन का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से कोई ऐसा आश्वासन नहीं हुआ है जिससे हमें यकीन हो सके कि हमको हमारा वेतन मिलने जा रहा है. उन्होंने सरकार से अपील की कि सरकार तत्काल प्रभाव से मदरसा शिक्षकों की परेशानियों पर ध्यान दे और उनका वेतन तत्काल प्रभाव से रिलीज करे.
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