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सुप्रीम कोर्ट में आखिरी दिन की सुनवाई के बाद मौलाना अरशद मदनी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की

उन्होंने सीधे-सीधे कहा कि तमाम ऐतिहासिक तथ्यों को सामने देखते हुए यह बात पूरी तरह स्पष्ट हो चुकी है कि बाबरी मस्जिद किसी मंदिर को गिराकर नहीं बनाई गई या किसी मंदिर की जगह पर नहीं बनाई गई. उन्होंने कहा कि मस्जिद का मालिक अल्लाह यानी ईश्वर होता है और मस्जिद की जगह देने वाले को जगह देने के बाद यह अधिकार नहीं कि वह मस्जिद की जमीन वापस ले ले.

By: Mohammad Ahmad
फाइल फोटो
  • सुप्रीम कोर्ट में आखिरी दिन की सुनवाई के बाद मौलाना अरशद मदनी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की
  • Maulana Arshad Madni reacted strongly after last day's hearing in the Supreme Court on Babri Masjid issue 

 

 नयी दिल्ली: बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट की आज सुनवाई के बाद हुए अपडेट को देखते हुए जमीअत उलमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने मीडिया को जारी बयान में कहा है कि मस्जिद के लिए जो जगह एक बार दे दी गई वहां हमेशा मस्जिद रहती है. उन्होंने कहा कि मस्जिद के लिए जो जगह वक़्फ़ हो जाए वह हमेशा मस्जिद की रहती है. मौलाना मदनी ने कहा कि बाबरी मस्जिद के सिलसिले में भारत के मुसलमानों का एक ही मत है वह यह कि मस्जिद के लिए वक़्फ़ की गई जगह हमेशा मस्जिद रहती है और कभी उसके मोड में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता इसलिए ना तो भारत का मुसलमान और ना ही किसी दूसरे को इस बात का अधिकार है कि वह इस मत से पीछे हटे.

 

 उन्होंने सीधे-सीधे कहा कि तमाम ऐतिहासिक तथ्यों को सामने देखते हुए यह बात पूरी तरह स्पष्ट हो चुकी है कि बाबरी मस्जिद किसी मंदिर को गिराकर नहीं बनाई गई या किसी मंदिर की जगह पर नहीं बनाई गई. उन्होंने कहा कि मस्जिद का मालिक अल्लाह यानी ईश्वर होता है और मस्जिद की जगह देने वाले को जगह देने के बाद यह अधिकार नहीं कि वह मस्जिद की जमीन वापस ले ले.

 

 मौलाना मदनी ने कहा कि वक़्फ़ बोर्ड का अध्यक्ष एक केयर टेकर से ज्यादा कुछ नहीं होता है और वक़्फ़ की जमीनों का मालिक सिर्फ ईश्वर अल्लाह होता है. मौलाना मदनी ने कहा कि मध्यस्थता के तमाम रास्तों के नाकाम होने के बाद ही अदालत में अंतिम बहस शुरू हुई थी लेकिन अंतिम क्षणों में जो कुछ हुआ उस पर चिंता के अलावा कुछ और नहीं व्यक्त किया जा सकता.

 

 उन्होंने कहा कि यह मुसलमानों को दबाने की कोशिश है. उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में शुरू से ही हक और इंसाफ की जगह जोर और जबरदस्ती देखने को मिली है. उन्होंने कहा कि मस्जिद के अंदर रात के अंधेरे में जबरन मूर्तियां रखी गई. मुसलमानों ने जब न्याय की गुहार लगाई तो नमाज पर विराम लगा दिया गया और मस्जिद में ताला जड़ दिया गया.

 

 मौलाना मदनी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को 05 दिसंबर 1992 से पहले की स्थिति को बरकरार रखना चाहिए और मस्जिद को मुसलमानों को वापस देना चाहिए, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट को इस बात का आश्वासन दिया गया था कि मस्जिद से छेड़ छाड़ नहीं की जाएगी और उसकी पूरी निगरानी होगी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में दाखिल श्वेत पत्र के बाद भी उसका हनन हुआ, इसलिए सुप्रीम कोर्ट को उस पर नोटिस लेना चाहिए और मस्जिद को रिस्टोर करना चाहिए.  मौलाना मदनी ने कहा कि हम अदालत के फैसले का इंतजार कर रहे हैं और हम पूरे सम्मान के साथ अदालत के फैसले को सर झुका कर तस्लीम करेंगे.

 

 



 


वक्फ़ बोर्ड़ का चेयरमैन वक्फ़ का संरक्षक होता हैं, मालिक नहीं:- जमीयत उलेमा हिन्द
मस्जिद के लिए जो जगह वक्फ़ होती हैं, वहाँ हमेसा मस्जिद ही रहती हैं:- मौलाना अरशद मदनी (अध्यक्ष, जमीयत उलेमा हिन्द)


नई दिल्ली:- सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद पर आज आखिरी सुनवाई खत्म होने पर मौलाना अरशद मदनी ने खुशी जाहिर करते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा कि कोर्ट ने तय सीमा में सभी पक्षो को सुना और हमें पूर्ण विश्वास हैं कि फैसला आस्था की बुनियाद पर ना होकर सबूतों के आधार पर होगा.मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि वक्फ़ बोर्ड का चेयरमैन सिर्फ वक्फ़ का संरक्षक होता हैं उसका मालिक नहीं। बाबरी मस्जिद को लेकर मुसलमानो का नजरिया आज भी वही हैं जिसका जिक्र जमीयत उलेमा हिन्द हमेसा से करती आ रही हैं यानि जो जगह मस्जिद के लिए वक्फ़ कर दी जाए वो हमेसा मस्जिद ही रहती है उसकी पहचान में कभी कोई परिवर्तन नही किया जा सकता।मदनी ने कहा कि अयोध्या विवाद को लेकर मुसलमानों का नजरिया पूरी तरह से तथ्यों और प्रामाणिक साक्ष्यों पर आधारित हैं, बाबरी मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर नही बनाई गई और ना ही वहाँ कोई मंदिर था

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