नयी दिल्ली: ज़फ़र फ़ारूक़ी को उत्तर प्रदेश सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड का दोबारा चेयरमैन चुने जाने पर सख़्त प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व लोकसभा सांसद इलियास आज़मी ने आज आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी पर निशाना साधा है और उनको बोर्ड से हटाए जाने कि मांग कि है. आज़मी का आरोप है कि उन्हों ने बाबरी मस्जिद के सौदागर ज़फर फारूकी को चेयरमैन चुने जाने पर बधाई दी थी. साथ ही उन्होंने मौलाना ख़ालिद रशीद फिरंगी महली और सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन ज़फ़र फारुकी पर भी निशाना साधा है.
उन्होंने जहां ज़फ़र फारूकी को बाबरी मस्जिद का सौदागर बताया है, वहीं ज़फ़र फारूकी के दोबारा चेयरमैन चुने जाने पर मौलाना राबे हसनी नदवी के ज़रिये उनको बधाई देने पर उनको मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष पद से तुरंत बर्खास्त करने की माँग की है. उन्होंने कहा है कि अगर मौलाना राबे हसनी नदवी को बोर्ड के अध्यक्ष पद से तुरंत हटाया नहीं गया तो भारत के मुसलमानों पर अल्लाह की तरफ़ से मुक़र्रर (नियुक्त) सज़ा कुछ दिन के लिए और बढ़ सकती है.
इलियास आज़मी ने दावा किया कि फारूकी को आज़म ख़ाँ के क़रीबी अबरार के वोट से चेयरमैन बनाया गया है. उन्होंने कहा कि जहाँ मुस्लिम राष्ट्रीय मंच से संबंधित एक महिला को बोर्ड का सदस्य नियुक्त किया गया है, वहीं ख़ालिद रशीद फिरंगी महली के मदरसे के 2 शिक्षकों को भी मेंबर मनोनीत किया गया है. उन्होंने कहा कि मुसलमानों को अपने अंदर एहसास पैदा करने की ज़रूरत है और अपने गद्दारों को समझने की ज़रूरत है.
उन्होंने कहा कि ऐसे लोग जो मुनाफिक हैं उनसे होशियार रहने की ज़रूरत है. उन्होंने कहा कि अगर एक तरफ़ अल्लाह के नबी थे तो दूसरी तरफ़ अब्दुल्ला बिन उबई था. अगर एक तरफ सिराजुद्दौला और टीपू थे तो मीर जाफ़र और मीर सादिक़ भी. उन्होंने मुसलमानों से अपील की कि ऐसे लोगों का सोशल बायकॉट होना चाहिए.
वहीं दूसरी तरफ़ उनके बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए मौलाना ख़ालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि इलियास आज़मी जाने उनका काम जाने. हम सब इन चक्करों में नहीं पड़ते हैं. वहीं ज़फ़र फारूकी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि स्वीपिंग स्टेटमेंट देना आसान है. उन्होंने कहा कि आज़मी साहब को प्रमाणित करना चाहिए कि हमने कौन सा सौदा किया है? उन्होंने कहा कि 1045 पन्नों पर आधारित कोर्ट के फ़ैसले को क्या आज़मी साहब ने पढ़ा है? पहले वो कोर्ट का फ़ैसला पढ़ लें, उसके बाद बयान दें.
उन्होंने कहा कि बोर्ड का चेयरमैन कोई भी बन सकता था. उन्होंने कहा कि इसके लिए इलेक्शन होता है. मैं इलेक्शन जीत करके आया हूँ. उन्होंने कहा कि जब आज़मी साहब MP थे तो वह भी चेयरमैन बन सकते थे. उन्हों ने ऐसा नहीं किया. उन्होंने कहा कि आज़मी साहब को बोर्ड का एक्ट पढ़ना चाहिए. उसको समझना चाहिए कि इसमें सरकार का क्या रोल होता है और दूसरे लोगों का क्या रोल होता है. फारूकी ने कहा कि हो सकता है जब आज़मी साहब चुनाव लड़ते थे तो मैने उनका समर्थन न कर के जितनी प्रसाद और ज़फ़र अली नक़वी का समर्थन किया इसलिए मुमकिन है कि वो मेरे ख़िलाफ़ ऐसी बयानबाजी कर रहे हों.
उन्होंने कहा कि मोहम्मदी छेत्र की कई मस्जिदों के उलेमा और दूसरे लोगों ने भी उनका समर्थन नहीं किया जिसकी उन्होंने मुझ से शिकायत भी की. उन्होंने कहा कि इसलिए मुमकिन है कि वो अपने इस दर्द का इज़हार कर रहे हों.
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