एसबीएम-यू 2.0 योजनाएं और कार्यान्वयन
आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा समीक्षा और कार्यशाला
MoHUA परियोजनाओं में तेजी ला रहा है, स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के तहत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, प्रयुक्त जल प्रबंधन, CT/PTs के प्रबंधन, सफाईमित्र सुरक्षा को मजबूत करने की योजनाओं को और तेज कर रहा है।
“स्वच्छ भारत मिशन 2.0 का उद्देश्य शहरों को कचरा मुक्त बनाना है। इस दूसरे चरण के साथ, हमारा लक्ष्य सीवेज और सुरक्षा प्रबंधन, शहरों को जल-सुरक्षित बनाना और यह सुनिश्चित करना है कि गंदे नाले जाकर नदियों में न मिलें।”
-पीएम मोदी
10 जुलाई 2023, नई दिल्ली : नागरिकों के बीच जागरूकता बढ़ाकर और स्वच्छता सुविधाओं की उपलब्धता में लगातार सुधार करके, स्वच्छ भारत मिशन-शहरी का पहला चरण अपना लक्ष्य हासिल करने में सफल रहा और 100% शहरी भारत को खुले में शौच की समस्या से मुक्त घोषित किया गया। एसबीएम-यू 2.0 का उद्देश्य शहरी भारत को कचरा मुक्त (ODF) बनाना और ODF से भी आगे बढ़ना था। पिछले 8 वर्षों में इस मिशन ने क्रांतिकारी स्वच्छता और वेस्ट मैनेजमेंट के प्रति नजरिए को बदला है और अनगिनत नागरिकों के व्यवहार में बदलाव आया है। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी का दूसरा चरण एक जन आंदोलन बन गया और बड़े पैमाने पर नागरिकों को संगठित करने के साथ उनकी भागीदारी जुटाने में भी मदद मिली। यह सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स 2030 को हासिल करने की दिशा में योगदान देने के साथ-साथ भारत के गतिशील शहरीकरण की चुनौतियों पर प्रभावी ढंग से काम करने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम था।
यात्रा को आगे बढ़ाते हुए यह मिशन स्थायी स्वच्छता के पथ पर लगातार आगे बढ़ रहा है, जिसमें 3500 शहरों और 1100 शहरों को क्रमशः ODF+ और ODF++ प्रमाणित किया गया है, और 14 शहरों को वॉटर+ प्रमाणित किया गया है, जिसमें वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट और इसका भरपूर पुन: उपयोग शामिल है। शहरों के लिए गार्बेज फ्री स्टार रेटिंग में 234 शहर 1-स्टार रेटिंग वाले, 199 शहर 3-स्टार रेटिंग वाले और 11 शहर 5-स्टार रेटिंग वाले हैं। भारत में वेस्ट प्रोसेसिंग 2014 की तुलना में 18% से चार गुना बढ़कर आज 76% हो गई है, जिससे साफ होता है कि वैज्ञानिक अपशिष्ट प्रबंधन पर जोर दिया जा रहा है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह मिशन स्वच्छता कर्मियों, अनौपचारिक स्वच्छता कर्मियों और सफाई मित्रों के जीवन में उल्लेखनीय बदलाव लाने में सक्षम रहा है।
आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने देश भर में स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0 की योजना और कार्यान्वयन के पैमाने का मूल्यांकन करने के लिए एक दिन की समीक्षा एवं कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से शहरी विकास और नगरपालिका प्रशासन के प्रमुख सचिव, 9 मेगापोलिस के नगर निगमों के आयुक्तों, राज्य मिशन निदेशकों, सेक्टर भागीदारों, MoHUA के डेवलपमेंट पार्टनर आदि ने हिस्सा लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए केंद्रीय मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने एसबीएम के पहले चरण की उपलब्धियों के बारे में बताते हुए और इसको मिली शानदार सफलता का श्रेय जन आंदोलन को दिया, जिसके जरिए लोगों के व्यवहार में भी महत्वपूर्ण बदलाव आया। केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि एसबीएम शहरी का दूसरा चरण वैज्ञानिक ठोस अपशिष्ट और प्रयुक्त जल प्रबंधन के माध्यम से कचरा मुक्त शहरों के विजन को साकार करना चाहता है। उन्होंने कहा कि योजना और अनुमोदन प्रक्रियाओं में तेजी लाते हुए 22 राज्यों के लिए 50% से अधिक आवंटनों को केवल दूसरे वर्ष में मंजूरी दे दी गई है।
राज्यों के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने उल्लेख किया कि वर्तमान में चल रहे स्वच्छ सर्वेक्षण के दौरान वह जमीनी स्तर पर स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार देखने के लिए उत्सुक हैं। केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सभी शहरों को 2026 तक 3-स्टार कचरा-मुक्त रेटिंग हासिल करनी चाहिए और इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य के लिए नियमित योजना, निगरानी, मूल्यांकन और सुधारात्मक उपायों के कार्यान्वयन के माध्यम से त्वरित प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि समीक्षा एवं कार्यशाला ने विभिन्न राज्यों के अनुभवों को सीखने और साझा करने के लिए एक मूल्यवान मंच प्रदान किया है।
इंदौर के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में प्रशिक्षण कार्यक्रम, स्वच्छता नॉलेज पार्टनर्स डायरेक्टरी और स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 टूलकिट को लॉन्च करते हुए केंद्रीय मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि इससे सहयोग और ज्ञान साझाकरण को बढ़ावा मिलेगा।
कार्यक्रम में शामिल हुए राज्यों को संबोधित करते हुए MoHUA सचिव श्री मनोज जोशी ने इस बात पर जोर दिया कि शहरों द्वारा स्वच्छता के लिए कई तरह की विशेष पहल की गई हैं और लेगेसी वेस्ट डंपसाइट रिमिडिएशन, वेस्ट प्रोसेसिंग, यूज्ड वॉटर मैनेजमेंट और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की दिशा में काफी शानदार प्रयास हुए हैं। उन्होंने कहा, हम यहां भविष्य में होने वाले कार्यों पर चर्चा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। राज्यों से बातचीत करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्य अपने प्रयासों से मिसाल पेश कर रहे हैं और दूसरे राज्यों के शहरों को भी उनसे सीखना चाहिए। लेगेसी वेस्ट डंपसाइट्स और वेस्ट प्रोसेसिंग पर ध्यान केंद्रित करते हुए सचिव ने प्रकाश डाला कि साल 2026 तक लक्ष्य हासिल करने के लिए योजनाओं और कार्यान्वयन में तेजी लानी चाहिए। उन्होंने दोहराया कि एसबीएम-यू 2.0 का ध्यान वेस्ट टू वेल्थ और सर्कुलर इकॉनमी को बढ़ावा देने के अलावा कचरे के कुशल और वैज्ञानिक प्रोसेसिंग के लिए स्थायी बुनियादी ढांचा स्थापित करना है। उन्होंने शहरी नियोजन पर ध्यान केंद्रित करते हुए निष्कर्ष निकाला, जिससे आने वाले वर्षों में अधिकांश राज्यों को लाभ होगा और सोर्स सेग्रीगेशन, वेस्ट कलेक्शन, ट्रांसपोर्टेशन और प्रोसेसिंग को लागू करने में मदद मिलेगी।
विभिन्न राज्यों में एसबीएम-यू 2.0 के तहत कई परियोजनाओं का अवलोकन करते हुए संयुक्त सचिव एवं एसबीएम की मिशन निदेशक श्रीमती रूपा मिश्रा ने कहा, “यह हमारी नीतियों को देखने, अन्य राज्यों से सीखने और उस गति से आगे बढ़ने का समय है जिससे हम अपना 2026 का लक्ष्य हासिल कर सकते हैं।” नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के तहत विभिन्न राज्यों की समीक्षा करते हुए उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि स्रोत पर कचरे के पृथक्करण से एसबीएम-यू 2.0 अपनी ताकत हासिल करता है और हर शहर को ताजा कचरे को डंपसाइटों तक पहुंचने से रोकने के लिए एक बेंचमार्क बनाना होगा। उन्होंने अनौपचारिक क्षेत्र को एकीकृत करने, सॉलिड वेस्ट जनरेटर की भूमिका, क्लस्टरिंग लैंडफिल, व्यवहार परिवर्तन और ईपीआर के संचालन पर भी प्रकाश डाला। दिन के पहले सत्र में नगरपालिका और राज्यों की गीले अपशिष्ट प्रबंधन, सीएंडडी वेस्ट और लेगेसी वेस्ट रिमिडिएशन समेत सूखे अपशिष्ट प्रबंधन पर प्रगति, योजना और समीक्षा पर विस्तृत चर्चा की गई।
दोपहर बाद का सत्र छोटे शहरों में नगर निगम के प्रयुक्त जल प्रबंधन पर चर्चा और समीक्षा के साथ शुरू हुआ। विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने आकांक्षी शौचालयों, सामुदायिक शौचालयों/सार्वजनिक शौचालयों के प्रबंधन, छोटे शहरों में प्रयुक्त जल प्रबंधन और सफाईमित्र सुरक्षा के तहत अपनी प्रगति और योजनाओं पर चर्चा की और उन पर जोर दिया।
AMRUT की संयुक्त सचिव श्रीमित डी. तारा ने अमृत और अमृत 2.0 परियोजनाओं की समग्र प्रगति समीक्षा साझा की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पीने के पानी की पहुंच के अलावा गुणवत्ता पर ध्यान कैसे दिया जाए, वास्तव में संतुष्टि कैसे प्राप्त की जाए, सोर्स सस्टेनेबिलिटी, जल सेवा स्तर, मौजूदा बुनियादी ढांचे की दक्षता में सुधार के लिए क्षमता निर्माण पहलुओं को लेकर आगे क्या किया जा सकता है। उन्होंने पानी के नवीनीकरण के एजेंडे पर भी ध्यान केंद्रित किया।
कार्यशाला में आईईसी अभियान, कैपेसिटी बिल्डिंग, आईटी, इन्फ्रा, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के पॉलिसी अप्रोच डोर टू डोर कलेक्शन, वेस्ट सेग्रिगेशन, वेस्ट प्रोसेसिंग की स्थिति, एक्शन प्लान की स्थिति, वेस्ट टू वेल्थ को सर्कुलर इकॉनमी की ओर ले जाना, वैज्ञानिक लैंडफिल, बल्क वेस्ट जनरेटर, एमआरएफ, खाद इकाइयां, नैशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनसीएपी), विभिन्न शहरों में जैव-मिथेनेशन संयंत्र, विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) और प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट, यूडब्ल्यूएम, एसटीपी के लिए नीतिगत ढांचा और एक्शन प्लान की स्थिति के संदर्भ में विभिन्न राज्यों/शहरों में प्रगति पर प्रकाश डाला गया।
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