New Delhi: जैसे जैसे 2019 का चुनाव नज़दीक आ रहा है सभी पार्टियों के नेता अपनी सुर और अपना ताल ठीक करने में लगे हुए हैं, ताकि वह पार्टी हाई कमान के क़रीब आ कर अपनी टिकट की दावेदारी को मज़बूत कर सकें. इस वक़्त उत्तर प्रदेश का चुनाव सभी पार्टियों के लिए सब से ज़ियादा अहम है. क्यों कि जो भी दिल्ली की सत्ता पर क़ाबिज़ होगा उस को हर हाल में 50-60 सीटों की जरूरत UP से होगी. इस के बगैर वह दिल्ली की गद्दी पर अपना क़ब्ज़ा नहीं जमा सकता है.
2019 का चुनाव जहां मोदी सरकार के लिए जियों और मरो वाली स्थिति होगी वहीं विपक्ष के लिए उस के अस्तित्व का सवाल होगा. 2019 के चुनाव के लिए कोई भी पार्टी किसी तरह कोई ऐसा रिस्क नहीं लेना चाहती है, जिस से वह एक भी सीट हारे, क्यों कि कोई भी पार्टी एक एक सीट का जोगाड़ कर के ही दिल्ली की गद्दी तक पहुँच सकती हैं.
दिल्ली की गद्दी के लिए एक एक सीट गंगा जल और और ज़म ज़म की बूँद से ज़ियादा क़ीमती है. बड़ी बात यह भी है कि प्रत्याशी ऐसी सीट ढूंढ रहे हैं जो उन के लिए "सेफ" हो और वह आसानी से अपनी जीत को सुनिश्चित कर सकें.
उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद लोक सभा सीट एक ऐसी सीट है जहां कांग्रेस पार्टी के एक दर्जन से ज़ियादा नेता टिकट चाह रहे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस पार्टी के पूर्व सांसद अज़हरुद्दीन, ज़फर अली नक़वी, समीना शफ़ीक़, मीम अफ़ज़ल से लेकर बड़े बड़े नेता इस सीट से टिक चाह रहे हैं.
अहम् बात यह है कि इस सीट पर सब से ज़ियादा वोट मुस्लिम OBC और उस में भी “अंसारी समाज” का है. और इस सीट पर एक ही प्रत्याशी अंसारी समाज का है जो टिकट चाह रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस सीट पर डॉ ताजुद्दीन अंसारी SC आयोग के पूर्व राष्ट्रीय समन्वयक भी चाह रहे हैं और वह अकेले अंसारी हैं.
अहम बात यह है कि अंसारी समाज का कांग्रेस पार्टी से गहरा रिश्ता रहा है और आज़ादी के बाद और आज़ादी से पहले अंसारी समाज ने हमेश कांग्रेस पर यक़ीन किया है. और उस ने कांग्रेस को शक्ति प्रदान की है, लेकिन ज़ियाउर्रहमान अंसारी के बाद कोई भी ऐसा नेता अंसारी समाज से कांग्रेस पार्टी ने नहीं दिया जिस को राष्ट्रीय स्तर पर लोग स्वीकार करते हों.
अहम बात यह है कि ताजुद्दीन अंसारी कपड़ा बुनने के अंसारी समाज के मौरूसी पेशे से जुड़े हैं. इस लिए राष्ट्रीय स्तर पर अंसारी उन को मानते भी हैं. यही वजह है कि उन्हों ने कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता सुबोधकांत सहाय के साथ लम्बी पारी खेली और उस के बाद रीता बहुगुणा जोशी फिर बेनी वर्मा और उस के बाद PL पुनिया ने उन पर विश्वास किया और उन को अपने विशेष अधिकार का इस्तेमाल करते हुए आर्टिकल 338 के अंतर्गर SC आयोग का नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया.
जब ताजुद्दीन अंसारी ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर कई सौ दौरे कर के लोगों को कांग्रेस सरकार के क़रीब लाने की कोशिश की तो बीजेपी के नेता आग बगुला हो गये. सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस पार्टी इस सीट से ताजुद्दीन अंसारी को टिकट देने के हक़ में हैं.
कहा जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी AC में बैठने वाले नेताओं को टिके किसी भी क़ीमत पर इस बार नहीं देंगे. ऐसे में भी ताजुद्दीन अंसारी की दावेदारी काफी मज़बूत मानी जा रही है, लेकिन टिकट किस को मिलेगा और जीत किस की होगी यह आने वाला वक़्त बतायेगा.
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