अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय भारत सरकार की निगरानी में काम करने वाली संस्था मौलाना आज़ाद एजुकेशन फाउंडेशन ने मुशायरे के जरिये अल्पसंख्यकों का भविष्य संवारने का फैसला किया है.
फाउंडेशन की ओर से जारी दावत नाम के अनुसार इस पूरी सूची में सिर्फ सुरेंदर सिंह शजर को छोड़ कर सभी मुसलमान शायर हैं.
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किसी ने एक अहम् बात कही थी "मुशायरों और क़व्वाली पर झूमने वाली क़ौम कलाम नहीं क़व्वाल पैदा करती है".
इस को देखते हुए अब सवाल यह है कि क्या नक़वी मुसलमानों में कलाम पैदा करना चाहते हैं या क़व्वाल. क्या अल्पसंख्यक मुसलमानों को नक़वी और उन का मंत्रालय क़व्वाल बनाना चाहता है?
जबकि प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि मुसलामानों के एक हाथ में क़ुरआन और दूसरे हाथ में कंप्यूटर हो. अल्पसंख्यक मंत्रालय ने फाउंडेशन का गठन इस लिए किया था ताकि मुसलामानों और दुसरे अल्पसंख्यकों को शिक्षित बनाया जा सके.
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