पिछले महीने एनएसए अजीत डोभाल के साथ मुस्लिम संगठनों की हुई बाबरी मस्जिद मामले में पीस मीटिंग पर वतन समाचार से बातचीत करते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस ए मुशावरत के राष्ट्रीय अध्यक्ष नवेद हामिद ने कहा है कि उस मीटिंग में भी हम चार लोगों (नवेद हामिद- महमूद दरयाबादी- इंजीनियर सलीम- और मुज्तबा फ़ारूक़) ने सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित कराया था कि दुनिया में जो टकराव है और जिन जिन जगहों पर टकरा है वहां से हमें सीख लेनी चाहिए और भारत को अम्न व शांति का मरकज बनाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि लेकिन दुख की बात यह है कि सरकार से कुछ भी बात कर लीजिए सरकार डेमोक्रेटिक नॉर्म्स पर यकीन करने को तैयार ही नहीं है. उसका अपना एक सेट एजेंडा है, जिसके तहत वह आगे बढ़ रही है. नवेद हामिद ने कहा कि मीटिंग में दरियाबादी साहब ने एनआरसी के मसले को जोरदार तरीके से उठाते हुए कहा था कि मैं मौलाना वली रहमानी की इजाजत से ऑल इंडिया मुस्लिम बोर्ड के एक सदस्य के तौर पर इस मीटिंग में शिरकत कर रहा हूं जिस पर मेरा और दरयाबादी का नाम कोर्ट करते हुए एनएसए ने कहा था कि वह भारत सरकार तक बल्कि उन्होंने यह कहा था कि वह सीधे-सीधे प्रधानमंत्री तक आप लोगों की बात पहुंचाएंगे.
उन्हों ने कहा कि उस मीटिंग में 12 13 और भी मुस्लिम थे जिन्होंने उनकी भी बात की. मै नाम नहीं लेना चाहता, एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जानबूझकर वहीं क्लिपिंग मीडिया को रिलीज की गई जिस से सरकार को फायदा हो सकता था. हम चारों लोगों की क्लिपिंग मीडिया में रिलीज नहीं की गई. उन्होंने कहा कि सिर्फ ANI को अंदर आने की इजाजत थी और ANI अगर कुछ सिलेक्टेड क्लिपिंग लीक करती है तो इसका मतलब साफ है कि वह सरकार की इशारे पर ही हुई है.
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि डेमोक्रेटिक सेटअप में सरकार के साथ बातचीत जरूरी होती है अगर हम नहीं जाएंगे तो मीडिया के लोग सवाल करेंगे कि आप लोग जाते क्यों नहीं हैं, गए क्यों नहीं और अगर हम एक बार चले गए तो हम से यह कहा जा रहा है कि जब सरकार आपकी सुनती नहीं है तो आप जाते क्यों हैं. यह प्रश्न कांग्रेसी CPI CPM या दूसरे दलों से क्यों नहीं पूछा जाता? जब सरकार उनकी नहीं सुनती है तो वह क्यों जाते हैं?
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