नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पर वतन समाचार से बात चीत करते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिसे मुशावरत के राष्ट्रीय अध्यक्ष नवेद हामिद ने केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि भारत में इस वक्त जो कुछ भी हो रहा है उस के साउथ एशिया पर गहरे नतीजे होंगे और यही वजह है कि इस खतरे को भांपते हुए OIC ने इमरजेंसी मीटिंग कॉल की थी. उन्होंने कहा कि दुनिया के जो भी देश इस खतरे को भांप रहे हैं और वह इस पर कटाक्ष कर रहे हैं और सरकार को संवैधानिक मूल्यों का पालन करने की नसीहत दे रहे हैं उन्हें पॉलिटिकल रिलेशन को इकनोमिक रिलेशन से जोड़ना होगा.
उन्होंने कहा कि सिर्फ लिप सर्विस से बात नहीं बनने वाली है. नवेद हामिद ने कहा कि जिस तरह से अनप्रेसिडेंटेड विरोध दुनिया ने CAA और NRC को लेकर किया है चौंकाने वाला है. उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा थी कि इसको मुसलमानों की तरफ मोड़ दिया जाएगा लेकिन उसमें पूरी तरह नाकाम रही. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि नौजवानों का विरोध जायज है. नौजवान मजहब में नहीं पड़ना चाहता है और उसकी उम्मीद है बिल्कुल दूसरी हैं वह प्रोग्रेसिव सोचता है और मिलजुलकर रहने में विश्वास रखता है.
नवेद हामिद ने कहा कि 1977 के इंदिरा गांधी के खिलाफ हुए विरोध के बाद यह पहला ऐसा विरोध है जो इतने बड़े पैमाने पर और इतने देर तक चल रहा है जिस में हर धर्म का नागरिक शामिल हो रहा है और आगे और चलेगा.
उन्होंने कहा कि भारत की उथल-पुथल साउथ एशिया को डिस्टर्ब कर सकती है, लेकिन मोदी सरकार इस में किस हद तक कामयाब होगी यह आने वाला समय बताएगा. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत को सिविल वार की तरफ धकेलने की कोशिश हो रही है. उन्होंने कहा कि हमें यह समझना होगा कि जब अमित शाह ने कहा था कि हम 50 सालों तक सत्ता में आएंगे तो उसके पीछे यही सारे तर्क रहे होंगे. उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री ने कपड़ों की बात कही थी तो वह सिर्फ झारखंड के लोगों को एड्रेस नहीं कर रहे थे बल्कि वह सीधे-सीधे मुसलमानों पर निशाना साध रहे थे, मगर वह भी नाकाम हो गया और टोपी में बीजेपी वाले पत्थर बरसाते नज़र आये.
भारत के लोगों ने विभाजन कारी नीति का खंडन किया और वह मजहब के जाल में नहीं आए. उन्होंने कहा कि जब सरकार गवर्नेंस में पूरी तरह फेल हो गई है तो CAA जैसे काले कानून लेकर के आ रही है जो सही नहीं है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जिस तरह से अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने नागरिकता संशोधन विधेयक को अपने यहां जगह दी है उससे साउथ एशिया की इस मैच्योर डेमोक्रेसी को धक्का लगा है और सरकार को तुरंत इस पर पुनर्विचार करते हुए इस बिल को वापस ले लेना चाहिए.
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