New Delhi: स्वतंत्रता दिवस से पूर्व आज आल इंडिया मुस्लिम मजलिसे मुशावरत (AIMMM)के हेडक्वार्टर में जामिआ मिल्लिया इस्लामिया इस्लामिआ के पूर्व डीन और इतिहास कार रिज़वान कैसर ने एक संगोष्ठी के दौरान यहाँ उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा की देश की आज़ाद में मुसलमानों के रोल को अनदेखा नहीं किया जा सकता है. उन्हों ने कहा की कुछ लोग चाहते हैं की वह इतिहास बदल दें. इस पर वह निरंतर हमले और इस के लिए प्रयास कर रहे हैं. इस लिए सजग रहने की जरूरत है.
FROM "INDIA WINS FREEDOM" (URDU) BY MAULANA ABUL KALAM AZAD FIRST EDUCATION MINISTER OF INDIA AND BHARAT RATAN
उन्हों ने कहा की इस में कोई शक नहीं है कि 10 जुलाई 1946 के पंडित नेहरू के बयान से नुकसान हुआ और कैबिनेट मिशन प्लान 1946 को धक्का लगा. जिस से मुस्लिम लीग और जिन्नाह और मुखर हो गये जिन्हों ने पहले कैबिनेट मिशन प्लान 1946 पर मोहर लगा दी थी.
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उन्हों ने कहा कि इतहास में कुछ लोगों ने औरंगज़ेब को एक हिन्दू विरोधी शासक के तौर पर पेश किया है. इस में कोई शक नहीं कि औरंगज़ेब ने कुछ मंदिर जरूर गिराये लेकिन उन्हों ने मंदिरों को लेकर जो फरमान दिया और मंदिरों को जो दान दिया और मंदिर बनाने के लिए जो ज़मीन आवंटित की इस का कोई उल्लेख नहीं करता है जो इतिहास के साथ धोका है.
उन्हों ने कहा कि BHU स्थित “भारत कलां केंद्र” में आज भी औरंगज़ेब का वह फरमान मौजूद है जिस में उन्हों ने कहा था कि बनारस के प्रोहित (पंडितों) को इबादत से न रोका जाये और उन को पूजा करने में कोई तकलीफ तक नहीं होनी चाहिए.
उन्हों ने कहा कि सर-सय्यद ने एक अवसर पर खुद को हिन्दू कहा और यह भी कहा कि आप लोग इसे नहीं मानोगे. मेरा मानना है कि सिंधु नदी के इधर रहने वाला हर वयक्ति हिन्दू है. उन्हों ने कहा कि सर सय्यद ने 1887-1898 के दौरान दो ऐसे लेख लिखे जिसमें उन्हों ने मुसलमानों से अपील की कि वह गाय न खाएं और विडंबना यह है की उन पर भी Two Nation Theory का दाग है, जबकि वह मुसलमान को क़ौम नहीं कम्युनिटी मनते थे.
उन्हों ने कहा कि 1857 के दौरान अगस्त में Eid-ul-Adha (ईद) आयी तो बहादुर शाह ज़फर ने अपील की कि मुसलमान गाय की क़ुर्बानी न करें. उन्हों ने दवा किया कि आज़ादी का पहला नारा हसरत मोहानी ने दिया. उन्होंने कहा कि गाँधी और नेहरू की अनुपस्थिति में अली बंधुओं को दिल्ली से छिंदवाड़ा, मौलाना आज़ाद को कलकत्ता से रांची और ज़मींदार लाहौर के एडिटर ज़फर अली खान को मरी में जिला-वतन कर दिया गया, क्योंकि अंग्रेजी कामरेड हमदर्द अल्हेलाल अलबलाग और ज़मींदार(उर्दू) के लेख से काफी परेशान थे.
उन्हों ने कहा कि जब मौलाना आज़ाद ने मदरसा इस्लामिआ रांची 1917 में बनाया तो उस को चन्दा जिन लोगों ने दिया उस मे मै ने शोध के दौरान पाया कि पहला नाम राय साहब ठाकुर दास राईसे रांची (रातू महराज) का था. जबकि उस वक़्त मौलाना के मदरसे को चन्दा देना किसी जेहाद से कम नहीं था.
उन्हों ने कहा कि 23 मार्च 1940 को मुस्लिम लीग ने ट्व नेशन थ्योरी पेश की जबकि उस से पहले आरएसएस के लोगों ने यह नज़रिया पेश कर दिया था. इस लिए मैने इस बात की अपील की थी की अगर जिन्नाह की फोटो AMU से हटती है तो वी डी सावरकर की फोटो पार्लियामेंट से हटनी चाहिए क्योंकि दोनों का गुनाह एक है.
उन्हों ने कहा कि आल इंडिया आज़ाद मुस्लिम कॉन्फ्रेंस सात संगठनों (मोमिन कॉन्फ्रेंस, मजलिस ए अहरार, मजलिस इत्तेहाद ए वतन शिया पोलिटिकल कॉन्फ्रेंस जमीअत उलेमा और मुस्लिम इंडिपेंडेंट पार्टी ( ज्ञात रहे की इसी पार्टी से मोहम्मद यूनुस बिहार के पहले मुख्यमंत्री बने) का एक कन्वेंशन दिल्ली के क्वीन्स पार्क में खान बहादुर अल्लाह बख्श (सिंध के मुख्यमंत्री उस वक़्त के प्रधानमंत्री) की अध्यक्षता में हुआ जिस में एक लाख मुसलमानों ने हिस्सा लिया और मुस्लिम लीग का विरोध किया.
इन तमाम बातों को देखते हुए मुसलमानों की देश भक्ति पर शक करना गलत है. इस अवसर पर वोट ऑफ़ थैंक्स अब्दुल रशीद अगवान मुशावरत दिल्ली विंग के मुखिया ने पेश किया. बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे.
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