क्या UP में हिन्दू मुस्लिम से ऊब चुके हैं लोग? पढ़िए ज़मीनी हकीकत
हालिया विधानसभा चुनावों में अवाम का नफरती एजेंडे से प्रभावित न होना एक अच्छा सकेंतः जमाअत इस्लामी हिन्द
नई दिल्ली, 05 मार्च। गत दिनों में पांच राज्यों में के विधान सभा चुनावों में नफरती बयान, साम्प्रदायिक विज्ञापन और आचार संहिता का उल्लंघन बड़े पैमाने पर हुआ। ज़ात-पात के नाम पर वोटरों को बांटने की कोशिश की गयी। जिसे निर्वाचान आयोग को सख़्ती से रोकना चाहिए था। मगर अवाम की भूमिका अत्यंत सकारात्मक और प्रशंसनीय रहा। उन्होंने इस बार विकास, रोज़गार, शिक्षा और सेहत जैसी वास्तविक समस्याओं को महत्व दिया। ये बातें जमाअत इस्लामी हिन्द के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने जमाअत के मुख्यालय में आयोजित मासिक प्रेस कान्फ्रेंस में कहीं।
उन्होंने आगे कहा कि चुनाव के अवसर पर विज्ञापनों पर बहुत अधिक रक़म ख़र्च की गयी। ये करदाता के पैसे हैं जिसे सरकार ने पानी की तरह बहाया है। इस पर रोक लगाने के लिए बहस होनी चाहिए और ऐसा क़ानून बनाया जाना चाहिए जो सत्ताधारी पार्टी को अपने हितों के लिए सरकारी तंत्र और कोष को प्रत्येक्ष या अप्रत्येक्ष अपनी पार्टी के विज्ञापन पर खर्च करने से रोके। प्रोफेसर सलीम ने कहा कि लोकतंत्र को मज़बूत करने चुनाव परिणाम को प्रभावित होने से बचाने और धन और बल के अनुचित इस्तेमाल को रोकने के लिए चुनावों में सुधार की आवश्यकता है।
पारदर्शी चुनाव से नागरिकों का विश्वास बढ़ेगा और इससे लोकतंत्र मज़बूत होगा। उन्होंने यूक्रेन-रूस यु़द्ध पर टिप्पणी करते हुए कहा कि युद्ध से किसी समस्या का समाधान नहीं निकलता, बल्कि यह खुद एक समस्या है। जिसमें जान व माल के नुक़सान के सिवा कुछ हासिल नहीं होता। इसलिए दोनों देशों देशों के मध्य यथाशीघ्र तनाव खतम किये जाएं, युद्धबंदी हो और राजनयीक प्रक्रिया आरंभ किया जाए। उन्होंने इस जंग की वजह से यूक्रेन में फंसे हुए हिन्दुस्तानी छात्र और नागरिकों को संभावित मार्गों का इस्तेमाल करते हुए देश वापस लाने की प्रक्रिया में तेज़ी लाने की मांग की और यूक्रेन में अपनी जान गंवाने वाले छात्रों के माता-पिता और परिजनों से संवेदना प्रकट किया। उन्होंने इस बात पर अत्यंत दुख और अफसोस प्रकट किया कि देश के मौजूदा विधानसभा चुनावों में कुछ पार्टियां यूक्रेन संकट का राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रही हैं। यह व्यवहार अनुचित और अमानवीय है।
उन्होंने इस आशंका को भी व्यक्त किया यूक्रेन संकट के नतीजे में पेट्रोल, डीज़ल और आवश्यक वस्तुओं की क़ीमतों में वृद्धि हो सकती है। इसलिए केंद्र और राज्य सरकारों को चाहिए कि वह संभावित वृद्धि पर नियंत्रण पाने के लिए प्रभावी क़दम उठाये। कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए जमाअत के राष्ट्रीय मामलों के सचिव मोहम्मद अहमद ने उत्तर प्रदेश से वापसी पर अपना अवलोकन बयान करते हुए कहा कि अब लोगों में जागरुकता आयी है और गांवों में रहने वाले लोग भी अब राजनीतिक पार्टियों की ओर से ध्रुवीकरण के हथकंडे को अस्वीकार कर रहे हैं।
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