महमूद मदनी अरशद मदनी मंजूर आलम नवेद हामिद मोहम्मद अदीब जैसे लोग घरों में घुस गये और नवजवानों को लाठी खिलवाई: जमाअत उलेमा
नयी दिल्ली: पैगंबर मोहम्मद का अपमान अक्षम अपराध है. आप हर मुसलमान को उसकी जान माल परिवार से ज्यादा प्यारे हैं. अगर कोई अल्लाह से प्यार करना चाहता है तो उसके लिए अल्लाह के रसूल का पालन करना और उनकी आज्ञा को मानना आवश्यक है. किसी को भी नबी की शान में गुस्ताखी करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. आज पत्रकारों को संबोधित करते हुए यह बातें जमाअत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना सुहैब क़ासमी ने कहीं. मौलाना ने कहा कि 15 दिनों के मौन के बाद देशव्यापी स्तर पर एक समान विरोध अचानक एक एजेंडे का हिस्सा मालूम होता है.
उन्होंने कहा कि अगर इस तरह के विरोध से इस्लाम और मुसलमानों को फायदा होता है तो ओवैसी से लेकर महमूद मदनी अरशद मदनी मंजूर आलम नवेद हामिद मोहम्मद अदीब जैसे लोग कहां है? मासूम बच्चों को आगे बढ़ाया और अपने घरों में छुप गए. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. मुसलमानों के नाम पर मलाई वह खाएं, मासूम लाठियां और गोलियां खाएं?
जमाअत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना सुहैब क़ासमी ने कहा वह उनके एजेंडे से मुस्लिम कौम को अवगत कराना चाहते हैं. उन्होंने रात के अंधेरे में व्यापार किया है और दिन के उजाले में निर्दोष हो गए हैं. पैगंबर का अपमान किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. इस की लड़ाई कानून के दायरे में लड़ी जानी चाहिए. मौलाना ने कहा कि निंदा की आड़ में कुछ दल और कुछ संगठन अपनी रोटी सेंक कर देश को बदनाम करना चाहते हैं, जिसकी इजाजत नहीं दी जा सकती. सरकार विरोधी दल और संगठन राष्ट्र विरोध पर आमादा हो गए हैं. भारत की बढ़ती हुई ताकत और दुनिया में बनती हुई छवि से यह भयभीत हैं और दुखी भी, इसलिए वह मजहबी कार्ड खेलकर देश के मुसलमानों की आड़ में अपना एजेंडा चलाना चाहते हैं. देश का मुसलमान और खास तौर पर नौजवान इन से होशियार रहे और राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाए.
नवीन कुमार जिंदल और नूपुर को उनके कार्यों के लिए प्रारंभिक सजा मिल चुकी है. भारतीय जनता पार्टी ने इनको बर्खास्त कर दिया है. जहां तक कार्यवाही या कानूनी सजा का सवाल है तो कानून अपना काम कर रहा है. पुलिस ने एफ आई आर दर्ज कर ली है. देश के कई राज्यों में f.i.r. हो गई है. कानून को अपना काम करने देना चाहिए. मौलाना ने कहा कि अफसोस की बात यह है कि इस की आड़ में देश में शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ा जा रहा है. यह बहुत दर्दनाक है.
हमारा संविधान विरोध करने की अनुमति देता है, लेकिन विरोध में जिस तरह की हिंसा हुई जीवन और संपत्ति का नुकसान हुआ, लोगों की हानि हुई और व्यवस्था की हानि हुई, कुछ लोग मारे गए और कुछ लोग घायल हो गए? हमारा ईमान इसकी इजाजत नहीं देता, बिल्कुल नहीं.
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