New Delhi: रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि हम देश की सेना के अदम्य साहस और बहादुरी को सलाम करते हैं। देश ने सदैव हमारे जवानों के साहस, हिम्मत, जोश एवं बलिदान की परिपाटी को नमन किया है। 1947, 1962, 1965, 1971 और 1999 के युद्ध हमारे सैनिकों के शौर्य व कुर्बानी का प्रमाण हैं। स्वयं से बढ़कर ‘भारत माता की सेवा‘ और बड़े से बड़ा बलिदान देकर भी भारतीय तिरंगे को सदैव ऊँचा रखना हमारी सेना का मार्गदर्शक लक्ष्य है।
पिछले दो दशकों में हमारी सेना ने अलग अलग समय पर पूरी सटीकता और प्रभावशाली तरीके से रणनैतिक सर्जिकल स्ट्राईक की हैं। हमें गर्व है कि हमारे सैनिकों ने पिछले दो दशकों, खासकर साल, 2000 के बाद अनेक मौकों पर सर्जिकल स्ट्राईक की, जिनमें शामिल हैं - 21 जनवरी, 2000 (नडाला एन्कलेव, नीलम नदी के पार); 18 सितंबर, 2003 (बरोह सेक्टर, पुंछ); 19 जून, 2008 (भट्टल सेक्टर, पुंछ); 30 अगस्त-1 सितंबर, 2011 (शारदा सेक्टर, केल में नीलम नदी घाटी); 6 जनवरी, 2013 (सावन पत्र चेकपोस्ट); 27-28 जुलाई, 2013 (नाजापीर सेक्टर); 6 अगस्त, 2013 (नीलम घाटी); 14 जनवरी, 2014 (23 दिसंबर, 2013 को सर्जिकल स्ट्राईक बारे सेना प्रमुख, जनरल बिक्रम सिंह का बयान); 28-29 सितंबर, 2016 (डीजीएमओ का बयान)।
28-29 सितंबर, 2016 की सर्जिकल स्ट्राईक के बाद, कांग्रेस पार्टी, श्रीमती सोनिया गांधी और श्री राहुल गांधी ने आतंक के ढांचे को ध्वस्त करने के लिए हमारे सैनिकों की प्रशंसा की व साहस बढ़ाया।
इसके विपरीत, प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सदैव हमारे जवानों के ‘शौर्य व बलिदान’ की कसौटी पर भी राजनीतिक रोटियां सेकने का काम करते आए हैं। भाजपा अध्यक्ष, अमित शाह ने तो 5 युद्धों एवं अनेकों सर्जिकल स्ट्राईक्स में हमारे सैनिकों द्वारा दिए गए बलिदान को 7अक्टूबर, 2016 के वक्तव्य में नकार कर हमारे सैनिकों के शौर्य को अपमानित तक किया।
सच्चाई तो यह है कि मोदी सरकार ने पिछले साढ़े चार सालों में देश की सुरक्षा से घोर खिलवाड़ किया है और देश हित के साथ न माफ किया जाने वाला धोखा। कमज़ोर मोदी सरकार के ढुलमुल रवैये व बेमेल राजनैतिक दिशा के चलते भारत की सीमाओं पर दुश्मन द्वारा लगातार गोलाबारी जारी है व देश की आंतरिक सुरक्षा खतरे में है।
हम माननीय प्रधानमंत्री जी से 10 प्रश्न पूछना चाहते हैं:-
1. प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ने ‘वन रैंक, वन पेंशन’ खारिज कर देश के सैनिकों के साथ छल-कपट क्यों किया?
प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ने सैनिकों और पूर्व सैनिकों से वादा तो किया, पर ‘वन रैंक, वन पेंशन’ खारिज कर इसे ‘वन रैंक, पांच पेंशन’ क्यों बना डाला?क्या प्रधानमंत्री जानते हैं कि देश के पूर्व सैनिक अपना अधिकार मांगने के लिए आपके क्रूर अत्याचारों के शिकार हैं?
2. प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ने हमारी ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के साथ खिलवड़ क्यों किया?
क्या यह सही नहीं कि मोदी सरकार के पिछले 52 महीनों में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के चलते अकेले जम्मू-कश्मीर में 414 जवान शहीद हुए और 259 नागरिकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा? क्या यह सच नहीं कि हमारी सुरक्षा चौकियों पर 16 बड़े आतंकवादी हमले हो चुके, जिनमें सीआरपीएफ कैंप, आर्मी कैंप, एयरफोर्स स्टेशन और मिलिटरी स्टेशन (पैम्पोर, ऊरी, पठानकोट, गुरदासपुर, अमरनाथ यात्रा हमला, सुंजवान आर्मी कैंप के हमले शामिल हैं), जिनमें सैकड़ों बहुमूल्य जानें गईं? क्या यह सच नहीं कि पाकिस्तान द्वारा शहीद मनदीप एवं शहीद नरेंद्र सिंह जैसे जवानों के सर काट लिए गए और उनके शरीर को क्षतविक्षत कर दिया गया, पर मोदी सरकार केवल मूक दर्शक बनी देखती रही?
3. क्या प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ‘भारत की सीमाओं’ की रक्षा करने में विफल हैं?
क्या प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ने भारत की सुरक्षा को भयंकर खतरे में नहीं डाला? क्या मई, 2014 के बाद पाकिस्तान द्वारा नियंत्रण रेखा उल्लंघन करने की घटनाओं में 500 प्रतिशत की वृद्धि नहीं हुई?
क्या यह सही नहीं कि पाकिस्तान नियंत्रण रेखा और अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर मई, 2014 के बाद 3000 से अधिक बार घुसपैठ कर चुका है? अब ‘56 इंच का सीना’ कहाँ छुप गया? अब लाल-लाल आंखें कहां हैं?
क्या 28 सितंबर, 2016 को हमारी साहसी सेना की करारी सर्जिकल स्ट्राईक के बावज़ूद मोदी सरकार अपना राजधर्म निभाने में नाकामयाब नहीं हुई?क्या मोदी सरकार की ढुलमुल नीतियों के चलते, पाकिस्तान द्वारा (28 सितंबर, 2016 के बाद) 1604 बार घुसपैठ नहीं की गई व क्या हमारे 29 जवान इन हमलों शहीद नहीं हुए?
4. प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ने 27 मार्च, 2016 को पठानकोट में हुए पाक प्रायोजित आतंकवादी हमले की जाँच करने के लिए उग्रवादियों की संरक्षक, ‘पाकिस्तानी आईएसआई को आमंत्रित क्यों किया’?
भाजपा अध्यक्ष, श्री अमित शाह ने 30 मार्च, 2016 को कोलकाता में सार्वजनिक रूप से यह बयान देकर कि ‘पठानकोट आतंकवादी हमले की जाँच में पाकिस्तान ने गंभीरता से प्रयास किए हैं’, पाकिस्तान की आईएसआई की सराहना क्यों की?
क्या इसके बाद 5 अप्रैल, 2016 को आईएसआई ने यह दावा नहीं किया, कि पठानकोट में भारत ने अपने सैनिक खुद मारे हैं?
क्या पूर्व आईएसआई प्रमुख, ले. जनरल, असद दुरानी ने यह नहीं कहा कि आईएसआई श्री नरेंद्र मोदी को भारत का प्रधानमंत्री बनाए रखना चाहता है?
क्या इससे यह साबित नहीं होता कि पाकिस्तानी आईएसआई और मोदी-शाह की जोड़ी के बीच महागठबंधन है?
5. प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ने ‘भारत के रक्षा बजट में कटौती’ क्यों की?
क्या यह सच नहीं कि मोदी सरकार ने 2018-19 के बजट में सेना के लिए जीडीपी का केवल 1.58 प्रतिशत आवंटन ही किया, जो 1962 के बाद सबसे कम आवंटन है? भाजपा हमारी सेना के साथ सौतेला व्यवहार क्यों कर रही है?
6. प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी हमारी सेना की ‘रक्षा तैयारी’ को षडयंत्रकारी रूप से कमजोर क्यों कर रहे हैं?
क्या यह सही नहीं कि मेजर जनरल, बी सी खंडूरी की अध्यक्षता में संसदीय रक्षा कमेटी ने हमारी सेना की जरूरतों को जानबूझकर मोदी सरकार द्वारा नज़रंदाज करने का शर्मनाक खुलासा किया, और यह भी बताया कि सेना के 68 प्रतिशत उपकरण बहुत पुराने हो चुके तथा हथियारों की इमरजेंसी खरीद के लिए भी सेना के पास पैसे नहीं?
क्या सुरक्षा कमेटी इस नतीजे पर नहीं पहुंची कि मोदी सरकार द्वारा सेना को चीन की सीमा पर रणनैतिक सड़कें बनाने के लिए संसाधन नहीं दिए गए?
मोदी सरकार ने यह रिपोर्ट मिलने के बाद, कमियों को दूर करने की जगह, मेजर जनरल, बी सी खंडूरी को संसदीय रक्षा कमेटी के अध्यक्ष पद से क्यों हटा दिया?
7. डोकलाम में चीन के गैरकानूनी कब्जे एवं बख्तरबंद हथियारों के बारे प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ‘मौन मोदी’ क्यों बने हैं?
क्या यह सच नहीं कि डोकलाम में भारतीय सेना की पोस्ट से 10 मीटर दूर तक चीन की सेना ने पूरी तरह से व्यापक मिलिटरी कॉम्प्लैक्स बना लिया है,जिसमें 7 हैलीपैड, कॉन्क्रीट संरचनाएं, सड़कें और दर्जनों हथियारबंद वाहन शामिल हैं।
क्या यह सच नहीं कि चीन ने दक्षिण डोकलाम में एक सड़क बनाकर ‘चिकन नेक’- सिलिगुड़ी कॉरिडोर तक घुसपैठ नहीं कर ली? मोदी जी की लाल आंखें अब कहां गईं?
8. क्या भारतीय वायुसेना के लिए जरूरी लड़ाकू राफेल जहाजों की संख्या, 126 से घटाकर 36 करने का एकतरफा निर्णय ले प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ने ‘देशहित के साथ गंभीर खिलवाड़’ नहीं किया?
राफेल घोटाले पर मोदी सरकार पर्दा डालने की कोशिश क्यों कर रही है? क्या यह सही नहीं कि कांग्रेस-यूपीए सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय टेंडर के माध्यम से प्रति राफेल जहाज 526 करोड़ रु. की कीमत (समेत ट्रांसफर ऑफ टेक्नॉलॉजी) में खरीदने का निर्णय किया था? फिर मोदी सरकार ने इसे खारिज क्यों किया?
प्रधानमंत्री, श्री मोदी ने किन कारणों से वही राफेल लड़ाकू जहाज, 300 प्रतिशत अधिक मूल्य, यानि 1670 करोड़ रु. प्रति जहाज (बगैर ट्रांसफर ऑफ टेक्नॉलॉजी) में खरीदने का निर्णय ले देश को 41,205 करोड़ रु. का चूना क्यों लगाया?
प्रधानमंत्री ने सरकारी कंपनी, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को इस सौदे से दरकिनार कर 30,000 करोड़ रु. का ‘ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट’ श्री अनिल अंबानी की कंपनी, रिलायंस डिफेंस को क्यों दे दिया?
9. क्या कारण है कि कांग्रेस-यूपीए सरकार द्वारा 64,678 करोड़ रु. के खर्च तथा 90,274 सैनिकों के साथ चीन की सीमा पर ‘माउंटेन स्ट्राईक कॉर्प्स’ नामक स्पेशल रेजिमेंट बनाने के फैसले को प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ने चीन के सामने नतमस्तक हो दरकिनार कर दिया?
क्या इससे देश की पूर्वी सीमा की सुरक्षा को गंभीर खतरा नहीं हुआ?
10. क्या प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ने नक्सलवाद को सिर उठाने, हमारे सैनिकों एवं नागरिकों पर हमला करने तथा देश में हिंसा का माहौल पैदा कर भारत की आंतरिक सुरक्षा से गंभीर समझौता नहीं किया?
क्या यह सच नहीं कि साल, 2015 के बाद मोदी सरकार की नाक के नीचे हुए 3200 नक्सली हमले हुए, जिनमें 237 जवान शहीद हो चुके और 380 से अधिक नागरिक मारे जा चुके?
क्या यह सच नहीं कि नक्सलवाद पर लगाम लगाने के लिए ठोस नीति बनाने में प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी विफल साबित हुए हैं?
इंडियन एक्स सर्विसमैन के अध्यक्ष और ओ.आर.ओ.पी. आंदोलन के प्रमुख नेता मेजर जनरल (रि.) सतबीर सिंह ने कहा कि मैं सीधा अपने मुद्दों पर आता हूँ। डीटेल में, सुरजेवाली जी ने आपको ये प्रश्न नेशनल सिक्योरिटी के बारे में बोले हैं। हम भी पिछले 1200 दिन से पूरे देश भर में 153जगह के ऊपर और यहाँ दिल्ली में जंतर-मंतर पर बैठे हुए हैं। देश की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए आज जो सवाल सुरजेवाला जी ने उठाए हैं,ये न सिर्फ नेशनल सिक्योरिटी के लिए बल्कि पूरे देश के रेजिडेंट से भी जुड़े हुए हैं। सरकारें आती हैं, फिर दूसरी सरकारें बनती हैं लेकिन देश का सिपाही देश की सेवा में अपनी जान की कुर्बीनी के लिए हमेशा तैयार रहता है। ‘जन्म देते रहो मुझको मार-मार कर बार-बार और हर बार मैं होता रहूँ कुर्बान ए वतन’ ये है एक सिपाही के दिल की पुकार। हमने 2014 में, जब रेवाड़ी में जाकर, उस वक्त प्रधानमंत्री जी नॉमिनी थे उनको सुना और मैं भी था वहाँ पर जब उन्होंने कहा था कि हम देश की सुरक्षा को और ज्यादा बढ़ाएंगे।
जब हमारे एक सिपाही हेमराज जी का सिर काट लिया पाकिस्तानियों ने तो सुषमा जी उनके घर जाकर आगरा में बोली कि हम ऐसी पॉलिसी बनाएंगे कि अगर पाकिस्तान एक सिर लेकर जाता है तो हम दस सिर लेकर आएंगे। ऐसी हमें उम्मीद थी तो हमने उस वक्त आज की पार्टी जो सरकार में हैं, उनको सपोर्ट किया, हम सब सैनिकों ने और आप सबको मालूम है कि वो बहुमत से आए लेकिन आने के बाद उन्होंने देश की सुरक्षा की ओर कोई ऐसा ध्यान नहीं दिया जो इन नीतियों को दर्शाए ग्राउंड के ऊपर। पाकिस्तान हर रोज हमे थाउजेंड कट से ब्लीड कर रहा है और हम अब की बार मार, अब की बार मार, अब की बार मार ये पॉलिसी लेकर चल रहे हैं और हमारे यहाँ हर रोज कहीं न कहीं, किसी न किसी एक फील्ड पर हमारे एक सैनिक का सिर तिरंगे में लिपटकर आ जाता है।
आज हम जो सैनिक आज यहाँ बैठे हैं, हमने ये उम्मीद करी थी, आपसे गुजारिश करने के लिए कि सरकार एक पार्टी बनाती हैं और एक प्रिंसिपल अपोजिशन पार्टी होती है, उनकी भी ये ड्यूटी है कि वो नेशनल सिक्योरिटी के सवालात उठाकर सरकार से अपनी बात कहे और सरकार के ऊपर इतनी बातें आए ताकि सरकार जो सही रास्ता है, जो देश के हित में है वो अपनाए, इसलिए हमको ये कह देना कि हम फौजी अभी थोड़े से बैठे हैं हम इस पार्टी में घुस गए, हम उस पार्टी में घुस गए। साथियों, आज मैं आपके माध्यम से पूरे देश से कहना चाहता हूँ कि हम सैनिक देश के हैं और हम सैनिक जो सरकार है उसकी पॉलिसी को फॉलो करते हैं और बाकी हमारे सारे लोग जो भी सरकार पार्टी में हो उसको मदद करते हैं। पार्लियामेंट में, हमारा पूरा जो स्ट्रक्चर है उसको देखभाल करते हुए उनका भी ये धर्म बनता है, ड्यूटी बनती है कि हमारे मुद्दे उठाए। इसलिए आज हम यहाँ पर कांग्रेस पार्टी के हेडक्वार्टर में आए हैं। आपको मालूम है कि 2016, 11 सितम्बर के बाद आज के जो हमारे वित्त मंत्री और पूर्व में रक्षा मंत्री टेम्परेरी थे, उन्होंने रोक लगा दी है, कि कोई समाचार पत्र हमारी बातचीत पब्लिश नहीं करते हैं तो इसलिए आज ये मौका मिला है यहाँ प्रेस कांफ्रेंस का एक ऐसे मुद्दे के ऊपर जो हमारे देश को एक सिर्फ वोट बैंक न देखते हुए, देश की सुरक्षा सबसे ऊपर होनी चाहिए और आपके माध्यम से हम पूर्व सैनिक, अगर ये पूरे देश में दुनिया भर में बताएं कि National security cannot be bargained, cannot be left to these issues of one to another. और मैंने किया ये और तू भी कर दे।
देश की सुरक्षा हम सब का दायित्व है। जिसमें आपकी एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है ताकि देशवासियों को सही इंफोर्मेशन मिले। आपके माध्यम से तो साथियों हम ये कह सकते हैं कि देश की सरकार से जो 10 पॉइंट तो है ही है, कई और मुद्दे जिनके ऊपर वायदा किया गया, जो बोले गए उनको ग्राउंड पर लागू नहीं किया, बातों में रह गए, यहाँ तक कि हमें छोटी-छोटी बातों के ऊपर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटकाना पड़ा। हमारे जो डिसेबल्ड सोल्जर हो गए, 700 केस ऐसे डाले गए, उनका काऊंटर इन्होंने किया जो हम जीत गए थे नीचे से, उनमें से सरकार सिर्फ 3 केस जीती और 697 केस सरकार हार गई तो You can see the magnitude of injustice. तो साथियों कह देना और ग्राउंड पर करना नहीं, करनी और कथनी में फर्क डाल देना, ये हम सब पूर्व सैनिक समझते हैं कि ये ठीक नहीं है देश के लिए। हम तब भी जब सर्विस में थे देश के सैनिक थे आज भी हम पूर्व सैनिक देश की सेवा में लगे हुए हैं। आप सब से प्रार्थना है कि आप ये जो फर्क कर जाते हैं, जो आज सर्जिकल स्ट्राइक हुई, सर्जिकल स्ट्राइक कोई आज नहीं हुई, जब मैं एनडीए में 16 साल का बच्चा गया था तब भी हमने सीखा था कि Action behind the enemy line और हम वहाँ जाते रहे।
1971 की लड़ाई में मेरी सर्विस सिर्फ पाँच साल की थी, हमने दुश्मन की एक गन पोजीशन को उड़ाना था, पुंछ सेक्टर में, तो दुश्मन की गन कहाँ होगी?दुश्मन के एरिया में, हमारे कमांडो वहाँ गए पहले दिन तो वो उसको पूरा नहीं कर पाए और उनका जो सरप्राईज था लूज हो गया और मैंने अपने कान में रेडियो सेट लगाया हुआ था अचानक एक आवाज आई- सलमा फायर, सलमा फायर, सलमा मुस्लिम नाम है तो मैंने समझा पाकिस्तानी आ गए हमारे सेट पर। हमने जब अपने हेड क्वार्टर से पूछा तो उन्होंने बोला नो ये अपने लोग हैं, ये कोड वर्ड है, उनको विद ड्रॉ करो, आप फायर करो। तो हमने तोपखाने का फायर उनके ऊपर किया और उनको एक्जीक्यूट किया। अगले से अगले दिन फिर वो गए तो बिहाइंड एनिमी लाईन जाकर हमने उनकी 6की 6 गन बर्बाद कर दी। आपको मालूम है वो पुंछ सेक्टर में किस तरीके से आए थे तैयारी करके और किस तरीके से मार खाकर वापस चले गए। तो ये सर्जिकल स्ट्राइक हमारा ट्रेनिंग है, हमारा ऑपरेशन्स है और हम हर रोज करते हैं। लेकिन ये एक बहुत अच्छा ऑपरेशन किया गया। हम 10-11 घंटे दुश्मन के इलाके में रहे। रात को 7-8 बजे चले गए थे।
ये जो स्ट्राइक, अभी जिसकी बात हो रही है और सुबह 6-7 बजे तक वापस आए और कई कैजुअल्टीज की बातचीत हो रही हैं। जो असली बहुत कैजुअल्टीज हमने उनके ऊपर करी, तो ऐसे हर रोज जो हमारा ऑपरेशनल विंग डिप्लॉयड है और जब कभी दुश्मन फायर करता है हमारे ऊपर तो हम उसका ठीक उसी तरह जवाब देते हैं और इंफॉर्मेशन सीक करत रहते हैं। तो इसको एक मिलिट्री ऑपरेशन्स की तरह देखकर आप मिलिट्री ऑपरेशन को शाबाशी दो। ये देशवासियों को हम इंफॉर्मेशन देना चाहते हैं लेकिन उसका इस्तेमाल अगर किसी और ढंग से किया जाए तो हम समझते हैं कि ये एक सैनिक के साथ अच्छा नहीं होगा।
हमारे आज के दिन इसी कारगिल वॉर में ही 543, हमारे वीर शहीद हो गए और 1367 पूर्ण रूप से घायल हो गए ये कैजुअल्टी थी वेरी हैवी कैजुअल्टीज बट हम अपने तिरंगे को लहराने के लिए फौजी हमेशा तैयार थे इसलिए मेरे साथियों मेरी गुजारिश है सरकार को और मेरी गुजारिश है आपके माध्यम से पूरे देशवासियों को कि आप सभी को ये बताएं कि हमें अपनी फौज को उनके काम के लिए रहने दो, उनको काम करने दो, आप अपनी पॉलिसी जो एक नेशनल सिक्योरिटी की अच्छी होनी चाहिए, उसको दीजिए और हमें अपनी कार्यवाही करने दो उसे किसी पॉलिटिकल गेम के लिए या किसी और काम के लिए मत इस्तेमाल करें, ये हमारे तहेदिल से गुजारिश है और यही हम आज कहना चाहते हैं कि जो सर्जिकल स्ट्राइक बहुत अच्छा ऑपरेशन किया लेकिन उसका एक माध्यम बनाकर हम ये कहना चाहते हैं कि 16 दिसम्बर जो 1971 था जब हमने एक नया देश बना दिया वो दिन क्यों नहीं मनाया जा रहा? आज आपके माध्यम से हम रिक्वेस्ट करना चाहते हैं, हमने कई बार प्रधानमंत्री को लिखा कि आप जब 26 जनवरी और 15 अगस्त मनाते हो तो 16दिसम्बर भी एक नेशनल डे मनाना चाहिए। जिस वक्त 93000 प्रिजनर्स हमने पाकिस्तान के लिए और उस वक्त हम हर रोज ही पीछे जाते थे दुश्मन के और वहाँ से हम कैप्चर करके फिर दूसरी तरफ चले जाते थे। आपको मालूम है बांग्लादेश में क्या हुआ? और किस तरह से हमने पाकिस्तान की फौज को हराया? तो ये तो हमारा एक ऑपरेशन्स का शुरू भी है, एक्शन भी है और उसका ऑब्जेक्टिव कैप्चर करना भी है और बैटल या वॉर इसी तरह चलती जाती है। तो सुरक्षा देश की हम फौजी सैनिक करते हैं, आज एक पूर्व सैनिक होने के नाते हम आप सब से गुजारिश करते हैं कि हमें ये मौका दें कि देश की सेवा में लगे रहें और आप इसको किसी पॉलिटिकल एडवांटेज के लिए मत यूज करो। ये जो सर्जिकल स्ट्राइक्स हम डेली कर रहे हैं, हाँ ये थोड़ा बड़ा ऑपरेशन था और हमने बड़े अच्छे ढंग से इसको पूरा किया यही मेरे को आज आप सब से कहना है और आप सब से गुजारिश है कि आप इसे जितना फैलाव करें।
श्री रोहित चौधरी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि जो सर्जिकल स्ट्राईक होती हैं, वो हमारे ऑपरेशन, हमारी ट्रेनिंग, हमारे दिल, दिमाग और आत्मा का हिस्सा है, जो हम हमेशा करते रहे हैं। मेजर जनरल साहब ने इसको बड़ी अच्छी तरह से बताया है। मैं चाहता हूं कि ये जो सर्जिकल स्ट्राईक है, जिसको 24/7 हम लोग जीते हैं, एक्शन करते हैं और उसको एक दिन ना देकर 24/7 हमारे जो सैनिक वहाँ पर शहीद हो रहे हैं, लड़ाई लड़ रहे हैं, घायल हो रहे हैं, उसके लिए देश उनको हर रोज याद करता है। 24/7 हर रोज इसको याद रखना चाहिए। ये मैं कहना चाहता हूं। इसके बाद अगर इस चीज को इतना बड़ा बनाकर देखना चाहते हैं तो मैं अपने प्रधानमंत्री जी से 4-5 चीजें पूछना चाहता हूं।
अगर आप सैनिकों के साथ खड़े दिखाई देना चाहते हैं तो चार साल से आपने जो वन रैंक वन पेंशन का वायदा किया था, उसको आज तक क्यों नहीं इम्लिमेंट किया गया? आज सैनिक समाज इस वजह से पूरी तरह से आंदोलित है, उत्पीड़ित है और अपनी सरकार से कहना चाहता हूं कि वन रैंक, वन पेंशन को तुरंत, immediately without delay and without dilution बिना देरी के, बिना डिल्यूशन इसको इम्पलिमेंट करें।
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