प्रियंका गांधी ने वाराणसी जनसभा में मोदी सरकार को घेरा
प्रियंका गांधी ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि उपस्थित प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी, फ्रंटल विभाग, प्रकोष्ठ के पदाधिकारी, सभी जिला, शहर अध्यक्ष, युवा किसान, महिला और मीडिया के मेरे साथी, आप सबका इस सभा में बहुत-बहुत स्वागत।
नवरात्रि चल रही है। इस समय मुझे उचित लगा कि मैं आपसे अपने दिल की बात कहूं। जो सच्चाई मैंने उत्तर प्रदेश में पिछले दो सालों से देखी है, जबसे मैं यहाँ पर काम कर रही हूं। वो सच्चाई मैं आपके सामने रखना चाहती हूं।
शुरु में जब मैंने यहाँ काम करना शुरु किया, तो एक घटना हुई, यहाँ से कुछ ही दूर,सोनभद्र में। इस घटना में 13 आदिवासी खेत में काम कर रहे थे, जब पुलिस प्रशासन की सहमति से कुछ लोग उनकी जमीन लेने की कोशिश कर रहे थे। वो लोग ट्रैक्टर, जीप लेकर आए और उन्होंने मार पीट की, गोली चलाई और 13 आदिवासियोंको शहीद किया, सोनभद्र में नरसंहार हुआ।
जब मैं उनसे मिलने गई, तो मेरे मन में एक बात बहुत स्पष्ट मुझे लगी। जिस परिवार के पास मैं जा रही थी, वे कह रहे थे। हमें मुआवजा नहीं चाहिए, हमें पैसा नहीं चाहिए किसी सरकार का। हमें न्याय चाहिए, लेकिन दीदी, हमें न्याय की उम्मीद नहीं है।
उनके पिता जी ने मुझसे कहा कि उनको घर के बाहर निकालकर उन्हें पीटा गया था, उनके बच्चों को धमकाया गया था, उनकी 9 साल की एक पोती को धमकाया गया था, लेकिन उनको न्याय की कोई उम्मीद नहीं थी। वे सिर्फ न्याय चाहते थे, लेकिन न्याय की उम्मीद नहीं थी उन्हें।उन मामलों में भी भाजपा के एक पूर्व विधायक, भाजपा के एक प्रधान के बेटे, भाजपा के एक कार्यकर्ता, तीनों मामलों में वो इन्वोल्व थे।
उसके बाद कोरोना हुआ। कोरोना के समय जहाँ से रिपोर्ट आई, वहाँ से वही रिपोर्ट आई कि जनता त्रस्त है, परेशान है और सरकार मदद की बजाए आक्रमक हो गई है।जो भी सुविधाएं थी, अगर कोई कहता था कि मेरे पास सुविधा नहीं है, मेरे पास ऑक्सीजन नहीं है, कोई अस्पताल ने कह दिया कि ऑक्सीजन खत्म हो रहा है, तो सरकार उन पर आक्रमण कर रही थी। उनको न्याय की उम्मीद नहीं थी। उनको ये उम्मीद नहीं थी कि ये सरकार संकट के समय उनकी मदद करेगी।
उसके बाद हाथरस का हादसा हुआ। जिसमें आप सबने देखा कि सरकार ने अपराधियों पर आक्रमण नहीं किया, सरकार ने अपराधियों को नहीं रोका, सरकार ने पीड़ित परिवार के सदस्यों को अपनी बेटी की चिता जलाने से रोका।उनको ले भी नहीं गए साथ, पुलिस प्रशासन ने चिता जला दी। उस परिवार ने भी मुझे कहा कि दीदी हमें न्याय चाहिए, लेकिन न्याय की हम उम्मीद नहीं रख सकते।
आज लखीमपुर खीरी में जो हुआ, पिछले हफ्ते से हम देख रहे हैं, इस देश के गृह राज्यमंत्री के बेटे ने अपनी गाड़ी के नीचे, अपनी जीप के नीचे 6 किसानों को निर्ममता से कुचल दिया और सब परिवार, 6 के 6 परिवार ये कहते हैं कि हमें पैसे नहीं चाहिए, हमें मुआवजा नहीं चाहिए, हमें न्याय चाहिए। लेकिन हमें न्याय दिलवाने वाला इस सरकार में हमें नहीं दिख रहा है।
आपने देखा कि सिर्फ सरकार पूरी तरह से उस मंत्री और उस मंत्री के बेटे के बचाव में लगी रही। पुलिस और प्रशासन विपक्ष के नेताओं को रोकने में लगी थी। जब मैंने रात में वहाँ जाने की कोशिश की तब हर सड़क पर पुलिस थी। मुझे रोकने की कोशिश की, तमाम पुलिस के घेरे थे, नाकाबंदियां थी। जो परिवार है, पीड़ित परिवार है, उनके घरों में उन्हें नजरबंद किया गया। लेकिन अपराधी को पकड़ने के लिए एक भी पुलिस वाला नहीं निकला। अपराधी के घर में उन्होंने निमंत्रण भेजा कि आप आकर हमसे बात करिए।आपने किसी भी देश में, दुनिया के किसी भी देश में या इस देश के इतिहास में आपने कभी ऐसा देखा है कि एक आदमी 6 किसानों को कुचल दे, 6 लोगों की हत्या कर दे और उसको पुलिस निमंत्रण दे रही है कि आईए हमसे बात करिए? आपने कहीं ये देखा है बताइए?
कभी भी इस देश और इस दुनिया के इतिहास में ऐसा नहीं हुआ होगा। यहाँ के मुख्यमंत्री मंच पर बैठे हुए उस मंत्री का बचाव कर रहे थे, जिसके बेटे ने ऐसा काम किया जो प्रधानमंत्री लखनऊ आ सकते थे, प्रदर्शन को देखने के लिए, उत्तर प्रदेश के प्रदर्शन को देखने के लिए, आजादी के प्रदर्शन को देखने के लिए, वो दो घंटे की दूरी पर लखीमपुर खीरी नहीं जा सकते थे, उन किसानों के हाथ पकड़ने के लिए, उनके आंसू पोंछने के लिए। ये आजादी किसने दी? जिस आजादी का आप अमृत महोत्सव मना रहे हैं ये आजादी किसानों ने ही दिलवाई है।
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