पंजाब: मुस्लिम MLA होने के बावजूद केजरीवाल ने कैबिनेट में नहीं दी जगह, दिल्ली दंगों के बाद से AAP की इमेज पर उठ रहे हैं सवाल
नयी दिल्ली: भगवंत मान सिंह के पंजाब की कमान संभालने के बाद आज मंत्रिमंडल का एलान भी हो गया और मंत्रियों ने शपथ भी ले लिया. 10 मंत्री अलग-अलग कोटे से बनाए गए, जिसमें महिलाओं को भी शामिल किया गया, लेकिन आम आदमी पार्टी के मंत्रिमंडल में 10 में से कोई भी मुसलमान नजर नहीं आया. ज्ञात रहे कि इस से पहले भी आम आदमी पार्टी पर मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लगता रहा है और उस पर यह आरोप है कि वह बीजेपी की बी टीम के तौर पर नहीं बल्कि असली बीजेपी के तौर पर काम कर रही है और जहां जहां संघ बीजेपी और कांग्रेस के मुकाबले में बीजेपी को कमजोर पाता है वहां वह आम आदमी पार्टी को आगे करके कांग्रेस मुक्त भारत बनाने की दिशा में काम कर रहा है और पर्दे के पीछे से वह आम आदमी पार्टी को सपोर्ट करता है.
अन्ना मूवमेंट पर भी शुरू से यही सवाल उठता रहा कि वह बीजेपी और आरएसएस समर्थक मोमेंट था लेकिन अब उसकी परतें भी धीरे-धीरे खुलती जा रही हैं और यह स्पष्ट हो रहा है कि उस मूवमेंट को समर्थन देने में सबसे बड़ा हाथ आरएसएस या उस की सिस्टर संगठनों का था. इन सवालों और आरोपों को इसलिए भी बल मिलता है कि जब दिल्ली दंगा हुआ तो उस वक्त भी अरविंद केजरीवाल की कोई ऐसी भूमिका नजर नहीं आई जिससे यह दिखाई दे कि वह दिल्ली दंगे को रोकने या दोषियों को सजा दिलाने में किसी तरह का कोई संकल्प रखते हैं या पीड़ितों से उनकी कोई हमदर्दी है.
दिल्ली दंगे के बाद अरविंद केजरीवाल पर कई तरह के सवाल भी उठे और CAA NRC मूवमेंट के दौरान अरविंद केजरीवाल के बीजेपी और संघ के लिए काम करने के आरपों को उस वक़्त बल मिला जब उन्होंने कहा कि अगर पुलिस उनको दे दी जाए तो वह शाहीन बाग धरना 2 मिनट में खत्म करवा देंगे.
उन्हों ने इस बात का संकेत दिया कि जो काम बीजेपी नहीं कर पा रही है अगर केजरीवाल को पावर मिल जाए तो वह काम आसानी से कर सकते हैं. साथ ही दिल्ली में उर्दू टीचरों य मुस्लिम इलाकों की बदहाली को लेकर भी आम आदमी पार्टी पर सवाल उठते रहे हैं और अल्पसंख्यकों से संबंधित संस्थानों में ऐसे लोगों की नियुक्ति जो प्रभावहीन हों इस से भी इस बात का संदेश जा रहा है कि वह किसके लिए काम कर रहे हैं और उन आरोपों को बल मिल रहा है कि वह बीजेपी की असल टीम हैं.
आज जब पंजाब में मंत्रिमंडल का गठन हुआ और मलेरकोटला से एक मुस्लिम एमएलए मोहम्मद जमील उर रहमान के होने के बावजूद जब उनको स्थान नहीं दिया तो इन सवालों को और बल मिल गया कि कैसे धीरे-धीरे सियासत से अरविंद केजरीवाल मुसलमानों को डेवलपमेंट के नाम पर आउट करना चाहते हैं और उनका डेवलपमेंट मॉडल भी धीरे-धीरे गुजरात मॉडल की तरह सामने आ रहा है.
ज्ञात रहे कि मलेरकोटला से आम आदमी पार्टी के इकलौते विधायक मोहम्मद जमील उर रहमान जीत कर के आए हैं और इन को मंत्रिमंडल में कोई जगह नहीं मिली है. इस संबंध में जब मोहम्मद जमील उर रहमान से वतन समाचार ने बातचीत का प्रयास किया और उन से मंत्री न बनाये जाने का सबब जानना चाहा तो वह सवालों से वह बचते नजर आए और उन्होंने यह कह कर के फ़ोन अपने पीए शमशुल को दे दिया कि साहब मीटिंग में है, थोड़ी देर में आपसे बात हो जाएगी. इससे इस इस बात का संकेत मिलता है कि किस तरह से मोहम्मद जमील उर रहमान भी डरे हुए हैं कि कहीं ऐसा ना हो कि उनको पार्टी से ही निकाल दिया जाए अगर वह अपनी बात सामने आ करके रखते हैं तो.
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