अपनी संपत्ति और डी.पी.एस स्कूल को बचाने के लिए रहमान खान कर रहे हैं कांग्रेस पर हमला?
खुद को उपेक्षित महसूस करता हूं, मुस्लिम समुदाय के सही लोगों को प्रतिनिधित्व नहीं दे रही है कांग्रेस: रहमान खान
नई दिल्ली, 28 नवंबर: कांग्रेस पार्टी में रहकर लंबे समय तक सत्ता की मलाई खाने के बाद अब पार्टी के विपक्ष में आने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा के पूर्व डिप्टी चेयरमैन रहमान खान ने अपनी ही पार्टी पर हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया है कि पार्टी मुसलमानों को तवज्जो नहीं दे रही है। उन्होंने कहा है कि वह पार्टी में खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं जिसके बाद कई सारे सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं। उन्होंने पीटीआई-भाषा न्यूज़ एजेंसी को दिए अपने इंटरव्यू में कहा है कि वह खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं, मुस्लिम समुदाय के लोगों को पार्टी में सही प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है और ना ही सही लोगों को प्रतिनिधित्व मिल रहा है।
इसके बाद चर्चा हो रही है कि रहमान खान जब राजनीति में आखिरी पड़ाव पर हैं तब उनको यह सवाल क्यों आया? जब वह सत्ता में थे केंद्रीय मंत्री थे और राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन समेत कई पदों पर कार्यरत थे तब उनको अपनी कौम का ख्याल क्यों नहीं आया? कि लोगों को मजबूत करना चाहिए। आज सवाल ये भी पैदा हो रहा है कि जब रहमान खान 6 डी.पी.एस स्कूलों समेत एक बड़ी संपत्ति के मालिक हैं और अमानत बैंक से लेकर ख्यानत बैंक तक की बातें हो रही हैं ऐसे में रहमान खान ने अपनी संपत्ति बचाने के लिए तो इस तरह का बयान नहीं दिया है? और अपनी ही पार्टी पर लगातार प्रहार करने में जुट गए हैं।
हालांकि रहमान खान ने वतन समाचार से बातचीत में इस तरह के आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि वह शुरू से कांग्रेस पार्टी में हैं और हमेशा कांग्रेस पार्टी में रहेंगे लेकिन उन्होंने एक आईना दिखाने का प्रयास किया है, ताकि लोगों को सच्चाई समझ में आए और लोग पार्टी के नेता न बन कर, अपनी कौम और अपने समाज का प्रतिनिधित्व करें और उनकी समस्याओं को संसद के सामने रखें ताकि उसका सही समाधान हो सके। रहमान खान ने कहा कि वह कांग्रेस पार्टी को कमजोर करने या पार्टी पर आरोप लगाने के लिए इस तरह का बयान नहीं दे रहे हैं बल्कि वह अपनी कम्युनिटी के लोगों को भी निमंत्रण दे रहे हैं कि वह आत्म चिंतन करें कि गलती कहां हो रही है?
रहमान खान ने पार्टी के भीतर खुद को ‘उपेक्षित’ करार देते हुए रविवार को कहा कि पार्टी मुस्लिम समुदाय से सही लोगों को प्रतिनिधित्व नहीं दे रही है और अब मुसलमानों को देश के सबसे पुराने दल को लेकर अपनापन महसूस नहीं हो रहा है, जिसका खामियाजा पार्टी भुगत रही है।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पदासीन मुस्लिम नेताओं की योग्यता पर भी सवाल खड़े किए और दावा किया कि राष्ट्रीय संगठन में मुसलमान समुदाय से सही लोगों को जगह नहीं दी गई है।
राज्यसभा के पूर्व उपसभापति ने यह भी स्पष्ट किया कि वह आजीवन ‘कांग्रेसमैन’ रहेंगे क्योंकि पार्टी छोड़ना उनके डीएनए में नहीं है।
उन्होंने यह टिप्पणी उस वक्त की है जब ऐसी खबरें हैं कि चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कर्नाटक में कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की है, जिसे इन नेताओं को तृणमूल कांग्रेस में शामिल कराने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। खान का कहना है कि उनकी किशोर के साथ कोई मुलाकात नहीं हुई है।
रहमान खान संप्रग सरकार के समय 2004 से 2012 तक राज्यसभा के उपसभापति और 2012 से 2014 तक अल्पसंख्यक कार्य मंत्री रहे। वह 1994 से 2018 तक लगातार राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं।
‘‘इंडियन मुस्लिम: द वे फॉरवर्ड’’ नामक पुस्तक लिखने वाले 82 वर्षीय खान ने कहा, ‘‘देश की 20 करोड़ की आबादी को लगता है कि उसके नेतृत्व की कोई पहचान नहीं है। यह राजनीतिक नेतृत्व देने की उम्मीद कांग्रेस से ही की जा सकती है। कांग्रेस ने (मुस्लिम समुदाय से) अच्छे नेताओं को आगे बढ़ाने को तवज्जो नहीं दी। अगर आप मुस्लिम समुदाय से किसी को भी आगे लाते हैं तो उसकी लोकप्रियता उसके समुदाय में होनी चाहिए। सिर्फ नाम से नुमाइंदगी देने से नेतृत्व नहीं उभरता है।’’
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘कांग्रेस में मुस्लिम नेतृत्व नहीं उभर पाया है। यह जरूर है कि दूसरे दलों के मुकाबले कांग्रेस ने मुसलमानों को ज्यादा प्रतिनिधित्व दिया, लेकिन यह प्रतनिधित्व देते समय यह ख्याल नहीं किया गया कि कौन सही नेतृत्व है।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या मुस्लिम समुदाय से योग्य लोगों को पार्टी में नहीं बढ़ाया जा रहा है तो रहमान खान ने कहा, ‘‘जी बिल्कुल।’’
कई राज्यों में कांग्रेस से मुस्लिम समुदाय की दूरी के सवाल पर पूर्व अल्पसंख्यक कार्य मंत्री ने कहा, ‘‘एंटनी समिति की रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस को लगा कि हमें ‘मुस्लिम पार्टी’ माना जा रहा है जिससे हिंदू हमसे दूर हट रहा है। अब मुसलमानों के बारे में खुलकर बात करने से पार्टी पीछे हट रही है। पार्टी की यह कमी है कि वह सिद्धांतों के मुताबिक नहीं जा रही है।’’
रहमान खान ने जोर देकर कहा, ‘‘अल्पसंख्यक 70 साल से आपके साथ खड़ा था और आपको सत्ता में लाने के लिए एकजुट होकर काम करता था। लेकिन अब मुसलमानों को यह शक हो रहा है कि कांग्रेस हमें छोड़ रही है। इसी का खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ रहा है। जहां भी मुसलमानों के सामने विकल्प है, वहां वो कांग्रेस से दूर चले जा रहे हैं।’’
उनके मुताबिक, ‘‘जब आप मुसलमानों के लिए अपनापन नहीं दिखा पा रहे हैं, दूरी नजर आ रही है तो यह होना तय है। ओवैसी जैसे नेता उभर रहे हैं जिनकी राजनीति से मैं इत्तेफाक नहीं रखता।’’
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘मुसलमान अपनी सुरक्षा चाहता है, धर्मनिरपेक्षता एवं संविधान की रक्षा चाहता है। जब इन विषयों को लेकर टकराव पैदा हो, तो पार्टी को खुलकर खड़ा होना चाहिए। मुसलमान महसूस कर रहा है कि उनसे जुड़े मुद्दों पर कांग्रेस, सपा और बसपा जैसी पार्टियां बैकफुट पर हैं, जबकि इन लोगों ने लंबे समय तक मुस्लिम वोट का फायदा उठाया।’’
यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस को मुस्लिम समुदाय में अपना आधार फिर से मजबूत करने के लिए क्या करना चाहिए? खान ने कहा, ‘‘मेरी सलाह होगी कि कांग्रेस मुसलमानों को भरोसे में ले। उन्हें महसूस होना चाहिए कि आप उनके साथ खड़े हैं।’’
उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘ऐसा नहीं चल सकता कि जो आपके ईर्द-गिर्द फिरता है, उसे आप टिकट दें, मौजूदा एआईसीसी में (मुसलमानों का) क्या प्रतिनिधित्व है? जो प्रतिनिधित्व है, वो बिल्कुल भी सही नहीं है।’’
इस सवाल पर कि क्या वह कांग्रेस को खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं? उन्होंने जवाब दिया, ‘‘पार्टी ने मुझे सब कुछ दिया है। आज मैं खुद को उपेक्षित समझता हूं, इसलिए नहीं कि मुझे कोई पद चाहिए, बल्कि इसलिए कि आप (मुस्लिम) समुदाय को लेकर मेरे अनुभव का इस्तेमाल कर सकते हैं, साथ चर्चा तक कर सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।’’
तृणमूल कांग्रेस या किसी अन्य दल में जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘मेरा व्यक्तित्व अलग है। मेरे जीवन में कई मौके आए। मैंने हमेशा यही कहा है कि मैं कांग्रेसमैन था, कांग्रेसमैन हूं और आजीवन रहूंगा। पार्टी छोड़ना मेरे डीएनए में नहीं हैं।’’
उन्होंने कहा कि कई नेता अवसर की तलाश में कांग्रेस छोड़ रहे हैं, लेकिन कुछ ऐसे वरिष्ठ नेता भी छोड़ रहे हैं जो खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं और उन्हें लगता कि उनकी बात नहीं सुनी जा रही है।
रहमान खान ने जोर देकर कहा, ‘‘पार्टी में जो भी जिम्मेदार लोग हैं, उन्हें यह सोचना चाहिए कि हमारे नेता क्यों जा रहे हैं? लेकिन यह नहीं हो रहा है। मुझे लगता है कि संगठनात्मक ढांचे में कुछ सुधार होना चाहिए।’’
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