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KCR को पहले से भी बड़ा समर्थन मिलने की असल वजह

By: वतन समाचार डेस्क

BY Mohammad Ahmad 

नयी दिल्ली: तेलंगाना विधानसभा चुनाव के नतीजों ने सभी को चौंका दिया है. तेलंगाना में जहां कांग्रेस पार्टी को अपनी जीत की उम्मीद थी, वहीं बीजेपी और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एम आई एम इस खुशी में थी कि वह सीटें कम होने की सूरत में KCR को समर्थन दे दें या वह उनसे समर्थन मांग ले, बीजेपी ने केसीआर से अपील की थी कि वह एम आई एम से समर्थन ना लें वह उनको समर्थन देने के लिए तैयार है.

 

 लेकिन तेलंगाना के वोटरों ने समर्थन और गैर समर्थन के तमाम इनकानात को खत्म करते हुए सीधे-सीधे तेलंगाना राष्ट्र समिति को अपार बहुमत देकर पहले से भी ज्यादा ताकतवर बना दिया है. ऐसे में केसीआर जो तेलंगाना के कार्यवाहक मुख्यमंत्री हैं उनकी और उनकी पार्टी की जिम्मेदारी जनता के तईं अब और बढ़ जाएगी, क्योंकि उन्होंने उन पर काफी भरोसा किया है और सामने 2019 के लोकसभा चुनाव भी हैं.

 

 इस बीच अहम बात यह है कि तेलंगाना राष्ट्र समिति को जहां देश की सर्वोच्च मुस्लिम संस्था जमात ए इस्लामी हिंद ने समर्थन दिया था वहीं  जमीयत उलेमा ए हिंद ने कांग्रेस पार्टी को अपना समर्थन दिया था. दोनों ने अपने अपने चाहने वालों से अपील की थी कि वह उनकी अपील की गई पार्टियों को अपना मत दें.

 

 इससे पहले यूपी विधानसभा चुनाव में भी मायावती को तकरीबन सभी मुस्लिम संगठनों ने जामात इस्लामी हिन्द को छोड कर एक के बाद एक समर्थन का ऐलान किया था लेकिन मायावती विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हारीं और अब तक के सबसे खराब परफॉर्मेंस के दौर से गुजर रही हैं.

 

 वहीं तेलंगाना के नतीजों ने साफ़ कर दिया है कि जमात ए इस्लामी हिंद की जमीन पर पकड़ काफी मजबूत है और वोटरों में उसकी सुनी जाती है. यही वजह है कि इस बार केसीआर को वहां के सभी लोगों के साथ साथ मुसलमानों ने भी अपना मत दिल खोल कर दिया और अपार बहुमत तक पहुंचाने में अहम रोल अदा किया.

 

जबकि जमीअत उलमा हिंद के जरिए कांग्रेस को समर्थन दिए जाने का मामला हवा हवाई साबित हो गया और कांग्रेस पहले से भी कमजोर हो गई. ऐसे में कांग्रेस पार्टी के लिए भी और जमीयत उलमा हिंद के लिए भी यह सोचने का मकाम है, क्योंकि आजादी के बाद से ही जमीअत उलमा हिंद का कोई पॉलीटिकल बैकग्राउंड नहीं है. उसके पास अपने फॉलोअर्स आलिम जरूर हैं लेकिन वह किसी को लोकसभा तक पहुंचा दें यह कहना मुश्किल होगा, जबकि जमात ए इस्लामी हिंद का अपना पॉलीटिकल बैकग्राउंड भी है और उस की अपनी एक सियासी जमात काम भी करती है. जमात ए इस्लामी हिंद के साथ न सिर्फ उलेमा बल्कि पढ़े लिखे मास्टर पूर्व जजेस जैसे क़ाबिल लोगों की एक लंबी फौज है. और वह साउथ इंडिया में नार्थ इंडिया से ज्यादा मजबूत है और आज KCR की जीत से यह प्रसिद्ध भी हो गया है कि राज्य में जमात इस्लामी की सुनी जाती है.

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