कौशांबी: उत्तर प्रदेश के कौशांबी जनपद के एसडीएम चाइल मुनीश कुमार यादव आज जिले में स्थित जामिया आरिफिया सैयद सरावां पहुंचे, जहां विश्व शांति सम्मेलन में भाग लेने के साथ ही उन्होंने नाइलेट से प्रमाणित NCPUL कंप्यूटर सेंटर का उद्घाटन किया, जिसे जामिया अरिफिया द्वारा संचालित किया जा रहा है. इस मौके पर उन्होंने कंप्यूटर सेंटर की प्रशंसा करते हुए कहा कि मदरसों में कंप्यूटर सेंटर का होना एक सुखद संकेत है. उन्होंने कहा कि यह हम लोगों की जिम्मेदारी है कि आने वाली पीढ़ियों को टेक्नोलॉजी से जोड़ने का भरसक प्रयास करें जो हमारी सरकार की प्राथमिकता है. इस मौके पर उन्होंने अपने छात्र जीवन की एक घटना साझा करते हुए कहा कि जब वह छात्र थे तो एक समय ऐसा आया जब पैसा होते हुए उन्हें फीस जमा करने के दौरान डिजिटल माध्यम ना होने से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कंप्यूटर सेंटर उनके जिले में बहुतेरे हैं लेकिन कई एक सर्टिफाइड नहीं हैं, जिसकी वजह से एसआई (SI) भर्ती के दौरान काफी लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा और वह नौकरियों से वंचित रह गए.
श्री यादव ने यह भी कहा कि अगर जामिया आरिफिया के बच्चे भविष्य में UPSC में जाना चाहते हैं तो वह अपनी सेवाएं देने के लिए तैयार हैं, साथ ही उन्होंने मदरसे के संस्थापक शेख अबू सईद (अब्बू मियां) के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह चाहेंगे कि भविष्य में भी इस तरह के अच्छे कामों से जुड़े रहें, ताकि छात्रों को ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुंचाया जा सके.
इस अवसर पर विश्व शांति सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुफ़्ती किताबुद्दीन ने कहा कि इस्लाम धर्म की यह शिक्षा है कि रंग, नस्ल और ऊंच-नीच के आधार पर किसी पर कोई श्रेष्ठता नहीं है. सबसे अच्छा इंसान वह है जो मानवता के कल्याण के लिए दुनिया में एक-दूसरे की जरूरत बने। समाज को सुंदर बनाने के लिए काम करे। अंतिम दूत मुहम्मद साहब दुनिया को एकता का पाठ पढ़ाने आए थे। मुफ्ती साहब ने आगे कहा कि धर्म हमारा जाती मामला है और इंसानियत सब के लिए है। मालिक ने सभी को कोई न कोई गुण दिया है, इसलिए दूसरों के गुणों का लाभ उठाएं और अपने गुण से लोगों को लाभान्वित करें।
जामिया आरिफिया के शिक्षक मौलाना मुहम्मद जकी ने भी इस्लाम के पैगंबर के सामाजिक जीवन पर प्रकाश डाला और पैगंबर की शिक्षाओं और भूखों को खिलाने के संबंध में इस्लाम के विचारों पर विशेष चर्चा करते हुए कहा कि सब से ज़्यादा ज़रूरी भूकों को खाना खिलाने है।
लखनऊ हाई कोर्ट के अधिवक्ता एडवोकेट सज्जाद ने कहा कि जितने धर्म हैं, किसी धर्म की कोई शिक्षा ऐसी नहीं है जो नफरत पर आधारित हो। हर धर्म शांति और सुरक्षा के सूत्र पर आधारित है, जियो और जीने दो का पाठ पढ़ाता है, इस्लाम के इतिहास में ऐसी कोई घटना नहीं जो हिंसा की बात करती हो। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर कुंवर यूसुफ मोहम्मद अमीन (एमबीबीएस) ने भी इस्लाम के पैगंबर की विशिष्ट विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पैगंबर मुहम्मद ने मनुष्य को ईश्वर से मिलाने के लिए बहुत ही सरल सूत्र दिया, मनुष्य को चाहिए कि वह अच्छे काम करे और उसके बाद ईश्वर की दया और क्षमा की आशा करे, करम पर ब्रह्मा की ही विजय होगी।
जामिया आरिफिया के छात्र समूह ने दीवान-ए सईद का प्रसिद्ध गीत "उस मलिक के जगत में नहीं कोई दूजा करतार" को भव्य तरीके से प्रस्तुत किया। अंत में मौलाना रिफअत रजा नूरी, प्राचार्य सुन्नी दारुल उलूम इलाहाबाद और हुज़ूर दाइऐ इस्लाम शेख अबू सईद की प्रार्थना के साथ सभा का समापन हुआ। गौरतलब है कि शाह सफी मेमोरियल ट्रस्ट के तत्वावधान में यह सम्मेलन खानकाह ऐ आरिफिया के परिसर में आयोजित किया गया था। सम्मेलन के अंत में लंगर-ए-आम की भी अद्भुत व्यवस्था की गई, जिससे सभी धर्म और जाती के लोग लाभांवित हुए.
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