एकनाथ शिंदे के बहुमत साबित करने पर संजय राउत ने दिया बयान, असली उद्देश्य पार्टी को तोड़ना था
महाराष्ट्र : महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे ने बहुमत साबित करके कुल 164 वोट पाकर राजनीतिक संकट का अंत कर दिया है। वहीं दूसरी ओर शिवसेना को केवल 99 वोट ही मिले। इतना ही नहीं मतदान से कुछ समय पहले ही शिवसेना के एक और विधायक विपक्ष पार्टी में शामिल होकर शिवसेना को छोड़ चुके हैं, इन सब मुद्दों पर अपनी राय रखते हुए संजय राउत में एक बयान दिया है।
संजय राउत का कहना है कि एकनाथ शिंदे को पूरे ढाई साल शिवसेना की तरफ से मौका मिलता रहा। लेकिन उस समय उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के प्रस्ताव को इंकार कर दिया। एकनाथ शिंदे सवाल करते हुए संजय राउत में कहा कि, “अब यह क्या है? अब आप अचानक से मुख्यमंत्री कैसे बनता जाते हैं? संजय राउत ने आगे एकनाथ शिंदे का उद्देश्य बताते हुए कहा कि आपका मुख्य उद्देश्य पार्टी को तोड़कर उसे कमजोर करना था।”
संजय राउत का कहना है कि, “आपको पार्टी को तोड़ कर कमजोर करना था और यही आपका मुख्य उद्देश्य भी था। लेकिन कोई भी पार्टी इस प्रकार कमजोर नहीं होती। हमारी पार्टी का ऑक्सीजन पावर और सत्ता नहीं है, कि अगर पावर या सत्ता नहीं मिलेगी तो पार्टी कमजोर हो जाएगी। पार्टी है इसलिए सत्ता आती है। पार्टी में लोग आते है और चले जाते है। हर पार्टी में ऐसा होता है। हमारी पार्टी में भी ऐसा ही हुआ।”
संजय राउत ने आने और जाने वाले लोगों को "अस्थाई लोग" का नाम देते हुए कहा कि, “यह अस्थाई लोग हैं। दूसरी पार्टी से बल मिला या दबाव या एजेंसी का खतरा होता है तो वह चले जाते हैं। यह अस्थाई लोग होते हैं। संजय राउत ने आश्वासन देते हुए कहा कि हमारी पार्टी यहां खत्म नहीं होती। बल्कि हम अपना काम फिर शुरू करेंगे। गांव गांव जाएंगे और लोगों से मिलेंगे और फिर से अच्छे कार्यकर्ता चुनकर लाएंगे।”
संजय राउत ने कसाब का उदाहरण देते हुए कहा कि, “यह लोग जब मुंबई में आए तो उन्हें इतनी सुरक्षा दी गई जितनी कसाब को भी नहीं दी गई थी। पूरी तरह आर्मी को ही महाराष्ट्र में बुला लिया गया था। अब इन लोगों के लिए मुंबई के गांव-गांव में फिर कर कार्यकर्ता ढूंढने में परेशानी होगी।
इतना ही नहीं संजय राउत ने यह भी कहा कि, “इन्हें गुवाहाटी में भी इतनी ही सुरक्षा दी गई थी। पूरी तरह इनके होटल की घेराबंदी की गई थी। इन्हें भी अंदर ही अंदर इनका मन कचोट रहा है और इन्हें लोगों का भय सता रहा है। जब यह लोग मुंबई में शिवसैनिक के तौर पर काम करते थे, तब वह शेर की तरह रहते थे। लेकिन अब वह लोगों से डर कर रह रहे हैं।”
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