शाहीन बाग़, जो रास्ता 70 दिन बाद खुला वह 70 दिन पहले भी खुल सकता था, आखिर कौन है इस का गुनहगार?
गोदी मीडिया की ओर से यह प्रचार किया जा रहा है कि शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे लोगों ने एक वैकल्पिक रास्ते को खोल दिया है जो सीधे नोएडा को कनेक्ट करता है और फरीदाबाद को भी जोड़ता है, लेकिन गोदी मीडिया के लोग यह नहीं बता रहे हैं कि जिस रास्ते को 70 दिन बाद खोला गया है उस रास्ते को अगर प्रशासन चाहता तो 70 दिन पहले भी खोला जा सकता था। उस रास्ते पर बैरीगेटिंग की कोई जरूरत नहीं थी, क्योंकि जिस रास्ते को खोला गया है उस रास्ते का प्रदर्शन से कोई लेना-देना ना पहले था और ना आज है।
यह रास्ता होली फैमिली, जामिया, बटला हाउस और अबुल फजल होते हुए नोएडा और फरीदाबाद जाता है. यह रास्ता आगे जाकर नोएडा और फरीदाबाद की तरफ मुड़ जाता है.
ऐसे में सवाल ये उत्पन्न होता है कि आखिर इस रास्ते को बंद किसने किया था? सिस्टम ने इसे खुलवाने की कोशिश क्यों नहीं की? क्योंकि इस रास्ते का प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है और प्रदर्शनकारी पहले दिन से ही स्पष्ट करते रहे हैं कि इस रास्ते से उनका कोई लेना-देना नहीं है। जिस रास्ते को आज खोला गया है वहां से 400 500 मीटर की दूरी पर प्रदर्शन हो रहा है और उस रास्ते से प्रदर्शन का कोई लेना देना नहीं है।
पुलिस की ओर से कहा जा रहा है कि जहां तक महामाया फ्लाईओवर को खोलने की बात है तो प्रदर्शनकारी जब तक एक तरफ का रोड नहीं खोल देते हैं उस वक्त तक महामाया फ्लाईओवर को नहीं खोला जा सकता है, लेकिन सवाल यह उत्पन्न होता है कि जब प्रदर्शनकारी स्पष्ट शब्दों में कह रहे हैं कि उनकी सुरक्षा की अगर सुप्रीम कोर्ट गारंटी दे तो वह एक तरफ के रास्ते को खोलने को तैयार हैं और वह रास्ता आज भी एंबुलेंस स्कूल बस या इमरजेंसी के लिए खुला हुआ है और प्रदर्शनकारी यहां गाड़ियों को रास्ता देते हैं, तो गोदी मीडिया की एकतरफा रिपोर्ट और लोगों को बदनाम करने की कोशिश यह दर्शाती है कि गोदी मीडिया कहीं ना कहीं साफ-सुथरी और निष्पक्ष रिपोर्टिंग के बजाय बायस रिपोर्टिंग करने में लगा हुआ है, जो की शर्मनाक है.
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