नई दिल्ली: कांग्रेस जहां बीजेपी, केजरीवाल और एमआईएम पर हमला करती रही है, वहीं एमआईएम पर अक्सर बीजेपी के लिए काम करने का आरोप लगाया जाता रहा है. आज खुद अपनी प्रेस विज्ञप्ति में एमआईएम ने उन आशंकाओं को बल देने का प्रयास किया जिस में उसको भाजपा का सहयोगी बताया जा रहा था।
गौरतलब है कि कुछ महीने पहले बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने खुद साफ कर दिया था कि ओवैसी ने बिहार में उनकी मदद की थी और आगे भी करेंगे. आज पार्टी ने अपनी प्रेस रिलीज़ में जहां केजरीवाल सरकार पर हमला बोला, वहीं केजरीवाल पर आरोप भी लगाया कि वह दिखावे की मोदी सरकार को गाली दे रहे है, जिस से स्पष्ट है कि केंद्र पर केजरीवाल के आरोपों से MIM खुश नहीं है और अगर केजरीवाल के आरोप दिखावे के है तो MIM को बताना चाहिए कि सही प्रहार का तरीक़ा क्या हो सकता है, जबकि खुद उस पर बीजेपी के लिए काम करने का आरोप लगता रहा है.
कोरोना महामारी से ग्रसित हो कर जान गंवाने वाले सरकारी कर्मचारियों के परिवार वाले सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते लगाते परेशान हैं उनका एक नुकसान यह है कि कमाने वाला चला गया दूसरी ओर उन्हें दर-दर भटकना पड़ रहा है, कोरोना शहीद अमित राणा की विधवा पिछले 1 साल से सहायता राशि का इंतजार कर रही है। ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन दिल्ली के अध्यक्ष कलीमुल हफ़ीज़ ने दिल्ली सरकार की आलोचना करते हुए ये विचार व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने एक-एक कोरोना योद्धा की शहादत के लिए एक करोड़ रुपये के मुआवजे की घोषणा की है, लेकिन किसी को परवाह नहीं है कि शहीद के परिजनों को यह पैसा मिला भी या नहीं। कलीमुल हफ़ीज़ ने कहा दिल्ली के मुख्यमंत्री का मुख्य कार्य मुआवजे की घोषणा करना और वाहवाही लूटना , केंद्र सरकार को दिखावा कर गालिया देना और विज्ञापनों में बड़ी बड़ी तस्वीरें प्रकाशित करवाना भर रह गया है। मजलिस अध्यक्ष ने कहा कि शहीद अमित राणा भरत नगर थाने में सिपाही के रूप में ड्यूटी के दौरान करोना से संक्रमित हो गए थे पिछले साल 9 मई को उनका निधन हो गया था। तब से अब तक एक साल साल में 23 दिन हो गए हैं लेकिन उनकी विधवा को आज तक मुआवजा नहीं मिला है।
कलीमुल हफीज ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है जो सोशल मीडिया के माध्यम से सामने आया है हो सकता है अधिकांश शहीदों के परिजन अभी भी मुआवजे से वंचित हो। हम इस संबंध में आरटीआई के माध्यम से दिल्ली सरकार से पूरी जानकारी प्राप्त करेंगे और मुआवजा अभियान चलाएंगे।
कलीमुल हफ़ीज़ ने कहा कि एआईएमआईएम का उद्देश्य शोषितों को न्याय दिलाना है इस लिए हमारी राय में डॉ. अनस और कांस्टेबल अमित राणा बराबर हैं। इसलिए जैसे ही यह मामला हमारे संज्ञान में आया, हमारे प्रतिनिधि ने अमित राणा की विधवा से मुलाकात की और सच्चाई का पता लगाया। उन्होंने कहा, "मैंने खुद अमित राणा की विधवा से बात की है। उसकी दुखद कहानी सुनकर मैं बहुत आहत हूँ । अमित राणा की विधवा के दो छोटे बच्चे हैं। आजीविका का कोई दूसरा स्रोत नहीं है।" इस पर समय पर मुआवजे की राशि ना देने से शोक में डूबे परिवार का दुख और भी गहरा होगया है।
केजरीवाल इन भावनाओं को समझें और कोरोना शहीदों के परिवारों को चिता की राख ठंडी होने , या कफन मैला होने से पहले मुआवजे का चेक दें। एक सरकारी कर्मचारी का पूरा रिकॉर्ड सरकार के पास होता है।आजकल एक बटन के क्लिक से ही पात्र के खाते में पैसा ट्रांसफर किया जा सकता है।
कलीमुल हफीज ने कहा कि हमारे मुख्यमंत्री भी केवल वादों से काम चला रहे हैं, लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए कि वादे और जुमलो से लोगों को ज़्यादा दिनों तक मूर्ख नहीं बनाया जा सकता है। कलीमुल हफीज ने दिल्ली सरकार द्वारा अन्याय के शिकार लोगों को आश्वासन दिया है कि मजलिस उनकी आवाज बनने के लिए हमेशा तैयार है
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