तो क्या भविष्य में खत्म हो जाएगा आरक्षण, सुप्रीम टिप्पणी के क्या है मतलब?
क्या आरक्षण ख़त्म हो जायेगा? क्या आरक्ष को खत्म करने का प्रयास हो रहा है? क्या दलितों को उनके हक़ से आने वाले दिनों में वंचित कर दिया जायेगा. यह और इस जैसे अनेकों सवाल हैं, लेकिन इतना तो तय है कि सुप्रीम कोर्ट की नसीहत यह बताती है कि अनंत काल तक आरक्षण जारी नहीं रहेगा. देश में गरीब तबके के लोगों को उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिले और सरकारी नौकरियों में मिलने वाले 10 फीसदी EWS कोटे को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है। 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने 3-2 से इस कोटे के पक्ष में फैसला सुनाया है। चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस. रविंद्र भट्ट ने इस कोटे को गलत करार दिया है और संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया। जस्टिस भट्ट ने इस पर विस्तार से बात करते हुए कहा आरक्षण के लिए 50 फीसदी की तय सीमा का उल्लंघन करना गलत है। यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि OBC और एससी-एसटी वर्ग में गरीबों की सब से ज्यादा संख्या है। ऐसे में आर्थिक आधार पर दिए जाने वाले आरक्षण से उन्हें बाहर रखना भेदभावपूर्ण है।
जस्टिस रविंद्र भट्ट ने कहा कि संविधान में सामाजिक और राजनीतिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए आरक्षण की बात कही गई है। आर्थिक आधार पर आरक्षण की बात नहीं कही गई है। उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से पिछड़ों की सबसे ज्यादा संख्या ओबीसी और एससी-एसटी समुदाय के लोगों में ही हैं। ऐसे में इसके लिए अलग से आरक्षण दिए जाने की क्या जरूरत है। जस्टिस रविंद्र ने EWS कोटे को संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताते हुए कहा कि यह आरक्षण कुछ वर्गों को बाहर करता है, जो भेदभावूर्ण है। उन्होंने 50 फीसदी की लिमिट पार करने को गलत बताते हुए कहा कि इस तरह तो समानता के अधिकार का अर्थ आरक्षण का अधिकार हो जाएगा।
EWS कोटे का समर्थन करने वाले जस्टिस जेपी पारदीवाला की टिप्पणियां भी चर्चा का विषय बनी हैं। उन्होंने EWS आरक्षण को सही करार दिया, लेकिन आरक्षण को लेकर नसीहत वाले अंदाज में भी दिखे। उन्होंने कहा कि आरक्षण अनंतकाल तक जारी नहीं रह सकता है। उन्होंने कहा कि आरक्षण किसी भी मसले का आखिरी समाधान नहीं हो सकता। यह किसी भी समस्या की समाप्ति की एक शुरुआत भर है। गौरतलब है कि 2019 में संसद से संविधान में 103वें संशोधन का प्रस्ताव पारित हुआ था। इसी के तहत सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसदी के आरक्षण का फैसला लिया गया था।
ताज़ातरीन ख़बरें पढ़ने के लिए आप वतन समाचार की वेबसाइट पर जा सक हैं :
https://www.watansamachar.com/
उर्दू ख़बरों के लिए वतन समाचार उर्दू पर लॉगिन करें :
http://urdu.watansamachar.com/
हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें :
https://www.youtube.com/c/WatanSamachar
ज़माने के साथ चलिए, अब पाइए लेटेस्ट ख़बरें और वीडियो अपने फ़ोन पर :
आप हमसे सोशल मीडिया पर भी जुड़ सकते हैं- ट्विटर :
https://twitter.com/WatanSamachar?s=20
फ़ेसबुक :
यदि आपको यह रिपोर्ट पसंद आई हो तो आप इसे आगे शेयर करें। हमारी पत्रकारिता को आपके सहयोग की जरूरत है, ताकि हम बिना रुके बिना थके, बिना झुके संवैधानिक मूल्यों को आप तक पहुंचाते रहें।
Support Watan Samachar
100 300 500 2100 Donate now
Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.