भारत और चीन की खास बातचीत, जानिए क्या निकला निष्कर्ष
'द्विपक्षीय संबंधों में गड़बड़ी, काम प्रगति पर': चीनी एफएम वांग यी से मुलाकात के बाद जयशंकर
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री में हुई खास बातचीत। इस खास बातचीत में चीन और भारत की सीमा, सेना और सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर प्रकाश डाला गया। वार्तालाप के बाद भारतीय विदेश मंत्री ने प्रेस वार्ता करके देश की जनता को जानकारी प्रदान की।
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर का कहना है कि चीन के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और दोनों देशों के बीच स्थिर और सहकारी संबंधों की नींव रही है। इसके साथ ही भारत के विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि, "1993- 1996 के समझौते के उल्लंघन में बड़ी संख्या में सैनिकों की उपस्थिति को देखते हुए यह कहना गलत होगा। इत्यादि नहीं, वर्तमान में चीन के साथ हमारे संबंध सामान्य नहीं हैं।" बहुत बड़ी तैनाती देखी गई है और सीमा की स्थिति अभी सामान्य नहीं है।
आगे अधिक जानकारी देते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि, “हमारे पास अभी भी चल रहे घर्षण क्षेत्र हैं, पैंगोंग त्सो सहित कुछ घर्षण क्षेत्रों को हल करने में प्रगति हुई है। आज हमने चर्चा थी कि इसे कैसे आगे बढ़ाया जाए। 15 दौर की यह बातचीत हुई।”
एस जयशंकर ने आगे वर्तमान की स्थिति पर कहा कि फिलहाल वर्तमान स्थिति पर यही कहना सही होगा की "कार्य प्रगति पर है" परंतु धीमी गति से। इसे आगे ले जाने की जरूरत है क्योंकि बिखराव के लिए यह आवश्यक है। सामान्य संबंधों की बहाली के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में सामान्य स्थिति की बहाली की आवश्यकता होगी।
वहीं ओआईसी सम्मेलन में चीन की टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर, जयशंकर ने कहा, मैंने इसका उल्लेख किया। मैंने फिलहाल उन्हें समझाया है कि हमें वह बयान आपत्तिजनक क्यों लगा। यह मुद्दा कुछ विस्तार से चर्चा का विषय था। इसका एक बड़ा संदर्भ था।" मैंने उन्हें यह भी बताया कि हमें उम्मीद है कि चीन भारत के संबंध में एक स्वतंत्र नीति का पालन करेगा और अपनी नीतियों को बाकी अन्य देशों और अन्य रिश्तों से प्रभावित नहीं होने देगा।"
बता दें कि भारतीय विदेश मंत्री और चीनी विदेश मंत्री की लगभग तीन घंटे तक चली यह बातचीत 2020 में गलवान घाटी में हुई उस झड़प के बाद यह पहली बातचीत रही।
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