दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में पारंपरिक/हर्बल उत्पादों के गुणवत्ता नियंत्रण के लिए प्रयोगशाला क्षमता होगी मजबूत
9 देशों के प्रतिनिधि पारंपरिक/हर्बल उत्पादों के लिए प्रयोगशाला आधारित गुणवत्ता नियंत्रण पर प्रशिक्षण लेंगे
नई दिल्ली, 1 नवंबर 2022: भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी भेषजसंहिता (पीसीआईएम एंड एच), आयुष मंत्रालय ने विश्व स्वास्थ्य संगठन दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र (डब्ल्यूएचओ-एसईएआरओ) के सहयोग से दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में पारंपरिक / हर्बल उत्पादों के गुणवत्ता नियंत्रण के उद्देश्य से प्रयोगशाला क्षमता प्रशिक्षण को उन्नत करने को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है। प्रमोद कुमार पाठक, विशेष सचिव, आयुष मंत्रालय द्वारा 3 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. किम सुंगचोल, क्षेत्रीय सलाहकार-पारंपरिक चिकित्सा, डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय कार्यालय, डॉ. रमन मोहन सिंह, निदेशक, पीसीआईएम एंड एच और अन्य गणमान्य हस्तियों की उपस्थिति में किया गया। यह देश में पहली बार है, जब इस प्रकार के प्रशिक्षण की शुरुआत की गई है।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 9 देशों (भूटान, इंडोनेशिया, भारत, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल, मालदीव, तिमोर लेस्ते और बांग्लादेश) के कुल 23 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। प्रशिक्षण का उद्देश्य पारंपरिक/हर्बल उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए प्रयोगशाला आधारित तकनीकों और विधियों के लिए कौशल प्रदान करना है।
प्रमोद कुमार पाठक, विशेष सचिव, आयुष मंत्रालय ने कहा, “विकासशील देशों के अनुसंधान और सूचना प्रणाली केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में उद्योग के 23.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। प्रयोगशाला-आधारित गुणवत्ता नियंत्रण में एकरूपता अक्सर विभिन्न भौतिक, रासायनिक और भौगोलिक पहलुओं द्वारा परिवर्तित जड़ी-बूटियों की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने में सक्षम होगी।"
डॉ. किम सुंगचोल, क्षेत्रीय सलाहकार-पारंपरिक चिकित्सा, डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय कार्यालय, ने कहा, “डब्ल्यूएचओ-एसईएआरओ ने अन्य देशों के लिए क्षेत्रीय कार्यशालाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफलतापूर्वक आयोजन किया है। इन क्षेत्रीय कार्यशालाओं के दौरान सदस्य देशों द्वारा की गई प्रमुख सिफारिशों में से एक नियामक क्षमता की मजबूती को सुनिश्चित करना था और यही कारण है कि हम आयुष मंत्रालय के पीसीआईएम एंड एच के सहयोग से इस पहले प्रशिक्षण सत्र का आयोजन कर रहे हैं।
गुणवत्ता नियंत्रण उपायों में हर्बल सामग्री, अच्छी प्रथाओं (कृषि, खेती, संग्रह, भंडारण, निर्माण, प्रयोगशाला और नैदानिक आदि) के मानक शामिल हैं। विनिर्माण, आयात, निर्यात और विपणन के लिए विशिष्ट व समान लाइसेंसिंग योजनाओं को लागू किया जाना चाहिए, जो सुरक्षा और प्रभावकारिता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
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