यूक्रेन में पढ़ रहे भारतीय छात्रों की समस्या का तुरंत समाधान करे सरकार: अध्यक्ष केंद्रीय शिक्षा बोर्ड, जमाअत इस्लामी हिन्द
नई दिल्ली, 11 अप्रैल: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध एक महीने से अधिक समय से चल रहा है. युद्ध के परिणामस्वरूप यूक्रेन के विभिन्न सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। उनमें से एक शिक्षा का भी क्षेत्र है। बड़ी संख्या में भारतीय छात्र भी यूक्रेन में चिकित्सा और अन्य पाठ्यक्रमों का अध्ययन कर रहे थे। इनमें मेडिकल अंतिम वर्ष के छात्र के साथ-साथ प्रथम वर्ष के छात्र भी शामिल हैं। अनुमानित 25,000 भारतीय छात्र यूक्रेन के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे थे। उनमें से अधिकांश वहां के निजी कॉलेजों में पढ़ रहे मेडिकल छात्र हैं। शिक्षा प्रणाली के पतन के परिणामस्वरूप जहां शिक्षा प्रभावित हुई है, इन छात्रों का भविष्य भी उज्ज्वल नहीं दिखता है। यह बात जमाअत इस्लामी हिन्द के मर्कज़ी तालीमी बोर्ड (केंद्रीय शिक्षा बोर्ड) के अध्यक्ष मुज्तबा फारूक ने मीडिया को जारी एक बयान में कही।
उन्होंने कहा कि खबर के अनुसार कुछ मेडिकल कॉलेजों के प्रोफेसर बंकर में बैठ कर ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं। लेकिन छात्रों की प्रतिक्रिया यह है कि चिकित्सा शिक्षा के लिए कक्षा व्याख्यान की आवश्यकता होती है, वहीँ इसका सम्बन्ध प्रयोगशाला, प्रायौगिक अभ्यास, और अस्पालों में मरीज़ों के बीच व्यावहारिक अनुभवों पर गहरा प्रभाव पड़ता है, जो अभी तक इन छात्रों के लिए संभव नहीं है। दूसरी ओर, यूक्रेन में स्थिति कब सामान्य होगी? यह कल्पना करना भी मुश्किल है, ऐसे में हजारों छात्रों का कीमती समय बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए। इस सन्दर्भ में, भारत सरकार को चाहिए कि इस समस्या का समाधान के लिए एक समिति बनाये और तुरंत इस का हल तलाश करे।
यह भी संभव है कि इन छात्रों को भारत के विभिन्न सरकारी कॉलेजों में प्रवेश दिया जाये या इस पर भी विचार किया जा सकता है कि छात्र यूक्रेनी प्रोफेसर से ऑनलाइन कक्षाएं ले और भारत के मेडिकल कॉलेजों में प्रैक्टिकल करने की अनुमति दी जाए। इस सम्बन्ध में महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रभावित छत्र के ज़रिये यह धारणा भी सामने आयी है कि यूक्रेन के प्रोफेसर भारतीय छात्रों के प्रति मैत्रीपूर्ण और सौहार्दपूर्ण रवैया नहीं अपना रहे हैं। छात्रों के मुताबिक यूक्रेन के प्रोफेसरों के इस रवैये की वजह यह है कि भारत यूक्रेन को बिना शर्त और पूरा समर्थन देने से बच रहा है. हालांकि यह मुद्दा भारत के अंतरराष्ट्रीय नीति का हिस्सा है, इसलिए इसका असर छात्रों कि शिक्षा पर नहीं पड़ना चाहिए। फिर भी ऐसा प्रतीत होता है कि यूक्रेन के प्रोफेसर पर भावनाएं हावी हैं। भारत सरकार यूक्रेन में पढ़ रहे भारतीय छात्रों और उनके अभिभावकों के दर्द को समझे। ।
हम विशेष रूप से शिक्षा मंत्री से इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह करते हैं। मुज्तबा फारूक ने कहा यहाँ यह बयान करना भी उचित जान पड़ता है कि जब सरकार पूरी दुन्या में भारत को शिक्षा के क्षेत्र में "विषगुरु " बनाने का संकल्प रखती है तो क्यों नहीं वह मेडिकल की शिक्षा को आसान और काम खर्चीला बनाती है ताकि भारतीय छात्र दूसरे देशों में जाने के बजाय अपने देश में पढ़ सकें। इतना ही नहीं हमारे देश में दूसरे देशों के छात्र भी मेडिकल की पढ़ाई के लिए आ सकें।
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