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मोदी सरकार में भगौड़ों का साथ, भगौड़ों का विकास: कांग्रेस प्रवक्ता प्रो. गौरव वल्लभ

प्रो. गौरव वल्लभ ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि साथियों, आज की प्रेस वार्ता एक बहुत महत्वपूर्ण मुद्दे पर है और वो महत्वपूर्ण मुद्दा है, “भगौड़ों का साथ, भगौड़ों का विकास” और जो भी मैं शब्द बोलूँगा, जो भी डाटा दूँगा, उसके साथ में एनेक्सचर भी संलग्न है, वो मैं आपको दिखाऊँगा भी, आपको मैं दूँगा भी।

By: Press Release
Support of fugitives in Modi government, development of fugitives: Congress spokesperson Prof. Gaurav Vallabh

प्रेस वार्ता

मोदी सरकार में भगौड़ों का साथ, भगौड़ों का विकास: कांग्रेस प्रवक्ता प्रो. गौरव वल्लभ

 

11 अक्टूबर, 2021

कांग्रेस के प्रवक्ता प्रो. गौरव वल्लभ ने कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया को संबोधित किया।

प्रो. गौरव वल्लभ ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि साथियों, आज की प्रेस वार्ता एक बहुत महत्वपूर्ण मुद्दे पर है और वो महत्वपूर्ण मुद्दा है, “भगौड़ों का साथ, भगौड़ों का विकास” और जो भी मैं शब्द बोलूँगा, जो भी डाटा दूँगा, उसके साथ में एनेक्सचर भी संलग्न है, वो मैं आपको दिखाऊँगा भी, आपको मैं दूँगा भी।

 

भगौड़ों से किस तरह पैसा वसूल करने और उनको भगाने का किस तरह का सरकार का एक मोडस ऑपरेंडी है, वो आज आपके सामने रखूँगा। सरकार का एक मॉडल बन चुका है, कि देश से एक्सपोर्ट करते हैं भगौड़ों को और वो भगौड़े वहाँ बाहर जाकर, विदेशी धरती से देश को भेजते हैं, उन्हीं की कंपनी में बनी हुई वस्तुएं। Exporting fugitives from India and the same fugitives are importing goods and services and those goods and services were purchased by GOI. यहाँ से भगौड़ों का निर्यात केन्द्र सरकार के, मोदी सरकार के संरक्षण में होता है और वही भगौड़े वहाँ से सेवाएं व वस्तुएं देश को भेजते हैं और देश की सरकार उन्हीं भगौड़ों की कंपनियों से वो वस्तुएं खरीदती है।

 

साथियों, मैं बात कर रहा हूँ, संदेसरा ग्रुप की। क्योंकि ये लाइन खत्म ही नहीं हो पा रही है, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, विजय माल्या, संदेसरा। ज्यों हीं ईडी की इनके ऊपर कार्रवाई चालू होती है, ये देश छोड़कर चले जाते हैं। इनको कोई रोक-टोक नहीं होती। वापस लाने के नाम पर वो कहते हैं, वहाँ पर इंटरपोल के नोटिसेस वो खारिज करवा देते हैं, सरकार उसमें चुप्पी साधे रहती है और वहाँ से वो सेवाएं और वस्तुएं भेजते हैं, जो भारत सरकार खरीदती है और ये सब कुछ हो रहा है, जब भारत सरकार ने उनको भगौड़ा घोषित कर दिया।

 

साथियों, पिछले 7 सालों में, पब्लिक सेक्टर बैंक का पैसा लो, देश के लोगों का पैसा लो, सरकारी संरक्षण में फ्लाइट पकड़कर विदेशी धरती पर जाओं, वहाँ से बीच पर रैस्ट करते हुए, आराम फरमाते हुए फोटोएं देश को भेजो और अब एक कदम आगे और हो गया कि वहाँ से वस्तुएं और सेवाएं देश को बेचो और देश की सरकार उन भगौड़ों से खरीद रही है।

 

देश का मध्यम आय वर्गीय व्यक्ति, निम्न आय वर्गीय व्यक्ति किस तरह से अपनी दिनचर्या चला रहा है, किस तरह से रोज अखबार खोलता है, तो तीन चीजों को ढूँढता है कि आज पेट्रोल के दाम कितने बढ़े, आज डीजल के दाम कितने बढ़े और अगर महीने की शुरुआत है, तो इस महीने का रसोई गैस का मेरा तिलक कितने का लगा। उसी समय 15,000 करोड़ से ज्यादा रुपए का चूना लगाकर देश की बैंको को संदेसरा और चार लोग हैं, मैं उनका नाम बताता हूँ आपको, नितिन संदेसरा, चेतन संदेसरा, दीप्ती संदेसरा और हितेश कुमार नरेन्द्र भाई पटेल, इन चारों ने 15,000 करोड़ रुपए का देश को चूना लगाया, देश की बैंको का पैसा लिया, 2017 अक्टूबर में और ये क्रोनोलॉजी समझिए साथियों, अक्टूबर, 2017 में ईडी इनके खिलाफ केस दर्ज करती है और केस दर्ज करने के कुछ दिनों पहले ये देश छोड़कर चले जाते हैं, अक्टूबर, 2017 में।

 

सितम्बर, 2020 में एक विशेष न्यायालय इन सभी को, नितिन संदेसरा, चेतन संदेसरा, दीप्ती संदेसरा और हितेश कुमार नरेन्द्र भाई पटेल को, फ्यूजिटिव इकॉनोमिक ऑफेन्डर्स बोलती है, मतलब आर्थिक अपराध के भगौड़े, इनको घोषित करती है, सितम्बर, 2020 में। पता नहीं इनका ऐसा क्या कम्यूनिकेशन है, ज्यों ही ईडी केस दर्ज करती है, उससे थोड़े दिन पहले ये देश छोड़कर निकल जाते हैं। कभी पता लगता है कि अलबेनिया है, कभी पता लगता है, नाईजीरिया है, पर मैं आज आपको सब बताऊँगा कि ये हैं कहाँ और कर क्या रहे हैं।

 

ये बहुत महत्वपूर्ण बात मैं बोल रहा हूँ, 1 जनवरी, 2018 से लेकर 31 मई, 2020 तक अर्थात इस जनवरी से लेकर 31 मई, 2020 तक इनकी कंपनी जो नाईजीरिया में है, जिसका नाम है, सीपको (SEEPCO) उस कंपनी से भारत की ऑयल पीएसयूज, जिसमें आईओसीएल, बीपीसीएल, एचपीसीएल, 5,701 करोड़ का क्रूड ऑयल खरीदती है और ये भगौड़े घोषित हुए हैं। इस जानकारी का एक आरटीआई में खुलासा होता है। मेरे पास जो डाटा है, वो 2020 तक का ही है। 31 मई, 2020 का, पर उसके बाद भी जो कस्टम्स के बिल ऑफ एन्ट्री के डाटा हैं, उसमें वो purchase of crude oil from this Sandesara bhagoda is still continuing. ये अभी तक नहीं रुका है और आपको जानकर आश्चर्य होगा साथियों, मेरे रौंगटे खड़े हो गए ये देखकर कि एक टैंकर 1 नवम्बर, 2021 को पारादीप पोर्ट पर आ रहा है, रास्ते में है, उसकी डीटेल भी मैंने आपको एनेक्सचर-3 में दी है और मैं आपको उसकी डीटेल दिखाना चाहता हूँ कि ये इनका टैंकर है, ये मैंने ऑनलाइन इनका पता लगाया कि ये टैंकर कहाँ है और इसका एक्सपेक्टेड टाइम ऑफ अराइवल क्या है और इस टैकर का एक्सपेक्टेड टाइम ऑफ अराइवल पारादीप पोर्ट पर 1 नवम्बर को और ये कौन भेज रहा है। ये टैंकर, इस शिप का नाम है सिफनोस। ये सिफनोस शिप में किसका तेल है, ये सिपको कंपनी का तेल है। ये सिपको किसकी कंपनी है, नाईजीरिया में- ये सिपको संदेसरा बंधुओं की कंपनी हैं, जो आर्थिक भगौड़े हैं और मैं आपको एक और पेज दिखाना चाहता हूँ, बहुत महत्वपूर्ण है, ये सिपको की वेबसाइट से लिया है, मैंने ये पेज। इस सिपको में लिखा हुआ है कि जो क्रूड ऑयल जिसका नाम है, OKWUIBOME ये ऑक्यूबोम नाम का क्रूड ऑयल सिर्फ सिपको बेचती है,ये सिपको की वेबसाइट मैंने ये आपको अटैच अनेक्सचर-2 में डाला है।

 

आप भगौड़े घोषित करने के बाद भी उससे खरीदेते जा रहे हो, ईडी केस दायर करता है, उसके बाद भी 5,800 करोड़ रुपए का तेल आप उससे खरीदेते जा रहे हो और तो और एक बहुत चौंकाने वाला तथ्य और सामने आता है, पैंडोरा पेपर्स में कि इन संदेसरा बंधुओं ने, य़े नितिन संदेसरा, चेतन संदेसरा, इनके परिवार के लोगों ने पैंडोरा पेपर्स में 6 शैल कंपनियां बनाईं और ये अभी भी एक समाचार पत्र ने इसका पर्दाफाश किया कि नवम्बर, 2017 से लेकर अप्रैल 2018 के बीच 6 ऑफशोर कंपनियां बनी हैं इन संदेसरा की और उन ऑफशोर कंपनियों से देश का पैसा वहाँ डायवर्ट हुआ, टैक्स हैवन्स में और ये सब कब हुआ, 2017-18 में, जब ईडी ने केस फाइल कर दिया था। ईडी का केस फाइल हुआ है, ऑफशोर शैल कंपनियाँ बन रही हैं, सरकारी बैंको का पैसा बाहर जा रहा है, व्यक्ति बाहर जा रहा है और वहाँ से वो तेल बेच रहा है और भारत सरकार उसको खरीद रही है, ये रिश्ता क्या कहलाता है? ये रिश्ता ऐसा क्या है कि ईडी के नोटिस के कुछ क्षण पहले संदेसरा बंधु देश छोड़कर चले जाते हैं? ये रिश्ता क्या कहलाता है कि ईडी के नोटिस के दौरान 6 ऑफशोर कंपनियां बनती हैं और उन ऑफशोर कंपनियों में राउंड ट्रिपिंग के द्वारा देश का, बैंको का पैसा, आपका पैसा, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको का पैसा, मेरा पैसा, मध्यम आय वर्गीय व्यक्ति का पैसा, निम्न आय व्यक्ति का सेविंग डिपॉजिट वो पैसा बाहर जाता है और वही पैसे से बाहर जाकर तेल खरीदा जाता है, उस तेल का नाम है, ऑक्यूबोम क्रूड ऑयल। ध्यान रहे, ये ऑक्यूबोम सिर्फ संदेसरा बंधु ही सिर्फ नाईजीरिया से भेजते हैं, इसकी पूरी डीटेल्स मैंने आपको दी है।

 

1 जनवरी, 2018 से लेकर 31 मई, 2020 के बीच 5,701 करोड़ रुपए का तेल भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियाँ और ये आरटीआई भी मैं आपके साथ संलग्न कर रहा हूँ, इसमें साफ लिखा है कि कितना तेल, कब खरीदा गया, कौन सी ब्रांड का नाईजीरिया से और इसका आप टोटल करेंगे, तो ये 5,701 करोड़ रुपए का। ईडी का केस पैंडिंग है, संदेसरा देश छोड़कर चले जाते हैं, सरकार चुप। उनको वहाँ से वापस लाने गए, कोई कार्रवाई नहीं। इंटरपोल का नोटिस उन्होंने खारिज करवा दिया। नाईजीरिया की सरकार से उन्होंने ये कहलवा दिया कि इनके ऊपर धार्मिक उत्पीड़न है देश में  और देश की सरकार चुप है। वो वहाँ से बैठकर कच्चा तेल देश को भेज रहे हैं, देश की सरकार खरीद रही है। और न केवल ये खरीदारी 31 मई, 2020 तक ही चली, आज भी और ये इसका डाटा है कि ये सिफनोस नाम की शिप ये नाईजीरिया के पोर्ट से चल चुकी है, इसकी आप ट्रैकिंग करेगे, तो अभी की इसकी लोकेशन आ जाएगी, ये एक्सपैक्टेड टाइम ऑफ अराइवल भी पता लग जाएगा। इस शिप का कंसाइनर कौन है और कंसाइनी कौन है? वो भी आप देख लीजिएगा, मैं आपको संलग्न दे रहा हूँ और आप वेबसाइट भी देख सकते हैं।

 

 

इस बाबत हमारे तीन सवाल हैं:-

पहला, अभी तक इन संदेसरा को देश में वापस लाकर वसूली करने में सरकार मौन व्रत क्यों धारण रखे हुए है? ये वैसा ही मौन व्रत है, जब आशीष मिश्रा खुलेआम जीप के टायर के नीचे किसानों को रौंदता है, दिल्ली में बैठी सरकार मौन व्रत पर है, वैसा ही ये मौन व्रत है। क्यों मौन धारण किया  हुआ है? हमारा पहला सवाल है कि क्या बैंक्स और सेन्ट्रल एजेंसीज, देश के जो अन्य जो लोन के डिफॉल्टर्स हैं, उनसे भी ऐसा ही बर्ताव करती है, आप, मैं, हम जैसे मध्यम आय वर्गीय व्यक्ति, निम्न आय वक्ति अगर एक महीने भी ईएमआई चुकाने में देरी कर देते हैं,तो बैंक के लोग हमारा मकान कुर्क कर लेते हैं। यहाँ से 15 हजार करोड़ रुपया लेकर नाईजीरिया में आराम फरमा रहे हैं। वहाँ की सरकार कह रही है कि इनको हम भेजेंगे भी नहीं, भारत की सरकार उनको वापस लाने के लिए मौन बैठी हुई है। इंटरपोल के जो इनको गिरफ्तार करने के जो नोटिसेस थे, वो इन्होंने खारिज करवा दिए, यहाँ तक तो सबने किया, नीरव ने भी किया, हमारे मेहुल ने भी किया, पर ये उनसे एक कदम और आगे चले गए, वो वहाँ से व्यापार कर रहे हैं और भारत की सरकार को माल बेच रहे हैं।

 

हमारी दूसरा सवाल है कि क्यों भगौड़े घोषित होने के बावजूद भारत की सरकार उस कंपनी से ट्रांजेक्शन, बिजनेस ट्रेडिंग कर रही है, ये रिश्ता क्या है, किसका दबाव है, देश जानना चाहता है। 15 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा देश के लोगों से पैसा लेकर भागे हुए व्यक्ति से देश की सरकार व्यापार कर रही है। देश के पब्लिक सेक्टर अंडर टेकिंग्स व्यापार कर रहे हैं। देश का पेट्रोलियम मंत्रालय व्यापार कर रहा है क्यों?

 

हमारा तीसरा सवाल है क्योंकि जब हमने कहा कि आशीष मिश्रा को पकड़ो,  तो उन्होंने पूछा कि कहाँ है? तो इस बार हम बता देते हैं कि ये शिप यहाँ पर है, भारत सरकार, ईडी, सीबीआई, इस वेबसाइट पर जाकर देखो कि ये शिप कहाँ पर है। जब ये शिप पारादीप पहुंचे, तो इस शिप को क्या सीज नहीं करना चाहिए? क्या इस शिप को कॉन्फिस्केट नहीं करना चाहिए? शिप पर शिप, तेल के जो शिपमेंट्स पर शिपमेंट्स आते जा रहे हैं और भारत सरकार मौन है, क्यों? क्योंकि हम तो आपको जानकारी दे रहे हैं कि ये कहाँ पर है।

 

एक अन्य प्रश्न पर कि आपने अभी जो खुलासे किए हैं, इनको लेकर कांग्रेस पार्टी क्या कदम उठाएगीप्रो. वल्लभ ने कहा कि बिल्कुल करेंगे, हर स्तर पर करेंगे। पॉलिटिकल पार्टियों का क्या तरीका होता है, पर्सू करने का। यह एक सनसनीखेज खुलासा है। मेरे को भी आश्चर्य हुआ क्योंकि मुझे उम्मीद नहीं थी कि भगौड़ों से तेल खरीद लेगी भारत सरकार। इकॉनमिक ऑफेंडर्स, 15 हजार करोड़ रुपए लेकर भागे हुए लोग, हमारे ही पैसे से हमको ही वापस तेल मिल रहा है। पैसे हमारे लेकर भागे वो, वहाँ से वो तेल खरीद कर, हमारे ही पैसे पर प्रॉफिट भी कमा रहे हैं। तो हम इसको बिल्कुल पर्सू करेंगे, पॉलिटिकल लेवल पर भी करेंगे, पार्लियामेंट लेवल पर भी करेंगे, पर आज हम सरकार से पूछना चाहते हैं कि हमारे सवालों का क्या जवाब है। हर स्तर पर करेंगे संसद से लेकर सड़क तक हर लेवल पर करेंगे, but, today it is the first press conference on this issue. In the first press conference we want the GOI, Hon’ble Finance Minister and Hon’ble Prime Minister of the country should respond कि संदेसरा से आपकी ऐसी क्या दोस्ती है, आपका क्या रिश्ता है, जो आप इनको इतना विश्वास करते हो? 

 

देश में कोयले की कमी को लेकर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में प्रो वल्लभ ने कहा कि देखिए, कोयले का मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है और इसका भी मेरे पास पूरा डाटा है, मैं आपके साथ शेयर करना चाहता हूँ कोई भी लॉजिस्टिक या सप्लाई चेन के पांच नियम होते हैं। right time, right quantity, right person, right speed and right person अब देश के राज्य कह रहे हैं, उनके बिजली बनाने वाले कारखाने कह रहे हैं कि उनके पास 2 दिन का कोयला बचा है, तो क्या केन्द्र सरकार को ये पता ही नहीं कि कोयला किसके पास कितना है। ऐसी नौबत क्यों आई- ऐसी नौबत इसलिए आई क्योंकि आप ऑप्टिक्स पर ध्यान देते हो, सब्सटेंस पर ध्यान नहीं देते हो। ये नॉर्म्स होते हैं कि कोयला कंपनियाँ हैं, जो भी कोल एक्सप्लोरेशन में भारत सरकारी कंपनियां है, वो दो-दो महीने का बफर रखती हैं, आज उनके पास बफर क्यों नहीं है- क्योंकि सरकार उदासीन है, सरकार को पता ही नहीं है कि गवर्नेंस में क्या हो रहा है। दो महीने का उनका बफर रखने का स्टॉक होता है।

 

अब मान लो आपको इसकी प्रॉब्लम बताता हूँ और इस प्रॉब्लम का एक वे फॉरवर्ड भी बताता हूँ, कोयला अगर कोयला कंपनी निकाल भी ले, तो कोयले का मूवमेंट देश में सिर्फ ट्रेन से होता है अधिकतम और ट्रेन की जो रैक कैपेसिटी है वो एक मेजर बोटल नैक है, सरकार से मेरा अनुरोध है कि इस तू-तू, मैं-मैं से बाहर निकलकर एक ग्रुप बनाए, जो कि कोयले को तुरंत जो खान से निकला हुआ कोयला, सीधा का सीधा पावर स्टेशन्स पर पहुंचे।

 

दूसरा, जो और उद्योग हैं, जैसे कोयला स्टील में भी इस्तेमाल होता है और उद्योगों में भी इस्तेमाल होता है, उसको फिलहाल रोकें और सारा का सारा कोयला, जो बाहर निकल रहा है, वो हमारे पावर जनरेटिंग स्टेशन्स को पहुचाएं, पर सरकार को कहाँ समय है। वो कह रहे हैं कि नहीं, हमारे पास है, चार दिन का है। अरे भाई, दो महीने का होना चाहिए, फैस्टिव  सीजन है देश में, देश में नवरात्रे चल रहे हैं, आगे दशहरा आने वाला है, दीवाली आने वाली है, आप तो दीए जगमगाने की बात करते थे, लाइट छीन रहे हो आप हमसे। कोयला है नहीं, स्टेट दर स्टेट पावर कट कर रहे हैं। एक-एक, दो-दो  घंटे के पावर फेलियर हो रहे हैं हर स्टेट में और इसमें कांग्रेस-बीजेपी और प्रादेशिक दलों की बात नहीं कर रहा हूँ, पर गवर्नेंस कहाँ है, एक आप यूनिट बनाइए, मिनिस्ट्री ऑफ पावर लेवल पर, जो ये सुनिश्चित करे कि कोई भी पावर स्टेशन पर कोयले का संकट नहीं हो और जो रेलवे की जो रेलवे रैक्स हैं, कोयले के मूवमेंट के लिए उसको स्पेशल प्राइयोरिटी देकर उसके मूवमेंट की गति को बढ़ाइए, ताकि ज्यादा से ज्यादा कोयला पहुंच सके।

 

तीसरा, जो कोयले का अन्य उपभोक्ता है, उसके साथ आपने फॉरवर्ड सेल एग्रीमेंट किए हुए हैं, उनको थोड़े दिनों के लिए साइड में लीजिए, क्योंकि इंपोर्टेंट चीज बिजली है, क्योंकि बिजली के बगैर न तो टेलीकम्यूनिकेशन है, न तो टैक्नोलॉजी चल सकती है और ये महत्वपूर्ण तब हो जाता है, जब आज मैजोरिटी ऑफ लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं, तो बिना बिजली के न तो इंटरनेट चलना है, न वर्क फ्रॉम होम होना है, पर सरकार उदासीन है, सरकार को कुछ समझ में नहीं आ रहा है। ये सेम वैसी बातें कर रहे हैं, जैसा उन्होंने ऑक्सीजन संकट के समय कहा था। ऑक्सीजन जमशेदपुर में है, पर दिल्ली में नहीं है। कोयला आज भी धनबाद में है, पर दिल्ली के पावर स्टेशन में, जयपुर के पावर स्टेशन में, कोटा के पावर स्टेशन में नहीं है। तो आपके पास क्यों नहीं है, क्योंकि आपने उस तरफ ध्यान ही नहीं दिया। बफर स्टॉक होता है कोयले का उस तरफ आपने ध्यान ही नहीं दिया, अब राज्य सरकारें मांग रही हैं तो आप उल्टे-सीधे जवाब दे रहे हो। मेरा अनुरोध है कि इस मुद्दे पर कुछ चीजें गवर्नेंस की होती हैं, कुछ चीजें बहुत सीरियस मुद्दे होते हैं। उसमें तू-तू, मैं-मैं का जवाब नहीं चलता। मेरे को उम्मीद थी कि देश के जो पावर मंत्री हैं, जो मुझे लगता है कि समझदार व्यक्ति होंगे, पर कल जिस तरह उन्होंने जवाब दिया कि कोयला तो है, चिंता की कोई बात नहीं। तो ये राज्य सरकारें बेकार में ही पावर कट कर रही हैं। ये पावर स्टेशन बेकार में ही कम पावर जनरेट कर रहे हैं। तो इस तरह की बातें न करें और लॉजिस्टिक और सप्लाई चेन के जो पांच नियम हैं, एक ग्रुप बनाकर उसको पूरा करें, राइट पर्सन को, राइट क्वांटिटी एट ए राइट टाइम, विद दा राइट स्पीड मिलना ही सप्लाई चेन होती है।  

 

इसी से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में प्रो वल्लभ ने कहा कि मैं ये कह रहा हूँ कि कोयला देश में तीन राज्यों में होता है अधिकतर, झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और कोयले की उपभोक्ता देश का हर कोना है। तो पहली बात तो इन राज्यों में जो पीएसयू थीं, वो दो-दो महीने का बफर कोयला रखती थीं, आज क्यों नहीं है, क्योंकि आपने ध्यान ही नहीं दिया। अब वो जो प्रोडक्शन कर रही है, उसको आप जल्दी से जल्दी देश के कोने में कैसे पहुंचाओगे। कोयले का मूवमेंट ट्रकों से नहीं होता। कोयले का मूवमेंट रेलवे रैक से होता है। अचानक से आप इमीजिएटली, दो दिन में बना नहीं सकते कोल के रैक्स तो आप इन्हीं रैक्स को कैसे मूव करो, तेज मूव करो, इनकी फ्रीक्वेंसी ऑफ मूवमेंट को बढ़ाओ, इनके जर्नी टाइम को रिड्यूस करो, यही करोगे तो काम होगा। समस्या क्या है, सरकार से आप कोई भी सवाल पूछो, वो समस्या ही नहीं मानती है। आप कह रहे हो इकॉनमी रिसेशन में है ही नहीं। राज्य सरकारें कह रही हैं कि कोयले का संकट है, बोले- है ही नहीं। ऑक्सीजन का संकट है, बोले, है ही नहीं, रैमडिसीवर का संकट है, बोले, है ही नहीं, अस्पतालों में बैड का संकट है, बोले, है ही नहीं। तो आप जब तक समस्या को एक्सेप्ट नहीं करोगे, तो आप उसका निदान कैसे करोगे। मैंने तो आपको निदान भी बता दिए। जिन तीन राज्यों में कोयले की खादानें हैं, वहाँ पर दो-दो महीने का बफर रहता था, आज क्यों नहीं है? अब वहाँ प्रोडक्शन भी होगा, तो उसे इमीजिएटली देश के कोने-कोने में कैसे पहुंचाना है, इसके लिए आपको एक लॉजिस्टिक और सप्लाई चेन का मॉडल बनाना पड़ेगा। सिर्फ टीवी पर आकर, अपने अपराध को कहकर कि नहीं, ये है ही नहीं, इससे समस्या का हल नहीं होगा।

 

एक अन्य प्रश्न पर कि उत्तर प्रदेश में भाजपा के अध्यक्ष ने कहा है कि हम राजनीति में इसलिए नहीं हैं कि हम माल कमाएं, न कि हम गाड़ी से लोगों को कुचलें, अच्छा व्यवहार करेंगे, तभी जनता हमें चुनेगी, क्या कहेंगे, प्रो वल्लभ ने कहा कि ये तो प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने स्वीकार लिया। ये तो स्वीकारोक्ति है,  कि किन लोगों ने बेगुनाह किसानों को मारा और किस तरह देश को बरगलाया गया। पहले ये बोला गया कि गाड़ी हमारी नहीं है, फिर बोला गया, गाड़ी हमारी है पर हम नहीं है, फिर बोला गया कि हम हैं, पर हम दूसरी जगह थे, फिर बोला गया कि हम दूसरी जगह भी नहीं थे, हम पहली जगह थे, फिर बोला गया, हम निर्दोष हैं, फिर बोला गया कि हम आज 10 बजे मिलने जाएंगे, पुलिस से। ये कानून के शासन में मैंने तो ऐसा नहीं सुना। मेरा जितना ज्ञान है कानून का, क्योंकि मैंने कानून की पढ़ाई की हुई है, मेरा जितना ज्ञान है कि 302 की जब एफआईआर होती है, तो जो दोषी है, जो आरोपित है, उसके मां-बाप को पुलिस दो घंटे बैठा देती है, वो 10 मिनट में तोते की तरह बोलने लग जाते हैं कि आरोपित व्यक्ति कहाँ बैठा हुआ है, कहाँ छुपा हुआ है। क्यों पुलिस नहीं बुला पा रही, इसमें पुलिस की गलती नहीं है, पर गृह राज्य मंत्री को पुलिस कैसे बैठाए क्योंकि कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी पुलिस अफसरान की गृह मंत्री होती है। वो कैसे बैठाएं उस व्यक्ति को, जिसको सैल्यूट मार रहे हैं और फिर उसको बैठा दें, अपने थाने में, इसलिए हम बार-बार मांग कर रहे हैं कि जब तक गृह राज्य मंत्री अपने पद पर हैं, तब तक कोई भी जांच न्यायिक जांच नहीं हो सकती। तो पहले उसको बर्खास्त करें।

 

दूसरा, सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की अध्यक्षता में, टाइम बाउंड, ऐसा नहीं कि देखेंगे, करेंगे, टाइम बाउंड इस मुद्दे का निस्तारण करें, ताकि देश के लोगों में न्याय व्यवस्था के प्रति सम्मान और विश्वास बढ़े।

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