मस्जिद के हक़ में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला!
पूर्व न्यायाधीश जस्टिस गांगुली ने मामले से उठाया पर्दा
सुप्रीम कोर्ट ने इस्माइल फारूकी मामले में Majority Judgment को पलटा
दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित एक इंटेलेक्चुअल सभा को संबोधित करते हुए सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस गांगुली ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया का में इस बात के लिए आभारी हूं कि उसने इस्माइल फारूकी वाले मामले में माइनॉरिटी जजमेंट को रिस्टोर करते हुए मेजॉरिटी जजमेंट को खत्म कर दिया.
उन्होंने कहा कि हम उस फैसले से काफी अचंभित थे जिस में कोर्ट ने कहा था कि मस्जिद इस्लाम का एसेंशियल पार्ट नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि विवाद से संबंधित फैसले में कोर्ट ने इस बात को स्वीकारा है कि मस्जिद इस्लाम का एसेंशियल पार्ट है.
ज्ञात रहे कि मुसलमानों की ओर से इस बात को लेकर काफी शंकाएं थीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड जमीअत उलमा और दूसरी संगठनों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए भारत के मशहूर अधिवक्ता डॉ राजीव धवन ने कोर्ट से अपील की थी कि कोर्ट इस्माइल फारूकी वाले मामले को सुने, इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में उस वक्त सुनवाई की थी और बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि से संबंधित फैसले में कोर्ट ने इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि मस्जिद इस्लाम का एसेंशियल पार्ट है, जिससे लोगों को काफी राहत मिली है और लोग सुप्रीम कोर्ट का आभार व्यक्त कर रहे हैं.
बड़ी बात यह है इस पूरे मामले से पहली बार प्रदा जस्टिस गांगुली ने उठाया है जबकि अभी तक मुस्लिम संगठनों को ऐसा लगता है कि इस फैसले की भनक तक नहीं लगी है.
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