प्रियजन,
इंसानी बिरादरी खुला मंच है, इंसानियत की पैरोकारी का तीन दशक पुराना बैनर है। इस समझ के साथ है कि इंसानियत का रास्ता नफ़रत, नाइंसाफ़ी और गैर बराबरी जैसे सवालों से होकर गुज़रता है। ख़ासियत यह कि इसकी सामाजिक पहलक़दमियां मिजाज़ में रूहानी और अंदाज़ में सांस्कृतिक रही हैं। बेहतरी के सपनों और बच्चों की मुस्कान के नाम रही हैं।
संक्षेप में बताना चाहेंगे कि लाकडाउन के दौरान हमने गरीब बस्तियों का हालचाल लिया। जीने के संकट से निपटने के लिए ज़रूरतमंदों और सक्षम लोगों के बीच पुल की भूमिका अदा की। यह सिलसिला मज़दूरों के त्रासद पलायन के दौर तक जारी रहा।
आख़िरकार हम अपने मूल काम पर लौटे। लाकडाउन के दौरान ही इंसानी बिरादरी ने लखनऊ के विभिन्न इलाक़ों में 17 मई से 13 जून 2020 तक चार सप्ताह (28 दिन) की संदेश यात्रा का आयोजन किया जिसका समापन 29वें दिन 14 जून 2020 को बाराबंकी ज़िले के एक गांव में हुआ। यह जताने के लिए कि अगली यात्रा ग्रामीण इलाक़ों में दस्तक देगी। यात्रा का मुख्य संदेश था- इंसान और इंसानियत को बचाना सबसे बड़ा धर्म है। इसी रोशनी में जन संवाद हुआ।
अब अगली यात्रा की तैयारी है जो आज़मगढ़ और बनारस के गांवों में दस्तक देगी। यात्रा चरणबद्ध होगी। हरेक चरण 20 दिन का होगा और हरेक गांव में 24 घंटे का पड़ाव होगा। दो चरणों के बीच 10 दिन का विराम होगा। इस दौरान यात्रा के समग्र दस्तावेज़ीकरण किया जाएगा और अगली यात्रा की तैयारी की जाएगी।
अभियान की नियमित टीम सात सदस्यीय होगी। इसमें स्थानीय संस्कृतिकर्मी भी शामिल होंगे।
अभियान जन संवाद केंद्रित होगा, प्राथमिक रूप से लोगों को सुनने का काम करेगा। इसमें बुज़ुर्ग और बच्चे भी शामिल होंगे। दिन भर की इस प्रक्रिया की वीडियोग्राफी होगी और उसका एक घंटे का कैप्सूल तैयार किया जाएगा। देर शाम आयोजित सार्वजनिक कार्यक्रम की शुरूआत इसके प्रदर्शन से होगी। मंच पर सबसे पहले स्थानीय प्रतिभाओं को मौक़ा दिया जाएगा। जन संवाद के दौरान उभरे बिंदुओं (लोगों के मुद्दे, मसले, चाहतें, सपने वगैरह) पर चर्चा होगी। इसी कड़ी में प्रेम, शांति, सहयोग, विश्वास, एकजुटता और सामूहिक पहल की ज़रूरत रेखांकित की जाएगी।
कार्यक्रम का अंत गांव स्तरीय नागरिक परिषद (नागरिक वही जो अपना अधिकार समझे और उतना ही अपना दायित्व भी, और जो सार्वजनिक हित को सर्वोपरि माने) के गठन से होगा। इसमें जन संवाद के दौरान चिंहित किए गए उत्साही और संभावनापूर्ण व्यक्तियों को आगे किया जाएगा। उन्हें अभियान का हिस्सेदार बन कर कम से कम अगले पड़ाव में साथ चलने के लिए भी तैयार किया जाएगा। उनसे नियमित संवाद बनाए रखने के लिए व्हाट्सअप और फेसबुक का इस्तेमाल किया जाएगा।
हरेक दिन अभियान के पड़ाव का 12-15 मिनट का संपादित वीडियो दस्तावेज़ सोशल मीडिया पर जारी किया जाएगा।
हरेक गांव से प्रस्थान से पहले सद्भाव ध्वज फहराया जायेगा।
यह बड़ी उपलब्धि है कि अभियान के लिए हमें टाटा 407 (छोटा ट्रक) का सहयोग मिला है।
यह भी बड़ी उपलब्धि है कि अनूठे कला गुरू और लखनऊ स्थित कला गांव के डिज़ाइनर और संस्थापक प्रोफ़ेसर धर्मेंद्र कुमार और उनकी टीम संदेश वाहन की तरह इस वाहन को भी लोक शैली में आकर्षक रूप दिये जाने की तैयारी कर रही है।
गुज़ारिश है कि इस ज़रूरी अभियान का समर्थन करें। तमाम ज़रूरतों की पूर्ति के लिए आर्थिक सहयोग करें, अभियान को रफ़्तार दें।
बिरादराना अभिवादन के साथ;
आदियोग
6307029195
9415011487
insanibiradari@gmail.com
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