अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे से संबंधित सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागतयोग्य: जमाअत-ए-इस्लामी हिंद
नई दिल्ली, 8 नवंबर: जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जे को बरकरार रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। एस. अज़ीज़ बाशा बनाम भारत संघ के मामले में 1967 के फैसले जिसमें कहा गया था कि किसी क़ानून द्वारा गठित कोई संस्था अल्पसंख्यक संस्था होने का दावा नहीं कर सकती को खारिज करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जो हजारों समान संस्थाओं के अल्पसंख्यक चरित्र को संरक्षित करने के लिए बाध्य है, जिन्हें कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता था और जिससे संविधान में मान्यता प्राप्त उनके शैक्षिक और सांस्कृतिक अधिकारों का गंभीर रूप से हनन हो सकता था। इससे देश के सभी धार्मिक, भाषाई और सांस्कृतिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा और संरक्षण हो सकेगा। चूंकि सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने इस मामले को एक नियमित पीठ को सौंप दिया है ताकि यह जांच की जा सके कि विश्वविद्यालय की स्थापना किसने की तथा इसके पीछे किसका "दिमाग" था, इसलिए हमें विश्वास है कि न्यायालय द्वारा एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे की रक्षा की जानी चाहिए। यह स्थापित और निर्विवाद इतिहास है कि एएमयू की स्थापना सर सैयद अहमद खान ने अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के शैक्षिक उत्थान के लिए की थी।
सैयद सआदतुल्लाह ने कहा, "हमें उम्मीद है कि सरकारें और स्थानीय अधिकारी को अनुभव होगा कि अल्पसंख्यक, विशेषकर मुस्लिम, भारत का एक अनिवार्य हिस्सा हैं और शिक्षा, आजीविका और सुरक्षा के संदर्भ में उनके मूल अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए। भारत में मुसलमानों ने राष्ट्र के लिए लगातार सकारात्मक योगदान दिया है, और उनके शिक्षण संस्थान बिना किसी भेदभाव के सभी जाति या धर्म के छात्रों की सेवा करते हैं। सरकार को अपना रवैया बदलना चाहिए ताकि अल्पसंख्यकों को अपने मुद्दों के समाधान के लिए हमेशा अदालतों का दरवाजा खटखटाने की जरूरत न पड़े। सरकार को इतना संवेदनशील होना चाहिए कि वह अपने विकास एजेंडे में अल्पसंख्यकों को सक्रिय रूप से शामिल करे तथा यह सुनिश्चित करे कि उन्हें किसी भी प्रकार के भेदभाव का सामना न करना पड़े। इसमें उनके संस्थानों की सुरक्षा करना, उन्हें आवश्यक रियायतें देना, सकारात्मक कार्य करना, तथा उनकी गिरती सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए लाभ प्रदान करना जैसे उपाय शामिल हो सकते धार्मिक अल्पसंख्यकों को ऐसे उपाय प्रदान करना किसी भी लोकतांत्रिक देश की विशेषता है।"
ताज़ातरीन ख़बरें पढ़ने के लिए आप वतन समाचार की वेबसाइट पर जा सक हैं :
https://www.watansamachar.com/
उर्दू ख़बरों के लिए वतन समाचार उर्दू पर लॉगिन करें :
http://urdu.watansamachar.com/
हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें :
https://www.youtube.com/c/WatanSamachar
ज़माने के साथ चलिए, अब पाइए लेटेस्ट ख़बरें और वीडियो अपने फ़ोन पर :
आप हमसे सोशल मीडिया पर भी जुड़ सकते हैं- ट्विटर :
https://twitter.com/WatanSamachar?s=20
फ़ेसबुक :
यदि आपको यह रिपोर्ट पसंद आई हो तो आप इसे आगे शेयर करें। हमारी पत्रकारिता को आपके सहयोग की जरूरत है, ताकि हम बिना रुके बिना थके, बिना झुके संवैधानिक मूल्यों को आप तक पहुंचाते रहें।
Support Watan Samachar
100 300 500 2100 Donate now
Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.