इस पूरे झगडे के लिए जमाते इस्लामी ज़िम्मेदार है: अनीस दुर्रानी
नई दिल्ली: आल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत का मामला सुलझने के बजाये और उलझता जा रहा है. जमात ए इस्लामी हिन्द के मुखिया (मौलाना) सय्यद जलालुद्दीन उमरी के ताज़ा बयान ने इस मामले को और उलझा दिया है. उर्दू अखबार रोज़नामा ख़बरें ने (मौलाना) सय्यद जलालुद्दीन उमरी के हवाले से दावा किया है कि दोनों (नावेद हामिद और ज़फरुल इस्लाम खान) गुटों से बात की जाती रही, लेकिन हमें (मौलाना) सय्यद जलालुद्दीन उमरी) अफ़सोस है कि कोई हल नहीं निकल सका और जहां तक जमात का मामला है वह गुट नहीं बनना चाहती है.
दोनों ग्रुप अपने अपने मत पर अटल हैं. संविधानिक रूप से जो अध्यक्ष हैं वह अपने पद के लिए अडिग हैं. दूसरा ग्रुप इस्तीफे के लिए अडिग है. कोई अपने मत से एक इंच हटने को तैयार नहीं है. जमात चाहती है कोर्ट से मुक़दमा वापस लिया जाये... हमें (मौलाना) सय्यद जलालुद्दीन उमरी) उम्मीद है कि कोई न कोई हल निकलेगा. इस पूरे मामले पर नावेद हामिद ने फिलहाल कुछ कहने से इंकार कर दिया.
कोर्ट में मुक़दमा लड़ रहे अनीस दुर्रानी ने जमात पर पलट वार किया है. उन्हों ने वतन समाचार से बात चीत में कहा "हम मुक़दमे को अच्छा नहीं समझते, लेकिन जब मामला हक़ और बातिल (गलत) का हो तो यह करना पड़ता है. कोर्ट मजबूरी में गए हैं. जमात ने हम से दो राउंड मीटिंग में वादा किया था कि हम आप के कैंडिडेट को सपोर्ट करेंगे और फिर वह इस से मुकर गए.
दुर्रानी ने बताया बीच में कोशिश हुयी और जमात से बात भी हुयी. हम ने उन से कहा कि हम अदीब साहब से बात करेंगे. आप नावेद हामिद से कहें पुराने वोटर मैंडेट पर इलेक्शन हो. दोनों के इलावा कोई तीसरे और नए लोग आएं. खिदमत का ठीका किसी एक ने नहीं ले रखा है. यह सब की ज़िम्मेदारी है.
दुर्रानी ने बताया कि ज़फरुल इस्लाम ने भी इस को सपोर्ट किया था. जिन लोगों के सामने जमात ने मोहम्मद अदीब के समर्थन की बात कही थी उन में डॉ ज़फर उल इस्लाम मुफ़्ती अताउल रहमान क़ासमी डॉ अनवर और मै था. सब के सामने वादा था मोहम्मद अदीब को सपोर्ट करने का. हम ने कहा था कि जमात नाम दे या कोई मशवरा दे. लेकिन जमात ने नाम देने के बजाये समर्थन की बात कही थी. इस मीटिंग में इंजीनियर सलीम मोहम्मद अहमद और दो लोग थे. उन्हों ने कहा कि हमारा कोई नहीं है, तो हम ने मोहम्मद अदीब का नाम रखा, उन्हों ने उन को सपोर्ट करने की बात कही.
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