वे स्वतंत्रता सेनानी जिन्हें भुला दिया गया- 12, अब्दुल कय्यूम अंसारी
स्वतंत्रता सेनानियों की इस कड़ी में 12वां नाम अब्दुल कय्यूम अंसारी का है-
अब्दुल कय्यूम अंसारी – 12
अब्दुल कय्यूम अंसारी का जन्म 1 जुलाई 1905 को बिहार में हुआ था। जिनकी राष्ट्रीय एकता, धर्मनिरपेक्षता और साम्प्रदायिक सौहार्द के प्रति प्रतिबद्धता जगजाहिर थी. वह एक पत्रकार, शायर और लेखक भी थे। आज़ादी के शुरुआती दिनों में वह अल इस्लाह नामक एक साप्ताहिक उर्दू पत्रिका के संपादक थे, अल इस्लाह का अर्थ होता है 'सुधार'। इसके अलावा वह उर्दू की ही एक मासिक पत्रिका 'मुसावात' अर्थात बराबरी के भी संपादक थे। अंसारी स्वतंत्र भारत की अंतरिम सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं।
अब्दुल कय्यूम ने अपनी शिक्षा अलीगढ़ मुस्लिम विश्विद्यालय, कलकत्ता विश्विद्यालय और अलाहबाद विश्विद्यालय से प्राप्त की। हालांकि स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहने के कारण समय-समय पर उनकी शिक्षा प्रभावित होती रही। वह छोटी उम्र में ही स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए थे जिसके चलते उन्होंने अपना घर-बार और अंग्रेज़ सरकार द्वारा संचालित स्कूल छोड़ दिया था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कहने पर उन्होंने एक राष्ट्रीय स्कूल खोला और अंग्रेज़ सरकार के स्कूलों का विरोध किया। इसके लिए उन्हें जेल जाना पड़े और इस समय वह केवल सोलह साल के थे।
एक नौजवान नेता होने के नाते उन्होंने कांग्रेस के साथ काफी सक्रियता से काम किया। साथ ही अंसारी 1928, कलकत्ता में साइमन के विरोध में छात्र प्रदर्शन में भी शामिल हुए थे। वह खिलाफत और असहयोग आंदोलन के भी सदस्य रहे।
वह मुस्लिम लीग के विभाजन के विचार के सख्त आलोचक थे, उन्होंने मुस्लिम लीग के विरोध में 'मोमिन आंदोलन' की शुरुआत की। उन्होंने कारीगर और बुनकर समुदाय के जीवन को बेहतर बनाने के लिए भी लड़ाई लड़ी।
अब्दुल कय्यूम अंसारी की बिहार में डेहरी-अर्राह नहर ढहने से हुए नुकसान की जांच करते हुए और विस्थापित ग्रामीणों के लिए सहायता का आयोजन करते हुए, 18 जनवरी 1973 को अमियावर, बिहार में मृत्यु हो गई।
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