वे स्वतंत्रता सेनानी जिन्हें भुला दिया गया- 40, अब्दुल हबीब युसूफ मर्फानी मेमन
स्वतंत्रता सेनानियों की इस कड़ी में 40वां नाम अब्दुल हबीब युसूफ मर्फानी मेमन का है-
अब्दुल हबीब युसूफ मर्फानी मेमन -40
अब्दुल हबीब युसूफ मर्फानी मेमन जिन्हें 'भारत के महान सेवक' के नाम से भी जाना जाता है। वह गुजरात के शहर धोराजी के एक मुस्लिम कारोबारी थे। 1944 में आज़ाद हिन्द फ़ौज के गठन के बाद, उन्हें परिषद के आपूर्ति बोर्ड का अध्यक्ष चुना गया। हबीब ही पहले व्यक्ति थे जिन्होंने रंगून में सुभाष चंद्र बोस द्वारा गठित आज़ाद हिन्द फौज के लिए आज़ाद हिन्द बैंक को आर्थिक रूप से योगदान दिया था। हबीब ने अपनी पूरी संपत्ति, जिसकी कीमत तकरीबन भारतीय एक करोड़ रूपये थी सब आज़ाद हिन्द फ़ौज को दान कर दी थी।
हबीब मार्फानी की इस हिम्मत को इतिहास की कई किताबों में दर्ज किया गया है, कहा जाता है कि उन्होंने एक करोड़ रुपये कैश और अपनी पत्नी के गहने आज़ाद हिन्द फौज को दान किये थे। जब उन्होंने गहनों से भरी प्लेट और नकदी सुभाष चंद्र बोस के समक्ष पेश कि तो नेता जी ने हबीब की सराहना करते हुए कहा, ''भाइयों आज में बहुत खुश हूं कि लोग अपनी ज़िम्मेदारी समझ रहे हैं, लोग देश के लिए अपना सब कुछ त्याग करने के लिए तैयार हैं। जो हबीब ने किया वह बहुत सराहनीय है, और जो लोग हबीब के जैसा कार्य करते हैं वह काबिले तारीफ है।''
आज़ाद हिन्द बैंक को दान करने वाले पहले दानी होने के नाते नेताजी ने उन्हें सेवक-ए-हिन्द मैडल से नहीं सम्मानित किया था। वर्तमान में मेमन परिवार म्यांमार के बसा हुआ है। इसके चलते मारफानी के पोते याकूब मेमन को भारत सरकार द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को समर्पित उनके अतुल्य पुश्तैनी कार्य के लिए नई दिल्ली में सम्मानित किया गया, मार्फानी परिवार की स्वतंत्रता संग्राम में इस सेवा की कभी भुलाया नहीं जा सकता।
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