वे स्वतंत्रता सेनानी जिन्हें भुला दिया गया- 14, मोहम्मद अब्दुर रहमान
स्वतंत्रता सेनानियों की इस कड़ी में 14वां नाम मोहम्मद अब्दुर रहमान का है-
मोहम्मद अब्दुर रहमान -14
मोहम्मद अब्दुर रहमान का जन्म सन् 1898 में कोच्चि के जिला थ्रिसूर में हुआ था। वह केरला के एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, मुस्लिम नेता, स्कॉलर और राजनेता भी थे। 1939 में उन्हें केरला प्रदेश कांग्रेस कमेटी, मालाबार का अध्यक्ष चुना गया था।
उन्होंने अपनी शिक्षा वणियांबड़ी और कालीकट से प्राप्त की। बाद में वह शिक्षा प्राप्त करने के लिए मद्रास और अलीगढ़ भी गए, लेकिन उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्विद्यालय से पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी जिसका कारण था मालाबार में असहयोग आंदोलन और खिलाफत आंदोलन में शामिल होना। सन् 1921 में मोपलाह दंगों से भड़की अशांति को शांत करने के दौरान, अक्टूबर 1921 में ब्रिटिश सरकार के द्वारा रहमान को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें दो साल कैद की सजा सुनाई गयी। इसके बाद 1930 में नमक सत्याग्रह में शामिल होने के कारण उनपर लाठी चार्ज की गयी और फिर से नो महीने तक उन्हें कन्नूर की जेल में सजा कटनी पड़ी।
मोहम्मद अब्दुर रहमान सन 1924 में कालीकट से प्रकाशित होने वाले मलयाली भाषा के समाचार पत्र 'अल अमीन' के संपादक व प्रकाशक भी थे। इस समाचार पत्र का उद्देश्य मालाबार के मुसलमानों में राष्ट्रवाद और स्वतंत्रता का जोश भरना था। समाज में रूढ़िवादियों ने उनके प्रगतिशील विचारों का विरोध किया और उनके विचारों को प्रकाशित होने से रोकने के लिए औपनिवेशिक अधिकारियों के साथ साजिश रची। आखिरकार ब्रिटिश सरकार ने 1939 में उनका समाचार पत्र बंद कर दिया।
1939 में रहमान को केरला प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष चुना गया। रहमान केरला में राष्ट्रवादी मुस्लिमों के नेता भी थे। वह मुस्लिम लीग के दो राष्ट्र विचार के कट्टर विरोधी थे, उन्होंने मुसलामनों को बटवारे के नुकसान से जागरूक करने की हर कोशिश की। लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उन्हें ब्रिटिश सरकार के द्वारा 1940 से 1945 तक जेल में बंद कर दिया गया। जेल से रिहा होने के बाद वह सक्रियता से कांग्रेस की गतिविधियों से जुड़ गए। एक जनसमूह को सम्बोधित करने के बाद 23 नवंबर 1945 में दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गयी।
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