वे स्वतंत्रता सेनानी जिन्हें भुला दिया गया- 22, हुसैन अहमद मदनी
स्वतंत्रता सेनानियों की इस कड़ी में 22वां नाम हुसैन अहमद मदनी का है-
हुसैन अहमद मदनी -22
हुसैन अहमद मदनी का जन्म 6 अक्टूबर 1879 को उत्तर प्रदेश के जिला उन्नाव में हुआ था। वह एक इस्लामिक विद्वान, स्वतंत्रता सेनानी और दारुल उलूम देवबंद के प्रधानाचार्य भी थे। वह 1954 में पद्म भूषण के पहले प्राप्तकर्ताओं में से हैं।
हुसैन मदनी रेशमी रूमाल तहरीक में सक्रियता से शामिल थे। उन्होंने विशेष रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में मुस्लिम आबादी के खंड पर भारी शक्ति का प्रयोग किया, वह दो राष्ट्र थ्योरी के कड़े आलोचक थे, और इसी के नतीजे में पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार व अन्य राज्यों के बहुत से मुसलमानों ने सन् 1947 में विभाजन के समय पाकिस्तान जाने से इंकार कर दिया।
मौलाना मदनी का सन् 1920 में कांग्रेस-खिलाफत समझौते में अहम रोल रहा। मौलाना मदनी ने सन् 1920 से 1930 तक व्याख्यान और पुस्तिकाओं की श्रृंखला के द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और उलेमा के बीच साझेदारी की नींव रखी। मौलाना मदनी जामिया के संस्थापकों में से एक हैं और उन्होंने अपनी मृत्यु 5 दिसंबर 1957 तक जमीअत उलेमा ए हिन्द के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
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