वे स्वतंत्रता सेनानी जिन्हें भुला दिया गया- 37, तुर्रेबाज़ खान
स्वतंत्रता सेनानियों की इस कड़ी में 37वां नाम तुर्रेबाज़ खान का है-
तुर्रेबाज़ खान -37
तुर्रेबाज़ खान का जन्म हैदराबाद के बेगम बाजार में हुआ था। निज़ाम शासन के विरोधी के अलावा वह स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अंग्रेज़ सरकार के खिलाफ विद्रोह किया था। उन्हें दक्कन के इतिहास में एक वीर व्यक्ति और शेर-ए-हिन्द के नाम से उल्लेख किया गया है।
उत्तर से अवध और देश के अन्य हिस्सों में विद्रोह की खबर पहुंचते ही हैदराबाद के लोग भड़क गए। अधिकांश अन्य रियासतों की तरह हैदराबाद का शासक वर्ग भी ब्रिटिश समर्थक था। दूसरी ओर, तुर्रेबाज़ खान एक अलग विचारधारा के व्यक्ति थे, वह हैदराबाद में ब्रिटिश निवास पर हमले के अन्य मास्टरमाइंड में से एक थे। उनके द्वारा किया गया यह हमला अंग्रेज़ सरकार से उन भारतीय क्रांतिकारियों को आज़ाद कराना था, जिन्हें ब्रिटिश सरकार ने बिना किसी ट्रायल के गिरफ्तार किया हुआ था। तुर्रेबाज़ खान और अन्य विद्रोहियों ने रेजीडेंसी को घेर लिया, दीवारों को तोड़ दिया और अंदर घुस गए। पूरी तरह से हाथापाई हुई। तुर्रेबाज खान हालांकि घायल हो गए लेकिन भागने में सफल रहे। 1857 में स्वतंत्रता की पहली लड़ाई के दौरान, इस बहादुर कार्य और अन्य सैनिकों के महान बलिदान ने पूरे क्षेत्र में हंगामा खड़ा कर दिया।
बाद में ब्रिटिश सरकार ने उनकी पहचान करके उन्हें गिरफ्तार कर लिया। लेकिन जेल भी उन्हें रोक नहीं पायी और वह एक साल बाद जेल से फरार हो गए। उन्हें गिरफ्तार करवाने के लिए अंग्रेज़ सरकार ने पांच हज़ार का इनाम रखा, और उन्हें हैदराबाद के पास तोपरान के जंगल से गिरफ्तार कर लिया गया। तुर्रेबाज़ खान को उस समय के तालुकदार कुर्बान अली बैग ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद तुर्रेबाज़ को गोली मारकर शहर के बीचो-बीच लटका दिया, जिससे अन्य क्रांतिकारियों को विद्रोह के अंजाम का संदेश दिया गया और विद्रोह समाप्त किया गया।
हैदराबादी ज़बान में 'तुर्रम खान' शब्द किसी को हीरो के रूप में मान्यता देने के लिए प्रयोग किया जाता जाता है। यह शब्द तुर्रेबाज़ खान से ही प्रभावित होकर वजूद में आया है। हैदराबाद में उनके नाम का रोड़ और यादगार स्मारक भी बनाई गयी है। इन सबके बावजूद तुर्रेबाज़ खान का नाम किताबों से गायब है, और एक और नाम, भुला दिए गए हीरोज की फेहरिस्त में शामिल हो गया।
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