नई दिल्ली, 27 अक्टूबर। विगत कुछ सप्ताह से फ्रांस की हकूमत की ओर से इस्लाम और मुस्लिम विरोधी कदमों और बयानों पर जमाअत इस्लामी हिन्द के अमीर सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने चिंता प्रकट करते हुए उनकी निन्दा की है। उन्होंने कहा कि फ्रांसीसी राष्टरपति एमैनुअल मैकरोन अति इस्लामोफोबिया का शिकार हो चुके हैं। इसका एक कारण उनका अपने देश में विभिन्न मोर्चों पर असफलता भी है। पिछले कुछ सालों से फ्रांस में दक्षिणपंथ की राजनीतिक व गैर-राजनीतिक दलों के रवैयों में भी उग्रता देखने में आयी है। ऐसा महसूस होता है कि मैकरोन उन शक्तियों के सामने झुक चुके हैं और इस्लाम दुश्मनी पर उतर आए हैं।
फ्रांस की अर्थ व्यवस्था प्रभावित है, बेरोज़गारी का प्रतिशत बढ़ रहा है। बड़ी संख्या में कोविड से मौत पर सवाल उठ रहे हैं। करप्शन में बढ़ोतरी हुई है। उनके कैबिनेट के एक मंत्री पर यौन हिंसा का आरोप है। अपनी गिरती सियासी छवि के भंवर में गिरफ्तार होकर मैकरोन अविवेकी होने का सबूत दे रहे हैं। सैयद सआदतुल्लाह ने आगे कहा कि इस्लाम भी सीमित दायरे में मत प्रकट करने की आज़ादी देता है।
लेकिन मौजूदा दौर में इस आज़ादी का इस्तेमाल बड़े भोंडे अंदाज़ में किया जा रहा है। इसका एक उदाहरण फ्रांस में हुए पैग़म्बर मोहम्मद (स.अ. व.) के अपमान की घटना है। धार्मिक व्यक्तित्व के बारे में इस तरह का असभ्य रवैया किसी भी संस्कृति के उच्च चरित्र के मानदंड का हिस्सा नहीं रहा है। तथापि मतभेद का प्रकटिकरण, आलोचना और तर्कपूर्ण संवाद सीमा में रहते हुए होना चाहिए। भावना को ठेस पहुचाना, अपमान, असभ्य संवाद मत प्रकट करने के मानदंड नहीं हो सकते हैं जिसका समर्थन मैकरोन कर रहे हैं।
वास्तविकता यह है कि मैकरोन का इस्लाम के बारे में बेबुनियाद जज़्बात और इस्लामोफोबिया को जाहिर करने वाले बयानों से विश्व भर के मुसलमानों और न्यायप्रिय वर्गों को ठेस पहुंचा है। अमीर जमाअत ने कहा कि हम फ्रांस की सरकार से मांग करते हैं कि वह अपने इस्लाम दुश्मनी रवैये से बचें। चार्ली हेब्डो की हरकत, मतैक्य की आज़ादी का भोंडा इस्तेमाल, सैमुअल पैटी के मामले और चेचनियाई छात्र की हरकत और उसके बाद वाली घटनाओं का वस्तुनिष्ठ, सामाजिक, राजनीतिक एवं मनोवैज्ञानिक समीक्षा की जानी चाहिए। केवल जज़्बात और राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए पूरे विश्व में फ्रांस की छवि को बिगड़ने न दें। फ्रांस की सोसाइटी में खाई पैदा न करें। हम भारत सरकार से भी मांग करते हैं कि वह फ्रांस की सरकार पर दबाव डाले कि वह इस तरह की असभ्य और असांस्कृतिक हरकतों से बचे।
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