बिलकिस के गुनहगारों पर मीडिया और केजरी की खामोशी शर्मनाक
कांग्रेस ने खड़े किये कई गंभीर सवाल, मीडिया और सरकार से माँगा जवाब
बिलकिस बानो के गुनहगारों को गुजरात सरकार के ज़रिये दी गई रिहाई पर पलटवार करते हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मीडिया सेल के चेयरमैन पवन खेड़ा ने केंद्र और गुजरात सरकार से कई गंभीर सवाल पूछे हैं. उन्होंने कहा कि इस मामले के बाद जिस तरह से मीडिया में सन्नाटा छाया हुआ है और कई विपक्षी दल भी खामोश हैं, वह बेहद चिंतनीय और दुखद है. उन्होंने कहा कि अगर आज हम ने अपने आप से सवाल नहीं किया और इस दिशा में खड़े नहीं हुए और रेप पीड़िता की जाति और धर्म देखा तो दुनिया में क्या मैसेज जाएगा और हमें यह मान लेना चाहिए कि हम सड़ने लगे हैं या उस तरफ बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार की तरफ से कहा गया है कि 1992 की नीति के आधार पर इन्हें रिहाई दी गई है.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का सवाल यह है कि गुजरात सरकार बताये कि क्या 1992 की नीति अभी है और इस की जानकारी देश की सब से बड़ी अदालत को रिहाई के वक़्त दी गयी. उन्होंने कहा कि आरटीआई-RTI के सेक्शन 4 के अनुसार यह नीति सरकार की वेबसाइट पर होनी चाहिए थी, लेकिन 8 मई 2013 को इस नीति को गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने समाप्त कर दिया था. पवन खेड़ा ने कहा कि सीआरपीसी-CRPC के सेक्शन 435 के अनुसार अगर कोई घिनावना जुर्म, जिसकी जांच केंद्रीय एजेंसी ने की हो अगर कोई सरकार उस को छोड़ना चाहती है तो उसे केंद्र की अनुमति लेनी जरूरी है, उन्होंने कहा कि हमारा सवाल यह है कि क्या इस मामले में केंद्र सरकार की अनुमति ली गई या नहीं. उन्होंने कहा कि जब तमिलनाडु सरकार ने राजीव जी के कातिलों को छमा दी थी, तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आप अकेले नहीं फैसला ले सकते हैं.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी से देश जानना चाहता है कि क्या गुजरात सरकार ने अनुमति ली और अगर इजाजत दी गई, तो उसकी कॉपी सार्वजनिक करें. उन्होंने कहा कि 2 दिन पहले प्रधानमंत्री ने लाल किले से नारी शक्ति और नारी सम्मान की बात की थी तो क्या यह नारा भी सिर्फ जुमला और खोकला नारा है. उन्होंने कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री ने अपने आप ही फैसला लिया है? तो उनके खिलाफ कार्रवाई क्या हुई? इसे भी हम जानना चाहते हैं.
पवन खेड़ा ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि जिन जेल एडवाइजरी कमेटी के सदस्यों की सिफारिश पर इन्हें रिहा किया गया है, वह कौन-कौन लोग हैं? उनका नाम भी सार्वजनिक किया जाए. उन्होंने कहा कि जिस निर्भया के नाम पर कुछ लोग सत्ता में आए थे और नई राजनीति का नारा उन्होंने दिया था, आखिर वह खामोश क्यों है? देश उन से भी जानना चाहता है. उन्होंने कहा कि अगर 1992 की नीति नहीं अपनाई गई है जो कि 2013 में खत्म हो चुकी है और अगर 2014 की नीति अपनाई गई है, जिसमें केंद्र सरकार ने खुद कहा है कि ऐसे घिनावने क्राइम के गुनहगारों को समय से पहले माफी नहीं मिल सकती है, फिर गुजरात और केंद्र दोनों सरकारों को बताना होगा कि वह नारी शक्ति के नाम पर देश के साथ क्यों छल कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि हमें आवाज उठानी ही होगी.
पवन खेड़ा ने ट्वीट कर के लिखा "▪️क्या crpc की धारा 435 के तहत गुजरात सरकार ने केंद्र की सहमति से 11 बलात्कारियों की रिहाई की?
▪️क्या 8 मई 2013 को समाप्त की गई 1992 की नीति के तहत किसी की रिहाई हो सकती है?
▪️जो मीडिया एक आवाज़ में निर्भया के दौरान कठोर क़ानून की माँग कर रहा था, बिलक़िस बानो पर वो चुप क्यूँ है?"
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