सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास का नारा सिर्फ जुमला? एक भी मुस्लिम UP में डीएम नहीं
नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी के सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास के नारे की एक और खोखली तस्वीर उत्तर प्रदेश से सामने आई है. योगी राज्य में उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में से एक भी मुस्लिम को किसी ज़िले का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है. बड़ी बात यह है कि एक क्रिश्चियन और एक ईसाई को एक-एक जिले दिए गए हैं. भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार यूपी के 75 जिलों में 40% यानी 30 में सामान्य वर्ग के जिलाधिकारी (DM) तैनात हैं। इनमें 26% (20) ठाकुर तो करीब 11% (8) ब्राह्मण जाति के हैं। अब प्रदेश के जिलों में SSP/SP की तैनाती पर नजर डालें तो 18 जिलों की कमान ठाकुर जाति से संबंध रखने वालों के हाथ है, जबकि इतने ही जिलों की कुर्सी पर ब्राह्मण जाति के SSP तैनात हैं।
सरकार भले ही जाति देखकर कुर्सी देने के तथ्य को नकार दे, लेकिन अधिकारियों की मौजूदा तैनाती कुछ ऐसा ही इशारा करती है। अब अनुसूचित जाति की बात करें तो सिर्फ 4 DM शेड्यूल्ड कास्ट से आते हैं। वहीं 5 जिलों के SSP/SP SC-ST हैं। OBC जाति के अधिकारियों की स्थिति थोड़ी अच्छी कही जा सकती है, क्योंकि सूबे के 14 DM OBC जाति के हैं। वहीं, 12 SSP/SP भी OBC हैं। योगी सरकार ने यादव अधिकारियों पर भरोसा नहीं जताया है। सिर्फ 1-1 जिले में DM और SSP/SP यादव रखे गए हैं। इनमें गौतमबुद्धनगर (नोएडा), लखनऊ, कानपुर और वाराणसी के पुलिस कमिश्नर भी शामिल हैं।
मुस्लिम अधिकारियों को योगी राज में जिम्मेदारी नहीं
योगी ने खराब लॉ एंड आर्डर वाले जिलों में DM और SSP अपनी पसंद के तैनात किए हैं। फ्री हैंड देकर अधिकारियों को अपराध के खिलाफ लड़ने की छूट दी। इन सबके पीछे योगी सरकार में एक भी जिले की कमान मुस्लिम अधिकारियों को नहीं सौंपी गई है।
एक सिख, एक क्रिश्चियन भी शामिल
यूपी के 75 जिलों की कमान सौंपने में खास बात ये भी है कि 1 सिख और 1 क्रिश्चियन शामिल हैं। बलरामपुर के डीएम सैमुअल पॉल एन. और शामली की डीएम जसजीत कौर है। यहीं नहीं, ओबीसी वर्ग में एक ही आईपीएस मौर्य जाति से है। जिनका पूरा नाम अरविंद कुमार मौर्य है।
सपा में यादव, बसपा में अनुसूचित जाति के अधिकारियों पर जताया भरोसा
ऐसा नहीं है कि जाति विशेष के अधिकारियों की तैनाती को लेकर घेराबंदी सिर्फ योगी सरकार की ही हुई है। सपा शासन में अधिकांश यादव अधिकारियों को कमान सौंपी गईं। जबकि बसपा सरकार में अनुसूचित जाति के अधिकारियों पर भरोसा जताया जाता रहा।
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