नई दिल्ली, 24-10-2020 | जमाअत इस्लामी हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने बिहार चुनाव में राजनितिक पार्टियों द्वारा वैक्सीन देने की घोषणा पर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा, “वैक्सीन देना तो गवर्नमेंट की ज़िम्मेदारी है. जनता की सेहत और सुरक्षा तो सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए, इसे राजनीतिक मुद्दा नहीं बनना चाहिए.”
शनिवार को दिल्ली स्थित अपने राष्ट्रीय मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में जमाअत इस्लामी हिन्द ने ये बातें मीडिया से साझा की.
دلتوں، مزدوروں،کسانوں اور ملک کے اقتصادی مسائل حل کرے حکومت:امیر جماعت اسلامی ہند |
सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा, “वैक्सीन अभी बनी नहीं, देश में आयी नहीं मगर बिहार चुनाव में इसका स्तेमाल किया जाने लगा. वैक्सीन की ज़रूरत तो पूरे देश को है और वैक्सीन उपलब्ध कराना सरकार की ज़िम्मेदारी है. इसकी जो प्रक्रिया है उसके बाद ही वैक्सीन जनता तक पहुंचेगी. चुनाव में इसका ज़िक्र करना समझ से परे है.”
बिहार चुनाव में पार्टी या प्रत्याशी को समर्थन देने के सवाल पर जमाअत प्रमुख ने कहा, “हम चुनाव में समर्थन का फैसला उसूलों की बुनियाद पर करेंगे. बिहार में समर्थन का जो भी निर्णय लेंगे उसे मीडिया को साझा करेंगे.”
जमाअत इस्लामी हिंद ने देश भर में हिंसा की बढ़ती घटनाओं विशेष रूप से दलितों के खिलाफ हो रहे यौन हिंसा के मामलों पर चिंता जताई है. जमाअत ने इन मामलों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाए जाने और दोषियों को दण्डित करने की सरकार से मांग की है.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए जमाअत ने कहा कि, “देशभर में 2019 में अनुसूचित जाति के खिलाफ 46,000 आपराधिक घटनाएं हुईं. इन अपराधों में 2018 की तुलना में 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. जमाअत ने कहा कि एससी / एसटी अत्याचार अधिनियम के तहत इन अपराधों में सज़ा की दर राष्ट्रीय स्तर पर सिर्फ 32% है और लम्बित मामलों की दर 94% है जो चिंताजनक है.”
इस प्रेस वार्ता में जमाअत इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इंजीनियर मोहम्मद सलीम और मीडिया सचिव डॉ० तनवीर उपस्थित थे.
सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “दलितों और पिछड़ों पर हो रहे हमलों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में निपटारा किया जाए और कमज़ोर वर्ग की सुरक्षा और उनके अधिकारों को सुनिश्चित किया जाए.”
मीडिया की स्वतंत्रता के सवाल पर जमाअत प्रमुख ने कहा कि, “सरकार मीडिया को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दे मगर मीडिया को उसूलों का पाबंद बनाए. मीडिया को आज़ादी दी जाए लेकिन सरकार सुनिश्चित करे कि मीडिया देश के लोगों में विभेद पैदा न करे. मीडिया को बेलगाम नहीं छोड़ा जाना चाहिए.”
असम सरकार द्वारा मदरसों को बंद करने के फैसले पर जमाअत प्रमुख ने कहा, “मदरसों को इस प्रकार बंद करना किसी भी तरह सही नहीं है. शिक्षा देने के माध्यम को बंद कर देना कोई भी सही नहीं कह सकता. हम सरकार से अपने फैसले पर पुनर्विचार की मांग करते हैं. मदरसे शिक्षा का प्रसार करते हैं और इस प्रकार के फैसले शिक्षा में रुकावट होंगे.”
मीडिया द्वारा सीएए पर किए गए सवाल के जवाब में जमाअत अध्यक्ष सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा, “CAA क़ानून संविधान के मूल्यों के ख़िलाफ़ है और हम सरकार से कहना चाहते हैं कि इसे वापस लिया जाए. राजनीतिक पार्टियों को इस मुद्दे को बलपूर्वक उठाना चाहिए. राजनीतिक पार्टियों को इसके लिए कोर्ट में जाना पड़े तो जाना चाहिए और अपनी ज़िम्मेदारी निभानी चाहिए.”
जमाअत के राष्ट्रीय सचिव, इंजीनियर मोहम्मद सलीम ने दलितों पर हो रहे हमलों का ज़िक्र करते हुए कहा, “हाथरस की घटना में संस्थागत जटिलता उजागर हुई हैं क्योंकि पुलिस आठ दिनों तक सामूहिक बलात्कार के बारे में ख़ामोश रही, परिवार की सहमति के बिना पीड़िता का अंतिम संस्कार किया गया और ये दावा किया गया कि कोई बलात्कार नहीं हुआ था.”
उन्होंने कहा, “उन स्थानों पर अपराध बढ़ जाते हैं जहां अपराधी क़ानून व्यवस्था को कमज़ोर समझते हैं और ये महसूस करते हैं कि वे ‘सिस्टम’ को किसी प्रकार मैनेज कर कर सकते हैं और किसी सज़ा से बचे रह सकते हैं. सरकार ऐसे अपराधियों पर कठोर कार्रर्वाई करे और पीड़ितों को न्याय सुनिश्चित करे.”
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