केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले कई दिनों से धरने पर बैठे पंजाब के कांग्रेस सांसदों ने कहा है कि अगर सरकार एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों के साथ बड़े दिल और ईमानदारी से बातचीत करें तो मामले का हल निकल जाएगा। पंजाब से कांग्रेस के लोकसभा सदस्य जसबीर सिंह गिल, गुरजीत सिंह औजला, रवनीत सिंह बिट्टू तथा पार्टी के कुछ अन्य नेता कृषि कानूनों के खिलाफ और प्रदर्शनकारी किसानों के समर्थन में नौ दिनों से यहां जंतर-मंतर पर खुले आसमान के नीचे धरने पर बैठे हैं।
गिल ने मीडिया से बात चीत में कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि अगर सरकार ईमानदारी और सही दिल से किसानों से बात करे तो वे बीच का रास्ता दे देंगे। अगर बर्लिन की दीवार टूट सकती है तो यह मसला हल क्यों नहीं हो सकता? मगर अहंकार के साथ मसले का हल नहीं होता है।’’ विपक्ष द्वारा किसानों को गुमराह करने से जुड़े प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘ किसान कोई दूध पीते बच्चे तो नहीं हैं कि हम उन्हें अपने पीछे लगा देंगे।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘यह भाजपा का काम करने का एक ही तरीका है कि विरोध की आवाज उठाने वालों को दबाया जाए। कभी अर्बन नक्सल, तो कभी पाकिस्तानी और दूसरे नाम देकर दबाते हैं। लेकिन इन किसानों में सभी जातियों और धर्मों के लोग हैं और इन्हें नहीं दबाया जा सकता।’’ गिल ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने जिस दिन बड़ा दिल करके किसानों को बुला लिया और उनका दुख-दर्द सुन लिया तो इस मसले का हल निकल जाएगा।’’
कुछ कारपोरेट समूहों के पंजाब में निवेश करने और उन्हीं का नाम लेकर कांग्रेस के विरोध करने से जुड़े सवाल पर कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘हम कारपोरेट के खिलाफ नहीं हैं। हम खेती और जमीन छीने जाने के खिलाफ हैं। किसानों का अधिकार छीनकर किसी उद्योगपति को नहीं दिया जा सकता।’’ औजला ने कहा, ‘‘बातचीत के जरिए हल निकालना चाहिए। सरकार को बीच का रास्ता निकालना चाहिए, लेकिन लगता नहीं है कि सरकार संजीदगी से काम ले रही है। हर बातचीत के बाद कोई न कोई बयान आ जाता है जिससे लगता है कि वो बात नहीं करना चाहती है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि खुद प्रधानमंत्री को किसानों के साथ बातचीत की पहल करनी चाहिए। दूसरी तरफ, रवनीत बिट्टू ने कहा कि किसान किसी बीच के रास्ते से नहीं मानने वाला है। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार आखिर क्यों जिद में है। इन कानूनों को निलंबित करें और अगले सत्र में चर्चा करें।’’
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