डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि ये बहुत भयंकर, डरावना और दुखद संदर्भ है।
देश में फिर से रफ्तार से चल पड़ा है कोरोना,
मोदी जी ठोस काम करो, बंद करो ये रोना-धोना।
ये मांग है देश की, इसको हम आपके समक्ष रखना चाहते हैं।
अब मैं आपको ज्यादा आंकड़ों में नहीं उलझाऊंगा, लेकिन कुछ मूल आंकड़े देखिए आप कि एक दिन में 40,953, लगभग समझ लीजिए 41,000 केसेस की वृद्धि, इनफेक्शन रिपोर्टेड एक दिन में। साढ़े तीन महीने में सबसे बड़ा आंकड़ा है ये और ये सब सरकारी आंकड़े हैं। टोटल केस लोड बढ़ता जा रहा है। 813 नए केस हो गए हैं दिल्ली में इस शनिवार को। पंजाब में 18 मार्च को 2,370 के लगभग थे और उसके पहले जो पीक था पंजाब में, वो था 19 सितंबर, जब 2,600 थे। तो पीक में 2,600 और कल-परसों 2,300, मध्यप्रदेश और तमिलनाडु में एक दिन में 1,000 से ज्यादा कई महीनों के बाद हुआ है। छत्तीसगढ़ में 1,000 से ज्यादा दो-ढाई महीनों के बाद हुआ है। ये आपको एक डिटेल की बात नहीं है, ये आपको एक ओवरऑल पिक्चर देता है, जो दुखद है। डेली इंफेक्शन जिसे कहते हैं 111 दिन, साढ़े तीन महीने में सबसे ज्यादा बढ़ा था।
अब हमारा जो प्रश्न है, वो ये है कि दूसरा वेव जो है, कोविड का, वो हमारे चेहरे के सामने है। अगर हम उसको पहचानते नहीं हैं, जागरुक नहीं होते हैं, चेतावनी से नहीं बैठते हैं, तो हमको वो दबा देगा। हमको वो बहुत ज्यादा दर्द पहुंचाएगा, एक देश के रुप में, सामूहिक रुप में, एक जनता के रुप में।
एक बड़ी रोचक स्टड़ी है, नामुरा द्वारा। नामुरा एक बहुत प्रसिद्ध आंकड़े की एजेंसी है। उन्होंने पूरा सर्वे करके, भारत के संदर्भ में कहा है कि अब सैंकेड वेव या तो शुरु हो गई है, होने वाली है और करीब-करीब से निश्चित है। उन्होंने ये भी कहा है कि इसका सबसे बड़ा हल अगर है, तो वो है व्यापक, बड़ा प्रभावशाली वैक्सीनेशन। बाकी जितनी बात करें आप और दूसरों ने कहा है कि बड़े-बड़े समूह, मिलना, शादियां, सामाजिक फंक्शन कोई भी तरह का, इस प्रकार के सामूहिक फंक्शन इसका कारण हैं।
हम आपके जरिए जो प्रश्न उठाना चाहते हैं, वो बड़ा सरल है कि जहाँ एक तरफ तो हमें गर्व है कि भारत पूरे विश्व का वैक्सीनेटर बनने का प्रयत्न कर रहा है। लेकिन साथ-साथ ये पता होना चाहिए हमें कि हमने अभी तक 4 करोड़ से कम या 4 करोड़ लगभग वैक्सीनेशन किए हैं। ये एक बहुत ही छोटा आंकड़ा है और जब तक हम इसे नहीं बढ़ाते हैं तुरंत, हम बहुत तकलीफ में होने वाले हैं। प्रदेशों में भी बहुत फर्क है, कुछ प्रदेश - राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, चंडीगढ़, करीब-करीब साढ़े तीन प्रतिशत वैक्सीनेशन कर चुके हैं अपनी जनसंख्या का। उसके कॉन्ट्रास्ट में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु 2 प्रतिशत से कम, उत्तर प्रदेश - 1.10 प्रतिशत, बिहार - 1.03 प्रतिशत। फ्रेश केसेस जो एड हो रहे हैं, वो 290 प्रतिशत प्रतिदिन की रफ्तार से बढ़ रहे हैं और वैश्विक रुप से भी हम पीछे रह रहे हैं। फरवरी में जो विश्वभर के केसेस थे, उनमें अमेरिका का योगदान था 28 प्रतिशत, ब्राजील का 9.7 और भारत का 2.4, भारत का योगदान फरवरी में वैश्विक केसेस में 2.4 था। अभी कितना हुआ है मालूम है आपको - 9.4, यानि विश्व के और हिस्सो में कम हो रहा है या ये नियंत्रित हो रहा है, हमारा बढ़ रहा है और हमारा जो प्रतिशत योगदान है, वो बढ़ रहा है।
मृत्यु के आधार पर भी अमेरिका का पहले 23 प्रतिशत था, ब्राजील का 7.7 और भारत का योगदान मृत्यु के आंकड़ों के आधार पर 1 प्रतिशत से कम, .9 प्रतिशत। ये .9 प्रतिशत अब हो गया है 1.7 प्रतिशत। दोगुना हो गया है, 1.7 प्रतिशत बहुत होता है भारत में।
तो हम आपसे इस बात पर अंत करना चाहते हैं ये पूछकर कि क्यों हुआ है ये? ये आउट ऑफ कंट्रोल, आउट ऑफ नियंत्रण क्यों जाने दिया है? अन्ततोगत्वा ये सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी है और सरकार की जवाबदेही मांगते हैं। सरकार से एक निश्चित प्लान मांगते हैं। नंबर दो, वैक्सीनेशन की स्कीम और प्लान बढ़ाई क्यों नहीं गई, व्यापक 10 गुना, 100 गुना? कम से कम एक प्लान अति आवश्यक है कि 12 महीने में, हम तो कह रहे हैं 6 महीने, लेकिन 12 महीने मान लीजिए कि पूर्ण, संपूर्ण 100 प्रतिशत वैक्सीनेशन क्यों नहीं होगा? तीसरा, आरटीपीसीआर टैस्टिंग में इतना लंबा समय क्यों लग रहा है? ये सब अत्यंत महत्वपूर्ण प्रश्न हैं। जनसमूह और समाज के लिए भयानक प्रश्न हैं और इसको सिर्फ बातचीत करके और अपनी पीठ थपथपा कर करने से काम नहीं चलेगा।
जैसा मैंने कहा
देश फिर से दिख रहा है कोरोना का गजब का खेल,
फिर बढ़ी है रफ्तार, सरकार हो रही है फेल।
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