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विदेशों में भी मशहूर ऐतिहासिक कोंडानार मड़़ई में इस बार; छाई " वैश्विक हर्बल उत्पादों की बहार

विदेशों में भी मशहूर ऐतिहासिक कोंडानार मड़़ई में इस बार; छाई " वैश्विक हर्बल उत्पादों की बहार :-* वैश्विक बाजार में दस्तक दे रहे, बत्तीस बस्तरिया "सर्टिफाइड आर्गेनिक" हर्बल उत्पादों/ फूड सप्लीमेंट्स का किया प्रदर्शन,* बस्तर का काला मोती "काली मिर्च" और बहुगुणकारी औषधीय "काला चावल" किया का किया गया प्रदर्शन,* बस्तरिया "केसर" यानी कि "अनाटो" की विशेष प्रजाति के पौधों का भी किया गया प्रदर्शन,* विश्व की नंबर-एक जैविक औषधीय हल्दी भी पेश किया "मां दंतेश्वरी हर्बल समूह" ने,* स्टीविया युक्त बस्तरिया "हर्बल चाय", काला चावल, काली मिर्च को लोगों ने दिल से सराहा* शक्कर से 25 गुना मीठी स्टीविया( MDST-16) पौधे की पत्तियों को चखकर हैरत से लोगों ने दांतो तले दबाई उंगलियां,*

By: Press Release

विदेशों में भी मशहूर ऐतिहासिक कोंडानार मड़़ई में इस बार; छाई " वैश्विक हर्बल उत्पादों की बहार :-*

वैश्विक बाजार में दस्तक दे रहे, बत्तीस बस्तरिया "सर्टिफाइड आर्गेनिक" हर्बल उत्पादों/ फूड सप्लीमेंट्स का किया प्रदर्शन,*

बस्तर का काला मोती "काली मिर्च" और बहुगुणकारी औषधीय "काला चावल" किया का किया गया प्रदर्शन,*

बस्तरिया "केसर" यानी कि "अनाटो" की विशेष प्रजाति के पौधों का भी किया गया प्रदर्शन,*

विश्व की नंबर-एक जैविक औषधीय हल्दी भी पेश किया "मां दंतेश्वरी हर्बल समूह" ने,*

स्टीविया युक्त बस्तरिया "हर्बल चाय", काला चावल, काली मिर्च को लोगों ने दिल से सराहा*

शक्कर से 25 गुना मीठी स्टीविया( MDST-16) पौधे की पत्तियों को चखकर हैरत से लोगों ने दांतो तले दबाई उंगलियां,*


यूं तो समूचा बस्तर पूरी दुनिया में, आज भी सांस ले रही अपनी 5 हजार साल पुरानी जनजातीय सभ्यता के अनूठे तौर तरीकों और जीवनशैली के लिए मशहूर है। अप्रतिम प्राकृतिक सौंदर्य,अनमोल खनिज खजानों के साथ ही प्रकृति ने इसे अकूत जैव विविधता की संपदा से भरपूर घने जंगलों से भी नवाजा है। हर वर्ष बसंत ऋतु के आगमन के साथ ही यहां गांव-गांव में मेला-मंड़ई उत्सवों की शुरुआत हो जाती है। यूं तो यहां का प्रत्येक मेला अलग-अलग कारणों से महत्वपूर्ण तथा मशहूर है,किंतु इन सभी में नारायणपुर तथा कोंडागांव का मेला कई मायनों में बेहद ख़ास हैं,और विदेशों में भी मशहूर हैं, बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटन इन मेलों में शिरकत करते हैं। कोंडागांव जिले में लगभग 520 गांव हैं,इसके अलावा आसपास के सभी गांवों की ग्राम्य देवता तथा उनके सहायक देवता,देवियां अपने अपने प्रतीक चिन्हों के साथ तथा अपने वाहक सिरहा गुनिया अथवा पुजारी के साथ शामिल होते हैं। सात दिनों में अनुमानित लगभग 7 लाख लोग इस मेले में शामिल होते हैं। शासन ने इस बार कोंडागांव मेले में अंचल के सफल नवाचारों को लोगों के सामने प्रस्तुत करने हेतु एक अच्छी सकारात्मक पहल करते हुए मेला स्थल पर इनके लिए पृथक स्थान आवंटित किया।

 

 


जिसके तहत जिला प्रशासन,नगर पालिका कोंडागांव के साथ मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के, एमडी बोटैनिकल्स प्रोडक्ट्स श्रंखला के 32 बत्तीस अनूठे सर्टिफाइड हर्बल प्रोडक्ट्स एवं फूड सप्लीमेंट्स का इस मेले में प्रदर्शन किया गया। इसमें समाचार पत्रों की कतरनों के माध्यम से "मां दंतेश्वरी हर्बल समूह" की पिछले 25 वर्षों की संघर्ष तथा सफलता के सफर को प्रदर्शित किया गया।

 

 


स्टाल पर *शक्कर से 25 गुना मीठी स्टीविया( MDST-16) की पत्तियों को चखकर हैरत से लोगों ने दांतो तले उंगली दबा ली, मेले में सफेद मूसली, अश्वगंधा, कालमेघ, त्रिफला, इंसुलिन की पत्तियां आदि के साथ ही विशेष औषधीय गुणों वाले बस्तर के "काले चावल" को भी प्रदर्शित करते हुए इनके गुणों और उपयोग के बारे में लोगों को जागरूक किया गया*

 

 


"मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के द्वारा बस्तर में विकसित की गई देश भर के किसानों में तेजी से लोकप्रिय हो रही *कालीमिर्च की नई किस्म‌ MDB16 जो कि छत्तीसगढ़ ही नहीं, पूरे देश के लिए सचमुच गेमचेंजर बन सकती हैं । बंजर जमीन में 47- 48 डिग्री गर्मी में भी भरपूर उत्पादन देने वाली कालीमिर्च की नई किस्म‌. MDB16 के मा दंतेश्वरी हर्बल महिला समूह के द्वारा तैयार किए गए पौधे, दुर्लभ विलुप्तप्राय जड़ी-बूटियां, विशेष रूप से बिना कड़वाहट वाली शक्कर से 25 गुना मीठी पत्तियों वाले जीरो कैलोरी की मिठास देने वाली आश्चर्यजनक बूटी स्टीविया ( मीठी तुलसी) की नई व्यावहारिक किस्में तथा इन्हें बिना खाद , पानी,दवाई, जुताई के खर्चों और जहमतों के अच्छा उत्पादन देने में सक्षम, "उच्च लाभदायक बहुस्तरीय खेती (उलाबखे) कोंडागांव माडल जैसे खेती के सफल नवाचारों का भी प्रदर्शन किया गया। इस नई किस्म के काली मिर्च व गगनचुंबी आस्ट्रेलियन टीक के पेड़ों की भारी मुनाफे वाली जुगलबंदी के नीचे *बिना किसी अतिरिक्त लागत के उगाई गई विशिष्ट औषधीय गुणों वाली विश्व की नंबर-एक सर्टिफाइड ऑर्गेनिक हल्दी को भी प्रदर्शित किया गया।* इसके साथ ही बस्तर तथा छत्तीसगढ़ के लिए सर्वथा उपयुक्त बस्तरिया "केसर" के पेड़, "अनाटो" की विशेष प्रजाति के पौधों का भी प्रदर्शनी में प्रदर्शित करते हुए उसके गुणों की जानकारी दी गई। पिछले 5 दिनों में हजारों किसानों ने प्रदर्शित पौधों तथा बस्तर की दुर्लभ जड़ी बूटियों के बारे में जानकारियां प्राप्त की। सभी किसानों को बताया गया कि पेड़ों तथा जंगल को काटने के बजाय ऐसे उपयोगी पेड़ पौधे लगाकर और जंगल के सदुपयोग से हम अच्छी वर्षा, जलवायु , शुद्ध हवा के साथ ही साथ टिकाऊ आर्थिक समृद्धि भी प्राप्त कर सकते हैं।

 

 


"मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के इस पांच दिवसीय आयोजन को सफल बनाने में एक और जहां प्रदर्शन स्थल पर आयोजन में टीम लीडर अनुराग त्रिपाठी,बलई चक्रवर्ती, कृष्ण कुमार पटेरिया , दसमती नेताम, शंकर नाग, कृष्णा नेताम , अनुष्का नेताम, सुमित्रा वारदे, सत्या कुमारी की अपनी कर्मठ टीम के साथ दिन रात जुटे रहे। वहीं बस्तर के किसानों द्वारा उगाई गई जड़ी बूटियां तथा अनूठे खाद्य पदार्थों के सर्टिफाइड ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स की श्रंखला को विश्व बाजार तक पहुंचाने में लगी हुई, सहयोगी संस्था एमडी बाटेनिकल्स टकी गुणवत्ता तथा ब्रांड नियंत्रक अपूर्वा त्रिपाठी मनोज साहू राजेंद्र पटेल तथा रूपेश साहू के साथ ही "मां दंतेश्वरी हर्बल समूह" की पूरी टीम पूरी लगन एवं समर्पण के साथ इस आयोजन को सफल बनाने में जुटी रही। सफल आयोजन हेतु पूरी टीम का उत्साह बढ़ाने व मार्गदर्शन में मुख्य रूप से शिप्रा त्रिपाठी तथा उनके साथ में अखिलेश कुमार मिथिलेश कुमार, विवेक त्रिपाठी ने विशेष योगदान प्रदान किया।

 

 

इस अवसर शासन के उच्चाधिकारियों तथा गणमान्य विभूतियों ने प्रदर्शनी स्थल पर पहुंचकर मां दंतेश्वरी हर्बल समूह की पीठ थपथपाई तथा उत्साहवर्धन किया। मेले में जनप्रतिनिधियों,स्थान मीडिया तथा कोंडागांव पुलिस का व्यवस्था स्थापन में विशेष योगदान रहा।

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