वे स्वतंत्रता सेनानी जिन्हें भुला दिया गया- 6, बीबी अमतुस सलाम
स्वतंत्रता सेनानियों की इस कड़ी में छठा नाम बीबी अमतुस सलाम का है-
बीबी अमतुस सलाम- 6
बीबी अमतुस सलाम का जन्म पंजाब के पटियाला में सन 1907 में हुआ था। वह एक सामाजिक कार्यकर्ता थी, जिन्होंने सांप्रदायिक हिंसा पर काबू पाने के साथ-साथ भारत आने वाले शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए भी काम किया। सलाम, हिन्दू-मुस्लिम सौहार्द की कट्टर समर्थक दी और इसी सौहार्द की प्राप्ति को उन्होंने अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया था।
अमतुस सलाम ने अपने भाई के साथ खादी आंदोलन में भाग लिया और कई भारतीय राष्ट्रीय आंदोलनों की सभाओं में शामिल हुई। वह महात्मा गांधी के अहिंसावादी सिद्धांत से काफी प्रभावित थी। उन्हें उनकी अन्य महिला साथियों के साथ 1932 में राष्ट्रीय आंदोलनों में शामिल होने के कारण जेल भी जाना पड़ा। जेल से आज़ाद होने के बाद उन्होंने महात्मा गांधी की पर्सनल असिस्टेंट के तोर पर कार्य किया। जब 1947 में भारत में सामुदायिक दंगे भड़के तो उन्होंने मामले को शांत करने के लिए गांधी जी के साथ बंगाल का सफर किया। इस दौरान उन्होंने इलाके में शांति की बहाली के लिए गांधी जी के साथ 21 दिन का उपवास किया। बाद में महात्मा गांधी ने सलाम को वहां पर साम्प्रदायिक सौहार्द बनाने की ज़िम्मेदारी सौंप दी।
एक युवा मुस्लिम महिला होने के बावजूद अमतुस सलाम ने बटवारे के बाद भारत में रहना ही चुना, जबकि उनके ज़्यादा तर परिजन पाकिस्तान चले गए थे। राष्ट्रीय एकता और सांप्रदायिक सहिष्णुता क़ायम रखने के लिए उन्होंने उर्दू पत्रिका 'हिंदुस्तान' का प्रकाशन किया।
अपनी पूरी ज़िन्दगी महात्मा गांधी की शिक्षाओं और मान्यताओं पर गुज़ारने वाली बीबी अमतुस सलाम 29 अक्टूबर 1985 में इस दुनिया से अलविदा हो गयी।
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