जामिया मिल्लिया इस्लामिया के लिए यह गर्व की बात है कि एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज (एएमपीएएस) ने 68 देशों के जिन 800 से अधिक फिल्म पेशेवरों को सदस्यता प्रदान की है, उसमें विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित, एजेके मास कम्युनिकेशन रिसर्च सेंटर के तीन स्नातक शामिल हैं। एकेडमी ने अपने यहां लिंग और नस्ल के प्रतिनिधित्व को और अधिक व्यापक एवं विविधतापूर्ण बनाने के लिए इतना बड़ा विस्तार किया है।
एकेडमी के नए आमंत्रितों में हॉलीवुड और बॉलीवुड की कई हस्तियों के साथ ही इस प्रतिष्ठित सूची में जामिया एजेके मास कम्युनिकेशन के ग्रेजुएट, वृत्तचित्र फिल्म निर्माता निष्ठा जैन, शिर्ले अब्राहम और अमित महादेसिया को जगह दी गई है।
निष्ठा जैन ने एजेके एमसीआरसी से ग्रेजुएशन करने के बाद एफटीआईआई से फिल्म निर्देशन में विशेषज्ञता हासिल की। उनकी फिल्मोग्राफी में सिटी ऑफ फोटोज (2004), लक्ष्मी और मैं (2007), एट माय डोरस्टेप (2009), फैमिली एल्बम (2011) और गुलाबी गैंग (2012) शामिल हैं, जिसने 2014 में सामाजिक मुद्दों पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता। वह 25 अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुकी हैं और कई प्रतिष्ठित फैलोशिप से सम्मानित हैं, जिसमें ग्लोबल मीडिया मेकर अवार्ड (2019) और टेक्सास विश्वविद्यालय (ऑस्टिन) में टीचिंग और रिसर्च करने के लिए फुलब्राइट-नेहरू एकेडमिक एंड प्रोफेशनल एक्सलेंस फैलोशिप शामिल हैं। जूट टेक्सटाइल उद्योग के संकट पर अपनी फिल्म द गोल्डन थ्रेड के लिए जैन ‘चिकन और एग अवार्ड‘ 2020 पाने वाली छह उत्कृष्ट महिला डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माताओं में शामिल हैं। उनकी कई फिल्में, जैसे द सिटी ऑफ फोटोज, फैमिली एल्बम और गुलाबी गैंग, अभी भी एमसीआरसी में पाठ्क्रम का हिस्सा हैं।
शर्ली अब्राहम और अमित महादेसिया ने 2006 में जामिया एमसीआरसी से ग्रेजुएशन किया। ये दोनों कई अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रशंसित परियोजनाओं का हिस्सा रहे हैं। ‘सिनेमा ट्रैवलर्स‘ नामक इनकी इनकी पहली फीचर-लेंग्थ डॉक्यूमेंट्री का प्रीमियर कान्स फिल्म फेस्टिवल में एक आधिकारिक चयन के रूप में हुआ और उसे स्टैंडिंग ओवेशन मिला। फिल्म ने कान्स, टोरंटो और न्यूयॉर्क फिल्म फेस्टिवल में जगह पाने का दुलर्भ सम्मान भी पाया। भारत में भी, प्रेसिडेंट्स गोल्ड मेडल सहित इसने 19 पुरस्कार जीते हैं।
अमित महेदेसिया भी एक प्रतिष्ठित फोटोग्राफर हैं जिनकी 12 तस्वीरों की श्रृंखला ‘नाइट स्क्रीनिंग ऑफ़ ट्रैवलिंग सिनेमा इन इंडिया ’ को 2011 में वल्र्ड प्रेस फोटो अवार्ड मिला।
अंध विश्वास की चपेट में आए दो गांवों के बारे में सर्चिंग आॅफ सरस्वती (2018) नामक उनकी डॉक्यूमेंट्री को न्यूयॉर्क टाइम्स ओप-डॉक्स द्वारा कमीशन किया गया था। 2019 में, अब्राहम और महादेशिया ने द ऑवर ऑफ द लिंचिंग नामक एक वृत्तचित्र बनाया, जिसमें गौ रक्षकों द्वारा मुस्लिमों की हत्या किए जाने की एक घटना के बारे में बताया गया है। इस फिल्म को द गार्जियन न्यूज वेबसाइट पर देखा जा सकता है।
अब्राहम और महादेसिया ने कई प्रतिष्ठित पुरस्कार जीते हैं और उनके काम को सनडेंस इंस्टीट्यूट, द पुलित्जर सेंटर, न्यूयॉर्क टाइम्स, मैकआर्थर फाउंडेशन, आईडीएफए, बीबीसी ने सराहा है।
वृत्तचित्र कला में महत्वपूर्ण योगदान के लिए, 2017 में, अब्राहम और महादेसिया को एजेकेएमसीआरसी ने प्रतिष्ठित पूर्व छात्र के रूप में सम्मानित किया था।
एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आट्र्स एंड साइंसेज (एएमपीएएस) का आमंत्रण मिलने से, जामिया के ये पूर्व छात्र अकादमी पुरस्कार या ऑस्कर के 2020 के बाकी वर्ग में मतदान कर सकेंगे। शर्ली अब्राहम ने ट्वीट किया:“ एक स्वतंत्र फिल्म निर्माता के रूप में, मुझे अपनी आवाज़ की वैधता का मूल्य मालूम है। एक सदस्य के रूप में एकेडमी में आमंत्रित किए जाने के लिए मैं सम्मानित महसूस कर रही हूं ... काम की एक पूरी दुनिया होगी और मैं इसके लिए तैयार हूं। “
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