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कश्मीर यात्रा: यूरोपीय संघ के दूत ने कहा, 'घाटी से पाबंदियां तेजी से हटाए जाने की जरूरत'

यूरोपीय यूनियन ने शुक्रवार को कहा है कि भारत में जम्मू कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सकारात्मक कदम उठाए हैं, लेकिन इनका बंदियों को जल्द से जल्द हटाने की जरूरत है। ज्ञात रहे कि भारतीय सांसद इस बात का सरकार पर आरोप लगाते रहे हैं कि सरकार विदेशी सांसदों या राजनयिकों को जम्मू कश्मीर का टूर कराती है लेकिन अपने ही सांसदों को वहां जाने की आजादी नहीं देती है जो कि संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है।

By: वतन समाचार डेस्क

नई दिल्ली: एक तरफ जहां कश्मीर में लॉक डाउन के लिए सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है और कह रही है कि कश्मीर में 370 35A को हटाया जाना इसलिए जरूरी था ताकि वहां विकास के कार्य तेजी से बढ़ाये जा सकें, लेकिन कश्मीर से इन धाराओं को हटाए जाने के बाद कश्मीर पूरी तरह से लॉक डाउन हो गया था, धीरे-धीरे चीजों को सरकार की ओर से हटाने का दावा भी किया गया और सरकार की ओर से बार-बार कहा जा रहा है कि हालात सामान्य हैं। वहां सब कुछ ठीक चल रहा है, लेकिन अब एक बड़ी खबर जो आ रही है वह सरकार के गले की हड्डी बन सकती है।

 

 यूरोपीय यूनियन ने शुक्रवार को कहा है कि भारत में जम्मू कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सकारात्मक कदम उठाए हैं, लेकिन इनका बंदियों को जल्द से जल्द हटाने की जरूरत है। ज्ञात रहे कि भारतीय सांसद इस बात का सरकार पर आरोप लगाते रहे हैं कि सरकार विदेशी सांसदों या राजनयिकों को जम्मू कश्मीर का टूर कराती है लेकिन अपने ही सांसदों को वहां जाने की आजादी नहीं देती है जो कि संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है।

 

 हालांकि सरकार के इस के अपने तर्क हैं लेकिन सरकार विपक्ष के हमलों को झेल पाने में असमर्थ दिखाई दे रही है। घाटी की ताजा यात्रा के बाद यूरोपीय यूनियन ने शुक्रवार को कहा कि भारत ने जम्मू कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सकारात्मक कदम उठाए हैं, लेकिन पाबंदियों को जल्द से जल्द हटाए जाने की जरूरत है. बीते अगस्त महीने में जम्मू कश्मीर को मिले विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया गया था. साथ ही उसे दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया था. बता दें कि जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिए जाने के छह महीने बाद केंद्र शासित प्रदेश की स्थिति का मौके पर जाकर आकलन करने के उद्देश्य से 25 विदेशी राजनयिकों के प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को घाटी पहुंचा था. राजनयिकों के इस दौरे का आयोजन केंद्र सरकार की तरफ से किया गया था. इससे पहले जनवरी में 15 विदेशी राजनयिकों का एक दल जम्मू-कश्मीर गया था और स्थिति का आकलन किया था. इस दल में अमेरिकी राजदूत केनेथ आई जस्टर भी शामिल थे.

 

 

विदेशी राजनयिकों के दौरों पर प्रतिक्रिया देते हुए पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि विदेशी राजनयिक अधिकारियों से इंटरनेट पर प्रतिबंध और लोक सुरक्षा अधिनियम के तहत राजनेताओं के हिरासत के बारे में सवाल करेंगे. इल्तिजा ने ट्वीट किया, 'उम्मीद है कि पांच अगस्त से इंटरनेट पर प्रतिबंध एवं आर्थिक घाटे के बारे में आप सब (विदेशी राजनयिक) भारत सरकार से सवाल करेंगे.

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