सुदर्शन टीवी चैनल और उसके मालिक चौहान के जरिए जामिया के जिहादी और यूपीएससी जिहाद के नाम से प्रोग्राम चलाकर मुसलमानों और जामिया मिल्लिया इस्लामिया को बदनाम करने की कोशिशों को उस वक्त तगड़ा झटका लगा जब दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रोग्राम के टाइटल बिंदास बोल को टेलीकास्ट करने पर प्रतिबंध लगा दिया। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मौजूदा और पूर्व छात्रों की ओर से दाखिल पीआईएल पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अपना फैसला देते हुए इस मामले की सुनवाई 7 सितंबर तक के लिए टाल दी है। साथ ही जस्टिस नवीन चावला की सिंगल बेंच ने सेंट्रल गवर्नमेंट यूपीएससी सुदर्शन टीवी और चौहान को नोटिस भी जारी किया है।
इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए इंडियन एक्सप्रेस ने सुदर्शन टीवी चैनल के मालिक चौहान के हवाले से लिखा है कि "आज रात 8:00 बजे शो होगा। चैनल को कोई नोटिस ऑफिशियल नहीं मिला है। अगर कोई नोटिस मिलता है ऑफिशियल हम उसको पढ़ेंगे और 8:00 बजे हम इसका जवाब देंगे"। उसके बाद चौहान की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि "दिल्ली हाई कोर्ट के स्टे आर्डर का सम्मान करते हुए हमने टेलीकास्ट बिंदास बोल प्रोग्राम आज रोक दिया है।
आज का यह बिंदास बोल ब्यूरोक्रेसी जिहाद पर आधारित था। चौहान ने दावा किया कि टेलीविजन इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी शो को शुरू होने से पहले ही रोक दिया गया हो। इस संबंध में एक PIL सुप्रीम कोर्ट में भी एडवोकेट फिरोज के जरिए फाइल की गई थी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस के एम् जोसेफ की बेंच ने इस पर तत्काल फैसला देने से मना कर दिया था। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन और सुदर्शन न्यूज़ चैनल को नोटिस भी जारी किया है और 15 सितंबर तक के लिए मामले को टाल दिया है।
इस पूरे मामले पर याचिकाकर्ता के वकील शदान फरासत ने वतन समाचार से बातचीत में कहा कि हाई कोर्ट में सरकार ने भी इस बात को माना कि प्रथम दृष्टया इसमें आपत्तिजनक मामले सामने आए हैं। इसके बाद सरकार ने सुदर्शन टीवी से जवाब मांगा है। शदान फरासत ने बताया कि सरकार का मत सुनने के बाद अदालत ने पूछा कि आपने कब तक जवाब मांगा है? तो मालूम यह हुआ कि सरकार की तरफ से इस मामले में कोई डेडलाइन तय नहीं की गई है, जिस पर अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इस पर स्टे कर दिया।
वहीं सुप्रीम कोर्ट की ओर से स्टे न किए जाने के सवाल पर शादान फरासत ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने स्टे इस लिए नहीं किया क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ एक पीआईएल फाइल की गई थी। वहां पर सरकार और दूसरे पक्ष कार मौजूद नहीं थे जबकि हमने तमाम पक्षकारों को पहले से ही अवगत करा दिया था। उन्होंने बताया कि 7 सितंबर को देखना है कि मामले में क्या होता है। इस बीच अगर सोमवार या मंगलवार तक सुदर्शन टीवी की तरफ से कोई भी बात अदालत में आती है तो हम उसका जवाब देने के लिए तैयार हैं।
अधिवक्ता शादान फरासत ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा नहीं है कि मामले पर कठोर टिप्पणी ना की हो या आपत्ति ना जताई हो। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने मामले को टाल दिया है और पक्षकारों से जवाब मांगा है।
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