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Video: bi-weekly दावत को बंद करने के मामले में जमात-ए-इस्लामी के शीर्ष नेतृत्व की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं.

उन्होंने कहा कि जहां तक हैदराबाद से निकालने और स्टाफ के अपॉइंटमेंट का सवाल है तो अभी इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है अभी बंद करने की प्रक्रिया शुरू की गई है. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि जमात में लोग देने के लिए आते हैं लेने के लिए नहीं आते हैं.

By: Mohammad Ahmad
फाइल फोटो

 

नयी दिल्ली: जमात-ए-इस्लामी हिंद के आर्गन bi-weekly दावत को बंद करने के मामले में जमात-ए-इस्लामी के शीर्ष नेतृत्व की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. जमात के मुखिया सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने वतन समाचार से टेलिफोनिक बातचीत में जहां इस बात की पुष्टि की कि जमात ने दिल्ली से bi-weekly दावत बंद करने और हैदराबाद से नए सिरे से निकालने का काम शुरू कर दिए हैं वहीं जमात के महासचिव T- आरिफ अली ने  bi-weekly दावत बंद करने की खबरों का सीधे-सीधे खंडन किया. उन्होंने कहा कि bi-weekly दावत को बंद नहीं किया जा रहा है, जबकि bi-weekly दावत के इंचार्ज अब्दुल जब्बार ने बातचीत में कहा कि यह बात सही है कि bi-weekly दावत को बंद करने का फैसला किया गया है.

 

 उन्होंने कहा कि जहां तक हैदराबाद से निकालने और स्टाफ के अपॉइंटमेंट का सवाल है तो अभी इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है अभी बंद करने की प्रक्रिया शुरू की गई है. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि जमात में लोग देने के लिए आते हैं लेने के लिए नहीं आते हैं.

 

 जब उनसे पूछा गया कि 30-35 लोगों का मुस्तक़बिल खतरे में है? इस से लोग बेरोजगार हो जाएंगे, उन के बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य का मसला होगा तो उन्होंने फिर कहा कि लोग यहां देने के लिए आते हैं, लेने के लिए नहीं.

 

 उन्होंने कहा कि हमने एक काम किया था उसको नहीं चला सके इसलिए मजबूरन बंद करना पड़ा. जब उनसे पूछा गया कि मिशन में प्रॉफिट कहां से आ गया क्योंकि जमात का यह मत है कि घाटे की वजह से अखबार बंद किया जा रहा है उस पर उन्होंने कहा कि जमात ए इस्लामी हिंद और दावत ट्रस्ट दो अलग-अलग चीजें हैं. दावत ट्रस्ट और जमात दो अलग संस्था हैं. हम अपने सदस्यों से पैसे लेकर के संस्थान बनाते हैं और उसके बाद हमारी कोशिश होती है कि वह अपने पैरों पर खड़े हो जाए, ऐसा ना होने की सूरत में हमने यह सख्त फैसला लिया.

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