नई दिल्ली। अल्लाह की अजीम मुकद्दस किताब कुरआन-ए-पाक से 26 आयतें हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने वाले वसीम रिजवी के खिलाफ उलेमा व अवाम में जबरदस्त गुस्सा पाया जा रहा है। मुस्लिम संगठनों, दरगाहों के जिम्मेदारों की तरफ से इसकी जोरदार मुखालिफत की जा रही है।दरगाह आला हज़रत की बुजुर्ग हस्ती हज़रत अल्लामा तौसीफ रज़ा खां ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत करते हुए कहा है कि वसीम रिज़वी अल्लाह की मुकद्दस किताब कुरान व सहाबा-ए-किराम का दुश्मन है। अल्लाह ने पैगंबर-ए-इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम पर कुरान नाजिल फरमाया। ये किताब अब से लगभग 1400 साल पहले नाजिल हुई तब से आज तक इसमें नुक्ता बराबर भी तब्दीली नही हुई और न ही कयामत तक कोई तब्दीली की गुंजाइश है। कुरान-ए-पाक मुसलमानो के लिए हिदायत है और लोगों को बेहतर जिंदगी गुजारने और हमे अल्लाह का कानून बताती है।
तौसीफ मियां ने कहा कि कुरान व सहाबा-ए-किराम की तौहीन किसी भी सूरत में कोई भी गैरतमंद मुसलमान बर्दाश्त नहीं करेगा। मौजूदा कुरान का हर हुरुफ (अक्षर) और आयात हक है जो अल्लाह की तरफ से नाज़िल की हुई हैं। किसी भी खलीफा ने घटाया-बढ़ाया नहीं है। कुरान इसकी खुद गवाही देता है। किसी भी आयत से समाज को किसी तरह का गलत मैसेज नहीं पहुंचता है। ये सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का ज़रिया है। कुरान में बदलाव करना तो दूर सोचना भी कुफ्र है। सहाबा-ए-किराम की तौहीन करने वाला गुमराह, बद्दीन व जाहिल है। मौलाना तौसीफ ने कहा कि कुरान, पैगंबर-ए-आज़म, सहाबा-ए-किराम व अहले बैत की अज़मत पर मुसलमान दिलो-जान से कुर्बान हैं। इनकी तौहीन किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कुरान की हिफाज़त का ज़िम्मा अल्लाह ने लिया है।
वसीम रिज़वी जैसे लाखों आ जाएं एक हर्फ व नुक्ता नहीं बदल सकते। वसीम रिज़वी जैसे लोग समाज में ज़हर घोलना चाहते हैं। मुफ्ती बशीर उल कादरी ने कहा कि है कौले मुहम्मद, कौल ए खुदा फरमान न बदला जाएगा, बदलेगा ज़माना लाख मगर कुरान न बदला जाएगा। बेशक कुरान का मुहाफिज़ अल्लाह है। ऐसे लोग समाज, इंसानियत, देश की अखंडता, एकता व भाईचारे के दुश्मन है । कुरान व सहाबा-ए-किराम का दुश्मन दीन-ए-इस्लाम व पूरी इंसानियत का दुश्मन है। इस लिए हम सरकार से मुतालबा करते हैं कि इस तरह के लोगों को समाज में खुला घूमने की इजाजत बिल्कुल भी नहीं दी जाए।वसीम रिजवी को फौरन हिरासत में लिया जाए ताकि वह जो ज़हर समाज में घोलने का प्रयास कर रहा है उसको रोका जा सके।
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