नई दिल्ली: इलाहाबाद हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली डिवीजन बैंच के ऐतिहासिक फैसले के बाद डॉ कफील खान को देर रात मथुरा जेल से रिहा कर दिया गया। पहले सोशल मीडिया पर इस तरह की खबरें आई कि जेल प्रशासन और अलीगढ़ डीएम में तालमेल ना होने की वजह से डॉक्टर कफील खान को रिहा करने में दिक्कत आ रही है और बात एक दूसरे के कंधे पर डाली जा रही है, लेकिन देर रात इस बात की पुष्टि हो गई कि डॉ कफील खान को रिहा कर दिया गया है और सोशल मीडिया की अफवाहों को दरकिनार करते हुए आखिर डॉक्टर कफील खान रिहा हो गए।
रिहाई के बाद डॉ कफील खान ने कहा " मैं जुडिशरी का बहुत शुक्रगुजार हूं जिन्होंने इतना अच्छा आर्डर दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने एक झूठा बेस लेस केस मेरे ऊपर थोपा। बिना बात के ड्रामा करके केस बनाए गए और 8 महीने तक इस जेल में रखा। इस जेल में मुझे 5 दिन तक बिना खाना बिना पानी दिए मुझे प्रताड़ित किया गया। मैं उत्तर प्रदेश एसटीएफ को भी धन्यवाद दूंगा जिन्होंने मुंबई से मथुरा लाते समय मुझे एनकाउंटर में मारा नहीं। "
ज्ञात रहे कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) के आदेश के करीब 12 घंटे बाद डॉक्टर कफील खान (Dr Kafeel Khan) आखिरकार मथुरा जेल से मंगलवार देर रात रिहा हो गए. जेल से बाहर आने के बाद डॉक्टर कफील खान ने मीडिया से बातचीत में बताया कि पिछले 8 महीनों में जेल में उनका समय कितना कठिन रहा. डॉक्टर कफील (Dr Kafeel Khan) के अनुसार जनवरी में उन्हें गिरफ्तार करने के बाद जब उन्हें जेल लेकर गए तो पहले पांच दिन बुरी तरह से प्रताड़ित किया. यूपी सरकार पर सवाल उठाते हुए कफील खान (Dr Kafeel Khan) ने कहा कि जिस भाषण को भड़काऊ बताकर मेरे खिलाफ कार्रवाई की गई, वह दिंसबर 2019 का था और मेरी गिरफ्तार 29 जनवरी को हुई है. बीच के समय में मुझे इस बारे में जानकारी नहीं थी कि मेरे भाषण को भड़काउ बताकर एफआईआर दर्ज की गई है और न ही मुझ से किसी तरह के सवाल पूछे गए.
डॉक्टर कफील ने बताया कि गोरखपुर अस्पताल में हुए मामले को लेकर मुझे दूसरी जांच में 23 जनवरी को क्लीन चिट मिली थी. इसके बाद सरकार ने परेशान हो कर मुझ पर इस तरह से कार्रवाई की जैसे मैं कोई आतंकवादी हूं. उन्होंने सवाल पूछते हुए कहा कि क्या बच्चों को बचाना आतंकवाद होता है. बता दें कि कफील संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ पिछले साल अलीगढ़ में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत करीब साढ़े सात महीने से मथुरा जेल में बंद थे. इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह की पीठ ने कफील को तत्काल रिहा करने के आदेश दिये थे.
इससे पहले कफील खान की रिहाई पर रस्साकशी भी देखने को मिली। देर रात रिहाई को लेकर चला ड्रामा खत्म हो गया। 1 सितंबर को हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर की बेंच ने कफील पर लगाए एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) को भी रद्द कर दिया था। रिहाई के बाद डॉ. कफील ने योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा।
अलीगढ़ प्रशासन की ओर से लगाए गए एनएसए को रद्द करते हुए डॉक्टर कफील को तत्काल जेल से ज़मानत पर रिहा करने का आदेश दिया गया था। हालांकि देर शाम तक अलीगढ़ ज़िला प्रशासन की ओर से रिहाई संबंधी कोई ऑर्डर मथुरा जेल नहीं भेजे जाने से रिहाई अटकी हुई थी। मध्य रात्रि में मथुरा जेल पहुंचे रिहाई के ऑर्डर के बाद डॉ कफ़ील को रिहा किया गया। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सुबह ही रिहाई का आदेश कर दिया था।
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