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जब फासीवादी देश पर शासन करते हैं, तो कानून का शासन एक तमाशा होता है: सुरजेवाला

रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि “एक अंग्रेजी दार्शनिक की कहावत है– “When fascists rule the country, rule of law is a farce.” जब तानाशाह किसी देश पर शासन करें, तो कानून का शासन मजाकिया कागज का पुलिंदा बन जाता है। आज देश में यही हो रहा है। हिंदुस्तान का संविधान और उसकी मर्यादा अपराधियों की जंजीरों की बेड़ियों में कैद है। देश का कानून जीप के टायरों के नीचे रौंदा जा रहा है। न्यायपालिका और उसके निर्देशों एवं भावना को जानबूझकर और षड़यंत्रकारी तरीके से दरकिनार किया जा रहा है और यहाँ तक कि न्यायपालिका का भी सत्ताधारी दल की पुलिस और सीबीआई से विश्वास उठ गया है। जब संविधान बेड़ियों में हो, कानून जीप के टायर के नीचे हो, न्यायपालिका का पुलिस औऱ सीबीआई से विश्वास उठने लगे, तो देश में अराजकता फैलेगी या नहीं, सवाल ये है?

By: Press Release
When fascists rule the country, rule of law is a farce: Surjewala

प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु

08 अक्टूबर, 2021

 

जब फासीवादी देश पर शासन करते हैं, तो कानून का शासन एक तमाशा होता है: सुरजेवाला

 

रणदीप सिंह सुरजेवाला, कांग्रेस के महासचिव और मीडिया प्रभारी ने आज कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया को संबोधित किया।

 

रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि “एक अंग्रेजी दार्शनिक की कहावत है– “When fascists rule the country, rule of law is a farce.” जब तानाशाह किसी देश पर शासन करें, तो कानून का शासन मजाकिया कागज का पुलिंदा बन जाता है। आज देश में यही हो रहा है। हिंदुस्तान का संविधान और उसकी मर्यादा अपराधियों की जंजीरों की बेड़ियों में कैद है। देश का कानून जीप के टायरों के नीचे रौंदा जा रहा है। न्यायपालिका और उसके निर्देशों एवं भावना को जानबूझकर और षड़यंत्रकारी तरीके से दरकिनार किया जा रहा है और यहाँ तक कि न्यायपालिका का भी सत्ताधारी दल की पुलिस और सीबीआई से विश्वास उठ गया है। जब संविधान बेड़ियों में हो, कानून जीप के टायर के नीचे हो, न्यायपालिका का पुलिस औऱ सीबीआई से विश्वास उठने लगे, तो देश में अराजकता फैलेगी या नहीं, सवाल ये है?

 

देश की कानून व्यवस्था का रखवाला कौन है– देश का गृहमंत्री, और देश के गृह राज्य मंत्री का बेटा ही जब अपराधी हो और पुलिस उससे पुलिस के दामाद जैसा व्यवहार करे, तो अपराधियों को पकड़ेगा कौन और संविधान एवं कानून लागू करेगा कौन? सवाल ये है। 

 

देश के गृह राज्य मंत्री हैं, अजय टेनी और इन अजय टेनी का बेटा हत्या का आरोपी है और उत्तर प्रदेश की पुलिस क्या कर रही है? उत्तर प्रदेश की पुलिस उसे दामाद बनाकर नोटिस थमा रही है कि आपसे हाथ जोड़कर विनती है- हत्या के आरोपी महोदय, आप आईए और हो सके तो तकलीफ लेकर पुलिस स्टेशन में तशरीफ़ ले आईए। ये सब जानते हैं कि लखीमपुर खीरी में फायरिंग भी हुई और फायरिंग से भी हत्या हुई। पर देश की सरकार उच्चतम न्यायालय, सुप्रीम कोर्ट में जाकर कहती है, खोल तो बरामद हुए हैं, हो सकता है निशाना ठीक ना लगा हो। यह मैं नहीं कह रहा, ये देश की सरकार ने आज किसानों की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट से कहा कि फायरिंग के खोल तो मौके से बरामद हुए हैं, हो सकता है निशाना ठीक ना लगा हो।

 

दोस्तों, यह कैसा देश बन गया है और एक और संयोग है या प्रयोग, ये तो मोदी जी बताएंगे, पर जरुर देखिए कि बेटा हत्या का मुलजिम और बाप हत्या का आरोपी। मैं किसी अपराधी की बात नहीं कर रहा, दाऊद इब्राहिम की या किसी और की। मैं इस देश के गृह मंत्रालय में बैठे आज भी जो नॉर्थ ब्लॉक में बैठे लोग हैं, उनकी बात कर रहा हूं। बेटा हत्या का मुलजिम, बाप हत्या का आरोपी और मोदी जी ने ऐसे व्यक्ति को देश का गृह राज्य मंत्री बना रखा है; तो कानून और संविधान की रक्षा कौन करेगा? और बेटे को छोड़िए लखीमपुर खीरी वालों को, बाप सीधे-सीधे धमकी देता है कि जब मैं देश का गृह राज्य मंत्री भी नहीं था, मतलब कि उस समय भी बहुत बड़ा गुंडा था और अब तो कानूनी गुंडा बन गया हूं और कहीं ना कहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट भी संदेह के घेरे में है। मैं बहुत जिम्मेदारी से कहता हूं, मुझे पता है आप कहेंगे कि ये अवमानना का मामला है।

 

दोस्तों, मैं तीन कागज आपको भेज रहा हूं। पहला कागज (दिखाते हुए)– ये वो हत्या का मुकदमा है, जिस पर अपील दायर हुई इलाहाबाद हाईकोर्ट में। ये वो कागज है हाईकोर्ट का। मैं इस पर आपका ध्यान आकर्षित करुंगा, क्रिमिनल अपील 1624 of 2004. State of UP v/s Ajay Mishra Teni and others, Date of filing– 09-06-2004. Last listed 25 Feb, 2020. 2004 के बाद मामला 2020 में 25 फरवरी को लिस्ट हुआ था। दोस्त आप बताइए, आपके दर्शक बताएं, इस देश का हर वो नागरिक जो देश के कानून को मानता है, वो बताए अगर देश के गृह राज्य मंत्री पर 2004 से 2020 के बीच में कितने साल हुए – 17 साल, 17 साल तक अगर मुकदमा हत्या का लंबित रहेगा, तो इस देश में कानून कैसे चलेगा?

 

और देखिए, ये अदालत का 12 मार्च, 2018 का ऑर्डर है। मैं आपको भेज रहा हूं, इलाहाबाद हाईकोर्ट का ऑर्डर। केस का नाम है वही, State of UP vs Ajay Kumar Teni and others, इसमें अजय कुमार टेनी पर हत्या का आरोप चलेगा या नहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 मार्च, 2018 को ये फैसला आरक्षित रखा था, रिजर्व रखा था। आज क्या तारीख है– 8 अक्टूबर, 2021, साढ़े तीन साल बीत गए हैं, वो फैसला नहीं आया कि अजय कुमार टेनी पर मुकदमा चलेगा या नहीं, हाँ अजय कुमार टेनी जरुर देश के गृह राज्य मंत्री की गद्दी पर बैठकर साउथ और नॉर्थ ब्लॉक में देश पर शासन कर रहे हैं। क्या साढ़े तीन साल बाद किसी जज को बहस याद रह सकती है? हमारी ये भी मांग है, देश के एक नागरिक के तौर पर, पार्टी के प्रवक्ता के तौर पर नहीं, आदरणीय सुप्रीम कोर्ट को इसका भी संज्ञान लेना चाहिए, जहाँ उन्होंने बाकी बातों का संज्ञान लिया है। एक स्पेशल बैंच दो दिन में पूरी सुनवाई करे और 20 अक्टूबर को जब सुप्रीम कोर्ट दोबारा केस सुने तो इसका भी निर्णय आ जाए। कम से कम देश को पता तो चले क्या हुआ?

 

साथियों, आज दो बड़ी महत्वपूर्ण बातें सुप्रीम कोर्ट में हुई। मैं एक देशवासी के तौर पर सुप्रीम कोर्ट का धन्यवादी हूं कि उन्होंने कुछ वकील साहेबान की मांग पर स्वतः संज्ञान लिया। वहाँ कोर्ट में सरकार ने दो बातें महत्वपूर्ण कही। पहली, यह कही कि हमने मुख्य आरोपी को पेश होने का नोटिस दिया है। मुझे बताइए हत्या के ऐसे कितने मुकदमे हैं, जहाँ पुलिस आरोपी को, हत्या के आरोपी को पेश होने का नोटिस देती है? जाते हैं हथकड़ी लगाकर पकड़ कर ले आते हैं, सच्चाई ये है। तो यहाँ पर ऐसा इसलिए है क्योंकि वो मोदी के मंत्री का बेटा है। दूसरा, अदालत में यह कहा है कि गोली के सबूत ही नहीं मिले। अभी जांच नहीं हुई। आरोपी पेश नहीं हुआ। कोई पुलिस के पास गया ही नहीं, पर यूपी की सरकार ने पहले ही कह दिया कि साहब अभी गोली के सबूत ही नहीं मिले। यानी क्लीन चिट पेश होने से पहले ही दे दी गई। ये पहली बार नहीं है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सेंगर के केस में भी यही कहा था, जो आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा है। वहाँ भी पहले ही कह दिया था कि कोई जरुरत नहीं है भाजपा के उस विधायक को बुलाने की।

 

अदालत ने भी तीन महत्वपूर्ण बातें कही जो इस देश की मौजूदा दुर्दशा को दर्शाता है। पहला, उन्होंने कहा कि हम जिम्मेदार सरकार चाहते हैं। अगर अदालत को आदित्यनाथ, भाजपा सरकार के बारे में यह कहना पड़े कि वो गैर जिम्मेदार है, तो क्या उसे एक क्षण भी सत्ता में बने रहने का अधिकार है? अदालत ने कहा, ये हम नहीं कह रहे। उन्होंने कहा कि हम एक जिम्मेदार सरकार चाहते हैं, We want a responsible Government और ये जो नोटिस-नोटिस का खेल चल रहा है, तुम नोटिस दो- मैं लूंगा; मैं नोटिस दूंगा- तुम लोगे, उस पर उन्होंने कहा कि अगर आरोपी कोई साधारण आदमी होता, आपके, मेरे जैसा या आपके दर्शकों जैसा, तो भी क्या सरकार का ये रवैया होता? इन दो बातों के बाद क्या ये साबित नहीं होता कि मोदी और योगी सरकारें अपराधियों के साथ खड़ी हैं, संविधान को बेड़ियों में बांधने वाले अपराधियों के साथ। आपकी चुनी हुई सरकारें कानून को टायर के नीचे रौंदने वाले अपराधियों के साथ खड़ी हैं और फिर कोर्ट को, अदालत को क्या कहा गया कि हम जजिस के मन की बात समझते हैं। तो सुप्रीम कोर्ट ने फिर कहा मुड़कर, ये जजिस के मन की बात नहीं, ये लोगों का संदेश है, जो अदालत को सरकार के बहरे कानों तक पहुंचाना पड़ रहा है। तीसरा, सुप्रीम कोर्ट को यह भी कहना पड़ा कि अधिकारी तो सब आपके अपने हैं, यही दिक्कत है और सीबीआई भी कोई हल नहीं। कारण आप जानते हैं, क्यों?

 

दोस्तों, इस देश की संवैधानिक व्यवस्था, इस देश के कानून और इस देश की पुलिस और सीबीआई अब वो सब संदेह से ऊपर नहीं। बिल्ली ही अगर दूध की रखवाली होगी, अगर अपराधी ही एसएचओ होगा और अपराधी का बाप देश का गृह मंत्री होगा तो फिर कानून कहाँ से लागू रहेगा और जिंदा रहेगा?

 

आज इस मंच से हम केवल यह कहेंगे, मोदी जी शायद वाजपेयी जी के कहने से 2002 में तो राजधर्म नहीं निभाया, पर ये राजधर्म निभाने की आपकी कसौटी है। 3 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक लखीमपुर खीरी में एक भी हत्यारे को नहीं पकड़ा। निर्दोष जो हैं, वो सलाखों के पीछे बैठे हैं, वो प्रियंका गांधी हों या अन्य नेतागण हों और दोषी टेलीविजन पर खुलेआम इंटरव्यू देते हैं। अब इस देश की यह हालत हो गई है।

 

हमारी एक ही मांग है कि बगैर किसी देरी के अजय कुमार टेनी को देश के गृह राज्य मंत्री के पद से बर्खास्त किया जाए और सभी दोषियों को गिरफ्तार किया जाए। पुलिस, सीबीआई और प्रशासन तीनों अब जांच के योग्य नहीं हैं। यह हम नहीं कह रहे, अब तो देश की सुप्रीम कोर्ट भी अपना संदेह जता रही है। तो ऐसे में केवल और केवल दो सिटिंग जज का कमिशन जैसा महासचिव, उत्तर प्रदेश प्रभारी, प्रियंका गांधी ने कहा, राहुल गांधी ने मांग की कि फौरन एक दो सिटिंग जजिस कमीशन में एसआईटी का गठन करके, उनकी देखरेख में 30 दिन के अंदर दोषियों को सजा मिले। तभी इस देश में संविधान और कानून बच पाएगा। वरना इस देश में संविधान, कानून और सरकार, तीनों से जनता का विश्वास उठ जाएगा।

 

एक प्रश्न पर कि गृह राज्य मंत्री कह रहे हैं कि विपक्ष का काम सिर्फ इस्तीफा मांगना है, जांच होने दीजिए, जांच के बाद सच सामने आ जाएगा, मेरा बेटा कहीं भागा नहीं है, क्या कहेंगे, सुरजेवाला ने कहा कि गृह राज्य मंत्री किसानों को बकायदा सार्वजनिक मंच से गुंडई के तरीके से धमकाते हैं, वार्निंग देते हैं, उसके बाद 3 अक्टूबर को किसानों को भाजपाई नेता और गृह राज्य मंत्री की गाड़ी के नीचे रौंदा जाता है। 3 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक हमारे दबाव में एफआईआर दर्ज होने के बावजूद भी देश के गृह राज्य मंत्री का बेटा गिरफ्तार नहीं होता है। पुलिस और गृह राज्य मंत्री भाजपाई नेता, नोटिस-नोटिस खेलते हैं। किसानों और पत्रकारों पर जिनकी हत्या हुई, दबाव डाला जाता है। उसके बाद भी अगर कोई कहे, विश्वास कीजिए और सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेकर सरकार को लताड़ लगानी पड़ती है, तो उसके बाद भी कहीं कानून और संविधान का शासन बचा है? 

 

एक अन्य प्रश्न पर कि 2004 से 2020 तक जिस हत्या के मामले का आपने जिक्र किया है, वो मामला क्या है, सुरजेवाला ने कहा कि अजय कुमार टेनी पर प्रभात गुप्ता की हत्या का मामला दर्ज हुआ। मामला आखिर में डिस्ट्रिक्ट जज साहब के पास गया, 29 तारीख को उन्हें बरी किया जाता है, 30 तारीख को जज साहब रिटायर हो जाते हैं। जो परिवार है, प्रभात गुप्ता का, उन्होंने बकायदा एक अपील दायर की और सरकार ने भी अपील दायर की कि इनके ऊपर हत्या का मुकदमा चले। तो हत्या का मुकदमा चलाने का मामला विचाराधीन है और साढ़े तीन साल से फैसला रिजर्व है। साढ़े तीन साल बाद किसी जज को कोई आर्ग्यूमेंट थोड़े ही याद रहेगा और ये दुनिया, देश का नहीं, आदरणीय मित्र, ये दुनिया का इकलौता ऐसा केस है, जहाँ एक केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री पर हत्या का आरोपी होने का मामला साढ़े तीन साल से अदालत में रिजर्व करके रखा हो और कोई हत्या का ऐसा मामला नहीं मिलेगा, इस देश में, मैं जिम्मेदारी से कहता हूँ।

 

लखीमपुर खीरी मामले को लेकर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में सुरजेवाला ने कहा कि किसी व्यक्ति को भी लखीमपुर खीरी को फायदे और नुकसान के नजरिए से देखना घोर पाप है। जो लोग किसानों की हत्या को, जो लोग किसानों पर दमन को फायदे और नुकसान के नजरिए से देखते हैं, मेरा उन पूरे देश के सब लोगों से अनुरोध है, मैं व्यक्ति पर टिप्पणी नहीं करना चाहता, केवल राजनीतिक दलों पर करता हूँ, कि वो घोर पाप है और उनसे मेरा अनुरोध है कि वो जिम्मेदारी निभाएं और इस घोर पाप से बचें।

 

पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी के दिए बयान को लेकर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में सुरजेवाला ने कहा कि राजनीति में सबको कोशिश करने का अधिकार है, पर आखिर में जिसे जनता स्वीकारेगी, वही आगे बढ़ पाएगा और जनता की लड़ाई जमीन पर केवल और केवल उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी और राहुल गांधी लड़ रहे हैं।

 

एक अन्य प्रश्न पर कि लखीमपुर खीरी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले से संबंधित जो भी सबूत हैं, उनको सुरक्षित रखा जाए, तो इस मामले को लेकर जो महत्वपूर्ण सबूत हैं, उनकी रक्षा कैसे होगी, सुरजेवाला ने कहा कि जब अपराधी सत्ता में हों, संविधान बेड़ियों में हो, कानून टायर के नीचे हो तो साक्ष्य़ों की सुरक्षा कौन करेगा? कोई नहीं। उन्हें तो मिटाने का कुत्सित प्रयास किया जाएगा, जैसा उत्तर प्रदेश की सरकार कर रही है।

 

एक अन्य प्रश्न पर कि जिस तरह से जम्मू- कश्मीर से बार-बार हिंसा की घटनाओं की खबर आ रही है और अब आम नागरिकों पर हमला हो रहा हैं, क्या कहेंगे, सुरजेवाला ने कहा कि कश्मीर की घाटी एक बार फिर अलगाववादी और आतंकवादियों के निशाने पर है। पिछले 5 दिनों में आतंकवादियों ने 7 लोगों का बेरहमी से कत्ल कर दिया, जिनमें से 4 हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। बड़े मशहूर कश्मीरी पंडित डॉक्टर फार्मासिस्ट हैं, एक सिख समुदाय की हमारी बहन अध्यापिका हैं और तीन मुसलमान हैं। आतंकवादियों ने जिस स्कूल पर हमला बोलकर हत्या की है, उससे इनके इरादों का भी पता चल रहा है। घाटी में उन्हीं पुराने काले दिनों की आहट सुनाई देती है, जहाँ शांति स्थापित करने के लिए हमारी सरकारों, सैन्य बलों, हमारी आर्मी ने अनेको-अनेको कुर्बानियां दी थी। मैं इसे किसी आर्टिकल से जोड़कर नहीं कह रहा, जैसे बहुत लोग कहते हैं। मैं इसे सिर्फ मोदी सरकार के उदासीन और लापरवाही भरे रवैये से जोड़कर कह रहा हूँ। अगर कश्मीरी पंडितों की दिन-दहाड़े हत्या हो रही है, अगर सिख समुदाय की अध्यापिका को जिसने एक मुसलमान बेटी को गोद ले रखा था और जो आधी तनख्वाह देती थी, उसकी परवरिश के लिए अगर वो हो रहा है, अगर कुछ हमारे मुस्लिम भाईयों की हत्या हो रही है, तो फिर एक बार पाकिस्तान, आईएसआई और उग्रवादी मिलकर कश्मीर की शांति और उसके भाईचारे को, कश्मीरियत को, उसकी हत्या करना चाहते हैं, पर कश्मीरी पंडितों के नाम पर वोट बटोरने वाली मोदी सरकार कहाँ है?

 

मैं ये भी बता दूँ कि हमारी जो कश्मीर की प्रभारी हैं, रजनी पाटिल, सोनिया गांधी ने उनसे बकायदा बात की थी और वो इस समय घाटी में, श्रीनगर में उन परिवारों से मिल रही हैं। हम तो मरहम लगाएंगे, हम तो कश्मीरियत और शांति, अमन चैन और भाईचारा उसके लिए काम करेंगे,  कश्मीर में, जम्मू में, लद्दाख में, कांग्रेसियों ने अनेको कुर्बानी दी हैं, जो लोग कश्मीर का शासन चला रहे हैं, जो लोग दिल्ली में बैठकर और कश्मीर में चुनाव भी नहीं करवाते, उनकी क्या भूमिका है, उस पर सवाल उठना चाहिए। 

 

एक अन्य प्रश्न पर कि हरियाणा में भी एक सांसद के काफिले में किसान कुचला गया, दूसरा मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि उन्होंने जो बयान दिया था, डंडो से मारने वाला, वो एक आत्मरक्षा के लिए कहा था, उसको गलत तरीके से विपक्ष ने लिया है, क्या कहेंगे, सुरजेवाला ने कहा कि पहली बात जो हरियाणा में हुआ, वो लखीमपुर खीरी में उसकी पुनरावृत्ति है, क्योंकि भाजपा का ये रवैया बन गया है कि जहाँ-जहाँ किसान विरोध करे, न्याय मांगे, रोजी-रोटी मांगे, उसको टायरों के नीचे कुचल दो। यह अब सरकार की ऑफिशियल पॉलिसी लगती है और उस ऑफिशियल पॉलिसी को खट्टर साहब ने बताया था, जब उन्होंने ये कहा कि एक-एक हजार लठैत इकट्ठे करो और किसानों को लाठियों से पीटो। आप मुझे बताएं, क्या मुख्यमंत्री अब आत्मरक्षा के लिए लठैतों की फोर्स बनाना चाहते हैं और क्या इस देश के संविधान और कानून में, जिसकी शपथ उन्होंने ली थी, उसमें लठैतों की फोर्स बनाने की इजाज़त है? अनुमति है? किसानों से माफी मांगनी चाहिए प्रधानमंत्री जी को और हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर को। बजाय उसके, वो कहते हैं आत्मरक्षा के लिए दिया गया बयान मैं वापस लेता हूँ। भाजपा की दोहरी मानसिकता और उनका चरित्र बदल नहीं जाएगा, इस प्रकार के छदम षड़यंत्रकारी बयानों से।

 

महाराष्ट्र के बहुचर्चित आर्यन मामले को लेकर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में सुरजेवाला ने कहा कि एक बड़ा प्रश्न मैं आपके सामने रखता हूँ, इससे पहले कि बॉलीवुड में, जो बॉम्बे की फिल्म इंडस्ट्री का नाम है, उसमें इस प्रकार का एक वाकया आया था। 8 या 9 ग्राम हेरोइन पकड़ी गई, उसके लिए पूरे बॉलीवुड के हीरो-हीरोइनों को मोदी सरकार और उनकी पुलिस ने लंबा डाल लिया, पकड़ लिया था। हर आदमी को समन किया। अब कहते हैं कि कोई 20-25, 30-50 ग्राम पकड़ी गई है, मुझे संख्या याद नहीं।

 

अगर एक ग्राम भी पकड़ी जाए तो कार्रवाई करो। दोषी को कड़ी से कड़ी सजा दो। वो किसी फिल्म हीरो का बेटा-बेटी हो या कोई और हो।  माफ कीजिए, क्या मैं मोदी जी से ये पूछ सकता हूँ, रिया चक्रवर्ती, मुनमुन और अरबाज मर्चेंट, इनको तो आप 10-20-50 ग्राम हेरोइन में नप रहे हैं। जरुर नपिए, पर जो 1,75,000 करोड़ की 25,000 किलो हेरोइन अडानी पोर्ट से आकर गुम हो गई, उसके लिए किसको नापा, किसे पकड़ा? 1,75,000 करोड़ की हेरोइन अडानी पोर्ट पर पकड़ी गई, उसके लिए किसको सजा मिली, किसने मंगवाई थी वो? हमारे बच्चों को याद करिए, मैंने इसी मंच से कहा था, हमारे बच्चों को नशे का आदी बनाने का एक षड़यंत्र है, जो अफगानिस्तान के रास्ते ये सारी हेरोइन आई, पर जो स्मगलर हैं, हेरोइन के, जहाँ हेरोइन पकड़ी गई, जिन्होंने मंगवाई, उनको क्यों नहीं पकड़ रहे? उनको तो पकड़िए जो नशा करते हैं, पर उन्हें भी पकड़िए जो नशा करवाते हैं। उन्हें आप पकड़ नहीं रहे। तो किसी फिल्म हीरो के बेटे को पकड़ना है, तो पकड़िए, पर उसे हेरोइन बेचने वाले, 25,000 किलो हेरोइन के माफिया को तो पकड़िए, वो कहाँ है? वो तो अखबार में खबर ही नहीं लगने देते आप, न टेलीविजन पर दिखने देते।

 

एक अन्य प्रश्न पर कि कल भाजपा कार्यकारिणी से वरुण गांधी जी और मेनका गांधी जी को बाहर कर दिया गया, क्या कहेंगे? सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा किसको अपने संगठन में रखेगी और किसे निकालेगी ये उनकी मर्जी है। हमारी उस पर कोई टिप्पणी हो ही नहीं सकती। पर मैं एक बात आपको कहूंगा। आप तो इन दो व्यक्तियों की बात कर रहे हैं। आदरणीय लाल कृष्ण आडवाणी जी, जिनके राजनीतिक पुत्र आदरणीय मोदी जी हैं, वो कहाँ हैं? मुरली मनोहर जोशी जी और हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री, शांता कुमार जी, जिन्होंने बीजेपी बनाई थी, उन्हें भी बेइज्जत करके बाहर निकाल दिया गया। केशुभाई पटेल जी, जिन्होंने अपनी मुख्यमंत्री की गद्दी मोदी जी को दी थी, उन्हें भी बेइज्जत करके निकाल दिया गया। येदियुरप्पा जी, जो भाजपा के संस्थापक हैं औऱ जो भाजपा को दक्षिण भारत में लेकर गए, वो रोते रहे, उनके आंसू आप दिखाते रहे, यकायक टेलीविजन से गायब हो गए, उन्हें भी धक्के मारकर निकाल दिया गया। मुख्यमंत्री रुपाणी जी, जिन पर बड़ा विश्वास जताया था, उन्हें भी एक दिन बुलाकर इस्तीफा ले लिया गया। उत्तराखंड के दो-दो मुख्यमंत्रियों को चलता कर दिया गया। जैसे कोई किसी अपराधी को घर से बाहर निकालता हो। भाजपा में एक नई रवायत है, हमारे बड़े-बड़े महानुभाव जो सत्ता में हैं, अपने सब नेताओं को बेइज्जत कर निकालने की, पर ये उनके घर का मामला है।

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