नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष कौन होगा इस पर अभी भी असमंजस बना हुआ है? इस सवाल पर राहुल गांधी ने कहा कि मैं प्रक्रिया में शामिल नहीं हूं. पार्टी अगले अध्यक्ष पर फैसला करेगी.साथ ही उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में शामिल होकर मैं इसे जटिल नहीं बनाना चाहता. मैं पार्टी में बना रहूंगा और पार्टी के लिए काम करूंगा.
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद राहुल गांधी ने इस्तीफे की पेशकश की थी. हालांकि, कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में कांग्रेस नेताओं ने राहुल गांधी से अध्यक्ष पद से इस्तीफा नहीं देने की अपील की थी. लेकिन राहुल गांधी ने कहा था कि वह अपने फैसले पर अडिग हैं, और वह अपना मन नहीं बदलेंगे.
हालही में राहुल गांधी के इस्तीफे की पेशकश को लेकर पिछले कई दिनों से चल रही अटकलों पर फिलहाल विराम लगाते हुए कांग्रेस ने कहा था कि गांधी पार्टी अध्यक्ष थे, हैं और आगे भी बने रहेंगे.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ए के एंटनी (जिन पर कांग्रेस को कमज़ोर करने का आरोप है) के मार्गदर्शन में हुई पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की अनौपचारिक बैठक के बाद कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुरजेवाला ने यह टिप्पणी की थी.
इस बैठक में पार्टी के कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे, हालांकि राहुल गांधी इसमें शामिल नहीं थे.
बता दें, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद 25 मई को हुई पार्टी की कार्य समिति की बैठक में गांधी ने इस्तीफे की पेशकश की थी और इसके बाद से इसको लेकर लगातार अनिश्चितता बनी हुई थी कि वह कांग्रेस अध्यक्ष रहेंगे अथवा कोई वैकल्पिक व्यवस्था होगी.
सुरजेवाला के अनुसार इस अनौपचारिक बैठक में महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर भी चर्चा हुई. उन्होंने यह भी कहा था कि चुनाव के लिए बनाई गई कोर ग्रुप समिति सहित सभी दूसरी समितियों का अस्तित्व चुनाव संपन्न होने के बाद स्वत: खत्म हो गया है.
पार्टी के वरिष्ठ नेता एंटनी के मार्गदर्शन में 15 गुरुद्वारा रकाबगंज रोड स्थित पार्टी के वार रूम में हुई बैठक में अहमद पटेल, पी चिदबंरम, गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश, केसी वेणुगोपाल, आनंद शर्मा और सुरजेवाला शामिल हुए थे.
ये नेता लोकसभा चुनाव के लिए गठित पार्टी के कोर ग्रुप में शामिल थे. अब सवाल यह है की आखिर अहमद पटेल जिन पर पार्टी के कई नेताओं को इस लोकसभा चुनाव में हराने का आरोप है, ताकि उनका क़द कम ना हो, एंटनी पर आरोप है कि उन्हों ने ही मुस्लिम तुष्टिकरण की रिपोर्ट देकर बीजेपी के आरोपों को बल दिया था और डिफेन्स में कोई बड़ा फैसला 10 सालों में नहीं लिया जिस से बीजेपी को कांग्रेस पर हमला करने का मौक़ा मिला, आज़ाद जिन पर यह आरोप लगता रहा है कि वह कार्यकर्ताओं से मिलते नहीं हैं, आज़ाद और चिदंबरम पर ही आरोप है कि उन्होंने ही आंध्रा प्रदेश और तिलंगाना को कांग्रेस के हाथ से निकलने में बड़ी भूमिका निभायी थी और इन का साथ राजा साहब ने भी दिया, आनंद शर्मा जो एक इलेक्शन नहीं जीत सकते वह पार्टी में शीर्ष पर हैं, जय राम रमेश पर आरोप लगता रहा है कि वह AC के कमरों की सियासत करते हैं.
आरोप यह भी है कि पार्टी के ही कुछ बड़े नेताओं ने ही सुरजेवाला को बाई इलेक्शन में हराया था, और प्रियंका जब कह चुकी हैं कि कांग्रेस के क़ातिल इसी कमरे में मौजूद हैं और उस के बाद भी कांग्रेस होश के नाख़ून नहीं ले रही है तो फिर यही कहा जाएगा कि पार्टी को कुछ लोगों ने कैप्चर कर रखा है, कांग्रेस को इस बारे में सोचना होगा.
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